शिक्षकों के स्थानांतरण पर तथ्यहीन और विवेकहीन पत्रकारिता
पिछले कुछ दिनों में, उत्तर प्रदेश में अंतर्जनपदीय स्थानांतरण प्राप्त बेसिक शिक्षकों के बारे में कई तरह के आलेख और खबरें प्रकाशित हुई हैं। इनमें से कुछ आलेखों में यह दावा किया गया है कि स्थानांतरित शिक्षक केवल उपस्थिति दर्ज कराने की सैलेरी पा रहे हैं। इस तरह की पत्रकारिता को विवेकहीन और निराधार कहा जा सकता है।
दरअसल, बेसिक शिक्षा परिषद के अंतर्गत गैर जनपदों में स्थानांतरित शिक्षकों के नए स्थान पर तैनाती की प्रक्रिया में काफी समय लग रहा है। यह विभाग की शैली की वजह से है। विभाग द्वारा शिक्षकों के स्थानांतरण के आदेश जारी करने के बाद भी उन्हें नए स्थान पर तैनात करने में काफी समय लगता है। इस वजह से स्थानांतरित शिक्षकों को नए जनपदों में बीएसए कार्यालय में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी पड़ती है।
कुछ स्थानों पर तो शिक्षकों को अस्थाई रूप से स्कूलों में भी लगा दिया गया है। हालांकि, यह केवल एक अस्थायी व्यवस्था है। जल्द ही इन शिक्षकों को उनके नए पदों पर तैनात कर दिया जाएगा।
इस तरह की स्थिति में यह कहना कि स्थानांतरित शिक्षक केवल उपस्थिति दर्ज कराने की सैलेरी पा रहे हैं, पूरी तरह से गलत है। ये शिक्षक अपने नए पदों पर तैनात होने के बाद ही अपने वास्तविक कार्यों को शुरू कर पाएंगे।
इस तरह की पत्रकारिता से शिक्षकों के सम्मान को ठेस पहुंचती है। यह एक तरह से शिक्षकों के प्रति भेदभाव है। इस तरह की पत्रकारिता से समाज में शिक्षकों के प्रति नकारात्मक धारणा बनती है।
समझना होगा कि इस देरी का जिम्मेदार शिक्षक नहीं हैं। शिक्षक तो केवल अपनी सेवाएं देने के लिए तत्पर हैं। यह भी ध्यान देने योग्य है कि इस तरह की पत्रकारिता से शिक्षकों के मनोबल पर भी बुरा असर पड़ रहा है। शिक्षकों को लगता है कि समाज उन्हें बेकार समझता है। इससे उनकी कार्यप्रणाली पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, पत्रकारों से अनुरोध है कि वे शिक्षकों के बारे में निष्पक्ष और सटीक रिपोर्टिंग करें। शिक्षकों के सम्मान और पेशेवर गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली रिपोर्टिंग से बचें।
विभाग को भी चाहिए कि वह इस मामले में सही जानकारी समाज में पहुंचाने का काम करे। विभाग को चाहिए कि वह स्थानांतरित शिक्षकों की तैनाती की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करे। इससे शिक्षकों को अपने वास्तविक कार्यों को शुरू करने में आसानी होगी और इस तरह की तथ्यहीन पत्रकारिता को भी रोका जा सकेगा।
✍️ लेखक : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर
परिचय
बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।
शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।