"तुम लोगों को देखते हो -- वे दुखी हैं क्योंकि उन्होंने हर मामले में समझौता किया है, और वे खुद को माफ नहीं कर सकते कि उन्होंने समझौता किया है। वे जानते हैं कि वे साहस कर सकते थे लेकिन वे कायर सिद्ध हुए। अपनी नजरों में ही वे गिर गए, उनका आत्म सम्मान खो गया। समझौते से ऐसा ही होता है।"
और मै ना-समझ अब तक मेरा सुख ना छीन लिया जाए ,,,इस भय से रोज कोई ना कोई समझौता करता जा रहा हूँ | आखिर हम हैं, तो वही सड़ी मिडिल क्लास मेंटेलिटी वाले ......अपने घर में नहीं पड़ोसी के घर में भगत सिंह के पैदा होने की कामनाएं करने वाले !
ओशो इसी से प्रभावित करते हैं..कितना खरा कहा है..
ReplyDeleteप्रभावित तो आप भी करते हैं. :)
ReplyDeleteसीमितता के कारण कहीं न कहीं तो रुकना पड़ेगा, उसे समझौता करना न कहा जाये । अपनी क्षमता के मुहाने पर खड़े होकर यदि अपने समझौते आँकेंगे तो आपको ग्लानि नहीं होगी ।
ReplyDeleteसुंदर विचार
ReplyDeleteबहुत अच्छी लगी यह पोस्ट...
ReplyDeleteकही न कहीं हम समझौता करते दिखते है , कही मजबूरी तो कहीं जिम्मेदारी और कही नासमझी ....
ReplyDeleteजो इस बोझ से निकल गया वो बस कतार से अलग महानता की श्रेणी में शामिल हो गया
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ReplyDeleteसम्झोता तो करना ही पडता है जीवन मे . नही करना है तो दार्शनिक बन जाये
ReplyDeleteसमझौते में नहीं बल्कि डरकर या कुढ़ते हुए किये गए समझौते में बुराई है.
ReplyDeleteप्रवचन में परख नज़र आती है
ReplyDelete@प्रवीण पाण्डेय
ReplyDeleteहाँ सीमितता के कारण कहीं न कहीं तो रुकना पड़ेगा
....मानता हूँ ....पर असली खीझ होती है जब कुछ अनजाने भय के कारण हम समझौता-वादी हो जाते हैं |
@dhiru singh {धीरू सिंह}
समझौता तो करना ही पडता है जीवन मे . नही करना है तो दार्शनिक बन जाये
.......मुझे लगता है समझौता ना करें तो ...दार्शनिक बनने के बजाय क्रांतिकारी बनने या विद्रोही बनने की ज्यादा संभावना होगी !!
मिडल याने न इधर का न उधर का
ReplyDeleteवैसे हमने अपने जीवन में कभी समझौता नहीं किया ;-)
ReplyDeleteपर हमेशा अपनी अकड़ की कीमत चुकाई है.
लेकिन राम जी की सौगंध कभी गलत बात के आगे घुटने नहीं टेके.
वैसे हमेँ लगता है कि किसी भी घटना को देखने का प्रत्येक व्यक्ति का अपना दृष्टिकोण होता है, इसे गडबडाने नहीं देना चाहिये वरना दृष्टिकोण का दुष्ट-कोण होते देर नहीं लगती.
कुछ लोग कहते हैं कि राम जी ने अपना अधिकार (राज-पाट) छोड़ कर समझौता किया, पर यह गलत दृष्टिकोण है.
राम जी ने अपने परिवार के सम्मान (पूर्वजों की उदारता, दानशीलता) की कद्र की.
भरत के ह्रदय में विराजमान हुए. स्वयं कैकेयी ने पछता कर रोकना चाहा. पर वनगमन को चुन लेना वीरता और पराक्रम का परिचायक है. राम मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाये.
राम को समझौतावादी कहना गलत होगा.
हमारी इस खिचड़ी का मतलब है कि आप भी समझौता भले ही करें पर उसमें अपनी बहादुरी खोज ही निकालें.
हा हा हा
सच में आपका आत्मविश्वास से छाती फूल जायेगी और आप जीवन में न तो दुखी होंगे, न पछताएंगे, न हारेंगे, बस मर्यादा पुरुषोत्तम कहे जायेंगे.
और हम सब ही तो राम हैं !!
रावणों से लड़ते चलें. त्याग और तपस्या करते चलें.
शुभकामनाएं.
माट साब.
gurudev !darr to sab jagah bharaa hai,khaaskar hamare dimaag me aur iska khatma naitik bal aur aatm-vishvaas se kiya ja sakta hai !
ReplyDeleteसमझौतावादी या समन्वयवादी . यही हमारी संस्कृति की विशेषता है ।
ReplyDeleteसमझौतावादी या समन्वयवादी . यही हमारी संस्कृति की विशेषता है ।
ReplyDeleteसमझौतावादी या समन्वयवादी . यही हमारी संस्कृति की विशेषता है ।
ReplyDeleteसही कहा, पर इसका इलाज भी क्या है?
ReplyDelete---------
क्या आप बता सकते हैं कि इंसान और साँप में कौन ज़्यादा ज़हरीला होता है?
अगर हाँ, तो फिर चले आइए रहस्य और रोमाँच से भरी एक नवीन दुनिया में आपका स्वागत है।
वाह क्या बात कही है मास्टर साहेब !
ReplyDeleteमन के विचार है ...और क्या कहें ?
सही चिंतन !
ReplyDeleteस्मार्ट इंडियन की बात सही लगती है।
ReplyDeleteमास्टर साहब, इस शमा को जलाए रखें। कुछ नया भी बताएँ।
ReplyDelete................
नाग बाबा का कारनामा।
व्यायाम और सेक्स का आपसी सम्बंध?
आपका ब्लॉग और परिकल्पना बहुत अच्छी लगी.... एक प्रायमरी छात्र कि मा होने के नाते मुझे भी लगता है भारत में अभी बहुत बदलाव आने जरुरी है ...यहाँ प्रायमरी शिक्षा जादातर शहरोमे एक व्यवसाय बन गया है ......
ReplyDeleteआपकी पोस्ट बहुत सही लगी .... जब तक मेंटालिटी नहीं बदलेगी (?)... कुछ नहीं हीओ सकता है ....
आपको शुभकामनाये
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