हमें बच्चों को ऐसी शिक्षा नहीं देनी चाहिए जिससे वे श्रम का तिरस्कार करें।
कौन नहीं करता सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग?
और
सत्ता का सुख देखने का नजरिया बदल देता है।
के अपवाद पुरुष
लाल बहादुर शास्त्री
को मेरा शत शत नमन !
हमें बच्चों को ऐसी शिक्षा नहीं देनी चाहिए जिससे वे श्रम का तिरस्कार करें।
बापू अगर आज तुम होते।
ReplyDeleteगाँधी अब बाज़ार हैं,औजार हैं,
ReplyDeleteहम लाचार और शर्मसार हैं !
फिर भी हे मोहन ! आज तुम बहुत याद आ रहे हो !
शास्त्रीजी अपनी सादगी के लिए हमेशा बेमिसाल रहेंगे !
ReplyDeleteइन दोनों अपवादों को नमन
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteजिस रूप में अहिंसा का गांधीजी ने प्रतिपादन किया था वह अब शुभ आग्रह मात्र न रह कर, एक आवश्यकता हो गई है।
ReplyDeleteशत शत नमन।
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteचित्र को थोडा मरोड दें तो प्रश्नसूचक बन जाएगा और आज देश की स्थिति ऐसी है :(
ReplyDelete'shradhya dwiz ko naman'
ReplyDeletepranam ma'sahab