मेरी सेल्फी में लड़कियां आज भी नहीं दिखती हैं

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मेरी सेल्फी में लड़कियां आज भी नहीं दिखती हैं


कैमरा ऑन करता हूं,
बच्चे चहक कर आते हैं,
तैयार होकर,
लेकिन एक पल बाद,
देखता हूं,
आज फिर लड़कियां,
पीछे रह गई हैं,
कुछ सोचकर।


देखता हूं,
हर बार की तरह,
फ्रेम में रह जाता हूं,
मैं और केवल लड़के।


सोचता हूं,
आखिर क्या हुआ,
लड़कियों का शुरुआती उत्साह,
कहां चला जाता है?
अपना सोचा हुआ,
यह लड़कियां,
क्यों नहीं कर पाती हैं?
आखिर क्यों ठिठक जाते हैं,
आज भी लड़कियों के कदम?


क्या है वजह,
इसकी मैं समझ नहीं पाया,
लेकिन ये सच है,
मेरी सेल्फी में,
लड़कियां आज भी नहीं दिखती हैं।



✍️ लेखक : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

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  1. अत्यंत सुंदर और प्रासंगिक

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