प्रमुख पत्रकारिता या भाषा विशेषज्ञों के विचार समझे पहले
❤️ लेखक और पत्रकार अमृतलाल नागर ने कहा है कि "भाषा ही एकमात्र ऐसी चीज है जो हमें मनुष्य बनाती है।"
❤️ भाषाविद् नंद किशोर वाजपेयी ने कहा है कि "भाषा हमारे जीवन का एक मूलभूत हिस्सा है। यह हमारे विचारों, भावनाओं और अनुभवों को व्यक्त करने का एक तरीका है।"
❤️ पत्रकारिता के विशेषज्ञ रॉबर्ट मैकनेली ने कहा है कि "भाषा पत्रकारिता का एक महत्वपूर्ण उपकरण है। यह पत्रकारों को समाचार और जानकारी को संप्रेषित करने और लोगों को शिक्षित करने की अनुमति देता है।"
भाषा एक शक्तिशाली संसाधन है। यह लोगों को एक-दूसरे से जोड़ती है, विचारों को साझा करती है, और संस्कृति को संरक्षित करती है। मीडिया, जो समाज के बारे में जानकारी प्रदान करने और लोगों को शिक्षित करने का काम करता है, के पास भाषा का उपयोग करने की एक बड़ी जिम्मेदारी है।
आज के मीडिया में, हालांकि, भाषा को लेकर बहुत कम सोच दिखाई देती है। अक्सर, मीडिया भाषा का उपयोग एक त्वरित और आसान तरीका के रूप में किया जाता है ताकि लोगों को आकर्षित किया जा सके और उनका ध्यान खींचा जा सके। इस प्रवृत्ति के परिणामस्वरूप, मीडिया में भाषा अक्सर भद्दी, अपमानजनक, और यहां तक कि हानिकारक हो जाती है।
भाषा के संबंध में मीडिया की नीति भी अक्सर स्पष्ट नहीं होती है। कुछ मीडिया संगठनों के पास भाषा के उपयोग के लिए लिखित दिशानिर्देश हैं, लेकिन कई के पास नहीं हैं। इसका मतलब यह है कि भाषा का उपयोग कैसे किया जाता है, यह अक्सर व्यक्तिगत पत्रकारों या संपादकों की निजी प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है।
भाषा के प्रति मीडिया की कमीज दिलचस्पी का एक और पहलू यह है कि मीडिया अक्सर भाषा की शक्ति को कम आंकती है। मीडिया अक्सर भाषा को एक उपकरण के रूप में देखता है जिसका उपयोग केवल जानकारी प्रदान करने या मनोरंजन के लिए किया जा सकता है। हालांकि, भाषा भी एक शक्तिशाली हथियार हो सकती है जिसका उपयोग लोगों को प्रभावित करने और उनके विचारों को बदलने के लिए किया जा सकता है।
भाषा के प्रति मीडिया की की दिलचस्पी के कई नकारात्मक परिणाम हैं। सबसे पहले, यह जनता को भ्रामक और हानिकारक जानकारी के अधीन रख सकता है। दूसरे, यह लोगों के बीच असमानता और पूर्वाग्रह को बढ़ावा दे सकता है। तीसरे, यह समाज में सांस्कृतिक विविधता को कमजोर कर सकता है।
भाषा के प्रति मीडिया की अधिक जागरूकता और जिम्मेदारी की आवश्यकता है। मीडिया संगठनों को भाषा के उपयोग के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश विकसित करने और उन्हें लागू करने की आवश्यकता है। मीडिया कर्मियों को भाषा के प्रभाव और शक्ति के बारे में शिक्षित करने की आवश्यकता है। और जनता को भाषा के प्रति अधिक जागरूक होने और मीडिया की भाषा का उपयोग कैसे करता है, इस पर सवाल उठाने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
भाषा एक शक्तिशाली संसाधन है जिसका उपयोग अच्छे या बुरे के लिए किया जा सकता है। मीडिया, जो समाज के बारे में जानकारी प्रदान करने और लोगों को शिक्षित करने का काम करता है, के पास भाषा का उपयोग करने की एक बड़ी जिम्मेदारी है। आज के मीडिया में, भाषा को लेकर बहुत कम सोच दिखाई देती है। अक्सर, मीडिया भाषा का उपयोग एक त्वरित और आसान तरीका के रूप में किया जाता है ताकि लोगों को आकर्षित किया जा सके और उनका ध्यान खींचा जा सके। इस प्रवृत्ति के परिणामस्वरूप, मीडिया में भाषा अक्सर भद्दी, अपमानजनक, और यहां तक कि हानिकारक हो जाती है। भाषा के प्रति मीडिया की कमीज दिलचस्पी के कई नकारात्मक परिणाम हैं। सबसे पहले, यह जनता को भ्रामक और हानिकारक जानकारी के अधीन रख सकता है। दूसरे, यह लोगों के बीच असमानता और पूर्वाग्रह को बढ़ावा दे सकता है। तीसरे, यह समाज में सांस्कृतिक विविधता को कमजोर कर सकता है।