Film Review Hichki : विकलांगता किसी व्यक्ति की क्षमताओं को सीमित नहीं करती का संदेश देती फिल्म हिचकी

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Film Review Hichki : विकलांगता किसी व्यक्ति की क्षमताओं को सीमित नहीं करती का संदेश देती फिल्म हिचकी


रानी मुखर्जी की फिल्म "हिचकी" एक प्रेरणादायक फिल्म है जो एक टूरेट सिंड्रोम से पीड़ित महिला नैना माथुर के जीवन पर आधारित है। नैना एक शिक्षिका बनने का सपना देखती है, लेकिन उसे कई बार नौकरी से निकाल दिया जाता है क्योंकि उसके सिंड्रोम के कारण उसे बोलने में परेशानी होती है। आखिरकार, वह एक सरकारी स्कूल में नौकरी पाती है, जहां उसे 14 विद्रोही छात्रों का एक वर्ग सौंपा जाता है। नैना अपने छात्रों को शिक्षा के महत्व और अपने सपनों को पूरा करने के लिए कभी हार न मानने के लिए प्रेरित करती है।


फिल्म की कहानी दिल को छू लेने वाली है और यह एक महत्वपूर्ण संदेश देती है कि विकलांगता किसी व्यक्ति की क्षमताओं को सीमित नहीं करती है। रानी मुखर्जी ने नैना के किरदार को पूरी तरह से निभाया है और उनकी अदाकारी फिल्म की सफलता का एक बड़ा कारण है। अन्य कलाकार भी अपने-अपने किरदारों में काफी अच्छे हैं।


फिल्म के कुछ सकारात्मक पहलू निम्नलिखित हैं:

🟣 कहानी प्रेरणादायक और दिल को छू लेने वाली है।
🟣 रानी मुखर्जी ने नैना के किरदार को पूरी तरह से निभाया है।
🟣 अन्य कलाकार भी अपने-अपने किरदारों में काफी अच्छे हैं।
🟣 फिल्म एक महत्वपूर्ण संदेश देती है कि विकलांगता किसी व्यक्ति की क्षमताओं को सीमित नहीं करती है।


फिल्म के कुछ नकारात्मक पहलू निम्नलिखित हैं:

🔵 कहानी कुछ जगहों पर रूढ़िवादी है।
🔵 कुछ दृश्यों में हिचकी का अनुकरण बनावटी लगता है।
🔵 फिल्म का अंत कुछ हद तक अनुमानित है।


कुल मिलाकर, "हिचकी" एक अच्छी फिल्म है जो आपको प्रेरित और भावुक करेगी। यह एक महत्वपूर्ण संदेश देती है कि विकलांगता किसी व्यक्ति की क्षमताओं को सीमित नहीं करती है।




फिल्म की कुछ विशिष्ट विशेषताएं और उनका विश्लेषण निम्नलिखित हैं:


कहानी और संदेश: "हिचकी" की कहानी एक टूरेट सिंड्रोम से पीड़ित महिला नैना माथुर के जीवन पर आधारित है। नैना एक शिक्षिका बनने का सपना देखती है, लेकिन उसे कई बार नौकरी से निकाल दिया जाता है क्योंकि उसके सिंड्रोम के कारण उसे बोलने में परेशानी होती है। आखिरकार, वह एक सरकारी स्कूल में नौकरी पाती है, जहां उसे 14 विद्रोही छात्रों का एक वर्ग सौंपा जाता है। नैना अपने छात्रों को शिक्षा के महत्व और अपने सपनों को पूरा करने के लिए कभी हार न मानने के लिए प्रेरित करती है।


फिल्म एक महत्वपूर्ण संदेश देती है कि विकलांगता किसी व्यक्ति की क्षमताओं को सीमित नहीं करती है। नैना एक टूरेट सिंड्रोम से पीड़ित है, लेकिन वह एक सफल शिक्षिका बन जाती है। वह अपने छात्रों को शिक्षा के महत्व और अपने सपनों को पूरा करने के लिए कभी हार न मानने के लिए प्रेरित करती है।


कलाकार: रानी मुखर्जी ने नैना के किरदार को पूरी तरह से निभाया है। उन्होंने नैना की हिचकी, उसके आत्मविश्वास की कमी और उसके दृढ़ संकल्प को पूरी तरह से व्यक्त किया है। अन्य कलाकार भी अपने-अपने किरदारों में काफी अच्छे हैं। नीरज काबी ने नैना के सहयोगी शिक्षक के रूप में एक यादगार भूमिका निभाई है।


निर्देशन और पटकथा: सिद्धार्थ पी. मल्होत्रा ने फिल्म का निर्देशन किया है। उन्होंने फिल्म को अच्छी तरह से निर्देशित किया है और उन्होंने कहानी को प्रभावी ढंग से पेश किया है। अंकुर चौधरी, सिद्धार्थ पी. मल्होत्रा, अंबर हड़प और गणेश पण्डित ने पटकथा लिखी है। उन्होंने एक अच्छी पटकथा लिखी है जो प्रेरणादायक और दिल को छू लेने वाली है।


संगीत और सिनेमैटोग्राफी: फिल्म का संगीत अमित त्रिवेदी ने दिया है। संगीत अच्छा है और यह फिल्म के मूड को अच्छी तरह से दर्शाता है। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी भी अच्छी है।


कुल मिलाकर, "हिचकी" एक अच्छी देखे जाने योग्य फ़िल्म है।


✍️ समीक्षक : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

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