मुस्लिम बच्चे को बच्चों से पिटवाने वाले मामले का शिक्षा, शिक्षक, शिक्षार्थी और शिक्षण के नजरिए से शिक्षाशास्त्रीय विवेचन और इस घटना से सबक लेते हुए शिक्षकों हेतु जरुरी सलाह

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मुस्लिम बच्चे को बच्चों से पिटवाने वाले मामले का शिक्षा, शिक्षक, शिक्षार्थी और शिक्षण के नजरिए से शिक्षाशास्त्रीय विवेचन और इस घटना से सबक लेते हुए शिक्षकों हेतु जरुरी सलाह  


उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर के एक निजी स्कूल में एक टीचर के कहने पर बच्चों के अपनी ही कक्षा के एक मुस्लिम बच्चे को एक के बाद एक थप्पड़ मारने का मामला सामने आया है। इस घटना को लेकर देशभर में बवाल मचा है। राजनीति से हटकर इस घटना का शिक्षा, शिक्षक, शिक्षार्थी और शिक्षण के नजरिए से विस्तृत शिक्षाशास्त्रीय विवेचन जरूरी भी है और यह इस प्रकार किया जा सकता है:



🤔 शिक्षा के नजरिए से, यह घटना एक गंभीर शिक्षाशास्त्रीय विफलता है। शिक्षकों का दायित्व है कि वे अपने छात्रों को नैतिक मूल्यों और सद्भाव की शिक्षा दें। इस घटना में, शिक्षक ने न केवल एक बच्चे के साथ शारीरिक और भावनात्मक हिंसा की, बल्कि उस बच्चे के धर्म के आधार पर उसके साथ भेदभाव भी किया। इससे छात्रों में भी धार्मिक द्वेष और असहिष्णुता का भाव पैदा हो सकता है।


🤔 शिक्षक के नजरिए से, यह घटना एक शिक्षक के लिए शर्मनाक है। शिक्षकों को अपने छात्रों के लिए एक आदर्श और प्रेरणा स्रोत होना चाहिए। इस घटना में, शिक्षक ने अपने छात्रों के लिए एक गलत उदाहरण पेश किया। इससे छात्रों में भी हिंसा और भेदभाव को बढ़ावा मिल सकता है।


🤔 शिक्षार्थी के नजरिए से, यह घटना एक शिक्षार्थी के लिए एक बुरा अनुभव है। इस घटना से बच्चे को शारीरिक और भावनात्मक पीड़ा हुई है। इससे बच्चे में आत्मविश्वास की कमी, भय और असुरक्षा की भावना पैदा हो सकती है।


🤔 शिक्षण के नजरिए से, यह घटना एक शिक्षण के उद्देश्यों को विफल करती है। शिक्षण का उद्देश्य छात्रों को ज्ञान, कौशल और मूल्य प्रदान करना है। इस घटना से छात्रों में नैतिक मूल्यों और सद्भाव की शिक्षा को नुकसान पहुंचता है।




इस घटना से सबक लेते हुए शिक्षकों हेतु जरुरी सलाह

👉  शिक्षकों को अपने छात्रों के साथ शारीरिक या भावनात्मक हिंसा का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

👉 शिक्षकों को अपने छात्रों के धर्म, जाति, लिंग या अन्य किसी भी आधार पर उनके साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए।

👉  शिक्षकों को अपने छात्रों को नैतिक मूल्यों और सद्भाव की शिक्षा देनी चाहिए।

👉  शिक्षकों को अपने छात्रों में सहिष्णुता और समावेश की भावना विकसित करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।



शिक्षकों को यह याद रखना चाहिए कि वे अपने छात्रों के लिए एक आदर्श और प्रेरणा स्रोत हैं। उनके व्यवहार और कार्यों से छात्रों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए, शिक्षकों को अपने व्यवहार में सावधानी बरतनी चाहिए और छात्रों को नैतिक मूल्यों और सद्भाव की शिक्षा देनी चाहिए।



✍️ लेखक : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित शिक्षक
फतेहपुर

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