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क्या साहित्यकार का चरित्र उसकी कृति पर भारी है?

क्या साहित्यकार का चरित्र उसकी कृति पर भारी है? साहित्य समाज का दर्पण है और साहित्यकार वह कारीगर जो इस दर्पण को गढ़ता ह…

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शिक्षक पुरस्कारों के आवेदन के बोझ तले दबी शिक्षक गरिमा

शिक्षक पुरस्कारों के आवेदन के बोझ तले दबी शिक्षक गरिमा खुद की प्रशंसा करने को मजबूर, वो क्या आदर्श बन पाएंगे, खुद को ही…

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आखिर पुरुषों के लिए दिवस का कोई औचित्य है?

आखिर पुरुषों के लिए दिवस का कोई औचित्य है?  महिला दिवस का इतिहास निसंदेह प्रेरणादायक है—यह बराबरी और अधिकारों की लड़ाई …

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RTI कार्यकर्ताओं पर शिकंजा कसने के बजाय जानकारी को सहजता से उपलब्ध कराने और जनता को सशक्त बनाने की अपनी मूल जिम्मेदारी निभाए राज्य सूचना आयोग

RTI कार्यकर्ताओं पर शिकंजा कसने के बजाय जानकारी को सहजता से उपलब्ध कराने और जनता को सशक्त बनाने की अपनी मूल जिम्मेदारी …

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"क्या शिक्षक भी इंसान नहीं? क्या उनकी रुचियों और अधिकारों की न हो पहचान?"

"क्या शिक्षक भी इंसान नहीं? क्या उनकी रुचियों और अधिकारों की न हो पहचान?" समाज कहता आदर्श बने रहें, ये कैसा द…

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