प्रारम्भिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण (यूईई) के लक्ष्‍य को हासिल करने के लिए

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जब से भारत ने स्‍वतंत्रता हासिल की है, शिक्षा एक महत्‍ता का क्षेत्रक रहा है। स्‍वतंत्र भारत के नेताओं ने प्रारम्भिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण (यूईई) के लक्ष्‍य को हासिल करने के लिए प्राथमिकऔपचारिक एवं गैर-औपचारिक शिक्षा के लिए प्रावधान बनाए थे। दिसम्‍बर 2002 में अधिनियमित संविधान (86 वां संशोधन) अधिनियम 2002 का लक्ष्‍य 6-14 वर्ष के आयु समूह के सभी शिक्षा को नि:शुल्‍क तथा अनिवार्य, एवं एक मौलिक अधिकार बनाना है। इस पर बल देने के लिए संविधान के भाग ।।। ‘‘ मौलिक अधिकार’’ में एक नया अनुच्‍छेद 21 क जोड़ा गया है। इसका पाठ इस प्रकार है : ‘‘ राज्‍य छ: से चौदह वर्ष की आयु के सभी बच्‍चों के लिए नि:शुल्‍क एवं अनिवार्य शिक्षा की ऐसे तरीके से व्‍यवस्‍था करेगा जो राज्‍य कानून द्वारा निर्धारित करे।’’

भारत में प्रारम्भिक शिक्षा को विनियमित करने के लिए सरकार ने नवम्‍बर 1994 में जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम की शुरुआत की, इस कार्यक्रम का लक्ष्‍य जिला विशिष्‍ट आयोजना के जरिए यूईई को हासिल करने के लिए कार्यनीतियों को प्रचालन करना तथा लक्ष्‍य कार्यनीतियों को प्रचालन करना तथा लक्ष्‍य निर्धारण पर अमल करना है।

अनिवार्य प्रारम्भिक शिक्षा के लिए, विशेषतया बालिकाओं के लिए अन्‍य कार्यक्रम हैं, कस्‍तूरबा गांधी शिक्षा योजना का उद्देश्‍य उन सभी जिलों में लड़कियों के लिए रिहायशी विद्यालयों की स्‍थापना करना हैं जिनमें विशेष रुप से निम्‍न महिला साक्षरता दर है। राष्‍ट्रीय बाल भवन जैसी संस्‍थाएं बच्‍चों को अपनी पसंद के अनुसार गतिविधियों का परिशीलन करने तथा इस प्रकार अपनी सृजनात्‍मक क्षमता को बढ़ाने के लिए प्रोत्‍साहन देती हैं। अधिकाधिक बच्‍चों (और माता पिता) को साक्षरता की ओर आकृष्‍ट करने के उद्देश्‍य से सर्व शिक्षा अभियान तथा मध्‍याह्न भोजन योजना जैसे अन्‍य कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।

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