खबर पढ़कर सिर्फ निःशब्द ही हुआ जा सकता था। लेकिन नहीं रह सका चुप।
शिक्षक का आत्महत्या कर लेना
बेरहम सिस्टम,
तुमने क्या किया?
एक शिक्षक को,
जिंदगी से बेदखल कर दिया।
नौकरी मिली थी,
पर वेतन नहीं मिला,
96 महीने तक,
शिक्षक संघर्ष करता रहा।
अब,
उसने सब कुछ छोड़ दिया,
जिंदगी से तंग आकर,
उसने जहर खा लिया।
बेरहम सिस्टम,
तुमने क्या किया?
एक शिक्षक को,
जिंदगी से बेदखल कर दिया।
उसका परिवार,
उसकी पत्नी,
उसके बच्चे,
सब पर,
आज दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।
बेरहम सिस्टम,
तुमने क्या किया?
एक शिक्षक को,
जिंदगी से बेदखल कर दिया।
इस शिक्षक की मौत,
एक चेतावनी है,
सभी शिक्षकों के लिए,
कि वे भी,
कहीं ऐसे ही,
बेरहम सिस्टम के शिकार न हो जाएँ।
✍️ लेखक : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर
परिचय
बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।
शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।