प्रवीण त्रिवेदी
Tuesday, May 06, 2025
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काश मैं कार्टूनिस्ट होता
काश मैं कार्टूनिस्ट होता। बचपन में जो किरकिरा चेहरा किताब की कॉपी पर बनाता था, वो कभी मास्टर जी की डांट का पात्र बना, त…

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"महानता और निंदा के झूले पर लटका विवेक" हमारी सबसे बड़ी समस्या यह है कि हम किसी को सहज इंसान की तरह देख ही नह…
"यदि आपके साथ हर कोई खुश है, तो निश्चित रूप से आपने जीवन में कई समझौते किए हैं। और यदि आप सबके साथ खुश हैं, तो आपन…
"पुस्तकें: जीवन का अनमोल संवाद" – विश्व पुस्तक दिवस पर विशेष हमारे समय का एक बड़ा संकट यह है कि हम तेजी से स…
समाज में अब दौर आलोचना का नहीं, हर व्यक्ति की अंध-प्रशंसा का है। गलत को गलत कहना अब समाज में सबसे बड़ा अपराध बन चुका ह…