Film Review on Tumhari Sulu
विद्या बालन कृत फिल्म तुम्हारी सुलु की समीक्षा
विद्या बालन की फिल्म "तुम्हारी सुलु" एक ऐसी फिल्म है जो आपको हंसाती है, रुलाती है और प्रेरित करती है। यह एक ऐसी कहानी है जो हर किसी से जुड़ सकती है, चाहे वह किसी भी सामाजिक या आर्थिक पृष्ठभूमि से हो।
फिल्म की कहानी सुलोचना की है, एक मध्यमवर्गीय हाउसवाइफ जो अपने पति और बेटे के साथ मुंबई में रहती है। सुलोचना एक सपने देखने वाली महिला है, लेकिन वह अपनी महत्वाकांक्षाओं को दबा देती है क्योंकि वह सोचती है कि वह एक घरेलू महिला के रूप में अपना कर्तव्य निभा रही है।
एक दिन, सुलोचना को एक रेडियो स्टेशन में एक प्रतियोगिता में भाग लेने का मौका मिलता है। वह अपने आत्मविश्वास और अपनी आवाज के साथ जजों को प्रभावित करने में सक्षम है, और उसे एक रेडियो जॉकी के रूप में काम पर रखा जाता है।
सुलोचना की नौकरी उसे एक नए जीवन में ले जाती है। वह एक प्रसिद्ध रेडियो जॉकी बन जाती है, और वह अपने परिवार और दोस्तों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करती है। वह एक आत्मविश्वासी और स्वतंत्र महिला बन जाती है, जो अपनी क्षमताओं पर विश्वास करती है।
फिल्म सुलोचना की कहानी के माध्यम से, यह कई महत्वपूर्ण विषयों को संबोधित करती है। यह घरेलू महिलाओं के महत्व को दर्शाता है, और यह दिखाता है कि कैसे महिलाएं अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर सकती हैं। यह यह भी दिखाता है कि कैसे परिवार और दोस्त हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
विद्या बालन ने सुलोचना की भूमिका में एक शानदार प्रदर्शन दिया है। वह सुलोचना के विभिन्न पहलुओं को पूरी तरह से जीवंत करती है, और वह दर्शकों को उसकी यात्रा में शामिल करने में सक्षम है। मानव कौल ने सुलोचना के पति अशोक की भूमिका में भी अच्छा प्रदर्शन किया है।
"तुम्हारी सुलु" एक ऐसी फिल्म है जो आपको हंसाएगी, रुलाएगी और प्रेरित करेगी। यह एक ऐसी फिल्म है जिसे आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ देख सकते हैं।
फिल्म "तुम्हारी सुलु" मुझे बहुत भावुक कर गई। मुझे सुलोचना की कहानी से जुड़ाव महसूस हुआ, क्योंकि वह एक ऐसी महिला है जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष करती है। मैं सुलोचना की दृढ़ इच्छा से प्रेरित हूं। वह एक ऐसी महिला है जो कभी हार नहीं मानती है, भले ही उसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़े। वह एक सच्ची प्रेरणा है।
फिल्म मुझे यह भी याद दिलाती है कि हर किसी के पास सपने होते हैं। हमें कभी भी अपने सपनों को छोड़ना नहीं चाहिए, भले ही वे हमारे लिए कितना भी मुश्किल क्यों न लगें। मैं "तुम्हारी सुलु" की पूरी तरह से सिफारिश करता हूं। यह एक ऐसी फिल्म है जो आपको हंसाएगी, रुलाएगी और प्रेरित करेगी।
✍️ समीक्षक : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर
परिचय
बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।
शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।