सीखने के लिए अब सामाजिक त्योहार नहीं रहे जरूरी, बिहार सरकार के निर्णय पर एक चिंतापरक आलेख
हम सब पढ़ते आए हैं ये विचार
- "त्योहारों से हमारे जीवन में परिवर्तन और उल्लास का संचार होता है।" - महात्मा गांधी
- "त्योहारों को मनाने से बच्चों को अपनी संस्कृति और परंपराओं को सीखने का मौका मिलता है।" - डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
- "त्योहारों के दौरान, छात्र अपने आसपास की दुनिया को देखने और समझने का मौका प्राप्त करते हैं।" - अमर्त्य सेन
- "त्योहारी अवकाश छात्रों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण होते हैं।" - विश्व स्वास्थ्य संगठन
बिहार सरकार ने हाल ही में एक निर्णय लिया है जिसके तहत राज्य के सभी स्कूलों में त्योहारों पर मिलने वाली छुट्टियों में कटौती की जाएगी। इस निर्णय के अनुसार, अब राज्य के स्कूलों में दीपावली, होली, ईद, क्रिसमस आदि त्योहारों पर केवल एक दिन की छुट्टी होगी।
इस निर्णय का विरोध करने के लिए विभिन्न संगठनों ने आवाज उठाई है। उनका कहना है कि यह निर्णय बच्चों के लिए हानिकारक है। सामाजिक त्योहार बच्चों के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन त्योहारों के माध्यम से बच्चे अपनी संस्कृति और परंपराओं से जुड़ते हैं। वे समाज के बारे में सीखते हैं और दूसरों के साथ मिलजुलकर रहने का तरीका सीखते हैं।
छुट्टियों में बच्चों को अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने का मौका मिलता है। वे त्योहारों के अवसर पर तरह-तरह की गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं। इससे उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने में मदद मिलती है।
बिहार सरकार का यह निर्णय बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन है। सरकार को इस निर्णय को वापस लेना चाहिए और बच्चों को पर्याप्त छुट्टियां देने के लिए कदम उठाना चाहिए।
छुट्टियों में बच्चों को मिलने वाले लाभ
🟣 सामाजिक त्योहार बच्चों को अपनी संस्कृति और परंपराओं से जोड़ते हैं।
🟣 छुट्टियों में बच्चों को अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने का मौका मिलता है।
🟣 छुट्टियों में बच्चे तरह-तरह की गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं, जिससे उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने में मदद मिलती है।
🟣 छुट्टियों से बच्चों को तनाव कम करने और नए अनुभव हासिल करने का मौका मिलता है।
छुट्टियों में छुट्टियों की कमी के कारण होने वाले नुकसान
🔴 बच्चों को अपनी संस्कृति और परंपराओं से अलग होना पड़ सकता है।
🔴 बच्चों को अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने का मौका कम मिल सकता है।
🔴 बच्चे मानसिक और शारीरिक रूप से कम स्वस्थ हो सकते हैं।
बच्चों को तनाव अधिक हो सकता है और वे नए अनुभव हासिल करने से वंचित रह सकते है।
निष्कर्ष
बिहार सरकार को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए और बच्चों को पर्याप्त छुट्टियां देने के लिए कदम उठाना चाहिए। सामाजिक त्योहार बच्चों के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं और इनमें बच्चों को भाग लेने का अधिकार है।