जहाँ तक मेरी समझ है कि इस वर्ष कक्षा एक से आठवीं तक की किताबों में यह बदलाव कोर्स, रंग, कलेवर और गुणवत्ता में सुधार के लिए किये गये हैं। यह कोशिश इसलिए की गई है ताकि कान्वेन्ट स्कूलों में साफ, बेहतर रंगों की किताबें पढ़ाये जाने के कारण सरकारी स्कूल की किताबें उनका मुकाबला कर सकें। पहली बार अच्छे रंगों और बेहतर ग्राफिक्स का इस्तेमाल भी किताबों में किया गया है।
इसे नकली नोटों के कारोबार का खौफ मानें या बच्चों में जागरुकता की पहल। बेसिक शिक्षा विभाग की किताबों में इस वर्ष से अब बच्चों को नकली नोट की पहचान करना भी पढ़ाया जाएगा।आठवीं कक्षा की विज्ञान की किताब में 'नोट को जानिए' पाठ को नये पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। पहली बार आठवीं की विज्ञान की किताब में बताया जाएगा कि असली नोट कैसा दिखता है और इसके क्या-क्या गुण होते हैं। इससे नकली नोट में कैसे अंतर किया जा सकता है।
इसी तरह बैंकों की कार्यप्रणाली को इस बार आठवीं कक्षा की अंकगणित की किताब में शामिल किया गया है। कोर्स में ऐसे ही कुछ बदलावों के साथ प्राइमरी और जूनियर कक्षाओं में किताबों को ग्राफिक्स, रंग और नये नाम के साथ बच्चों को दिया जाएगा। यह किताबें जुलाई से प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में बच्चों को मुफ्त दी जा रही हैं । कक्षा आठ में छात्रों को अंकगणित की किताब में बैंक का खाता खोलने के तरीके, उनका फार्म भरना, बचत खाता, सावधि खाता फार्म भरने की जानकारी दी जाएगी। बैंकिंग को पहली दफा अधिक विस्तृत रूप से इस कोर्स में शामिल किया गया है।
इसके अलावा किताबों में हुए बदलावों में प्राइमरी कक्षाओं में पढ़ाई जाने वाली माई इंग्लिश रीडर और एलिमेंट्री इंग्लिश की किताब का नाम अब रैनबो कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त अभी तक अंग्रेजी की किताबों में किसी भी अंग्रेजी के शब्द के बगल में कोष्ठक में उसका उच्चारण भी दिया रहता था। इससे छात्रों को हिन्दी के शब्द तो याद रहते थे पर अंग्रेजी याद नहीं रहती थी। इस बार अंग्रेजी के साथ हिन्दी के शब्दों को हटा दिया गया है।
विज्ञान की किताब में कम्प्यूटर नेटवर्किंग और इंटरनेट को सरल उदाहरणों के साथ समझाया गया है। ये किताबें प्रदेश के प्राइमरी और जूनियर कक्षाओं के सवा दो करोड़ बच्चों को बांटी जानी है। सभी जिलों में लगभग यह किताबें पहुंचा दी गई हैं। जल्दी ही यह सभी किताबें बच्चों के बीच बाटीं जा रही हैं ।
और हाँ मेरे अपने स्कूल में यह बाटीं जा चुकी हैं ........ पर बच्चे कॉपियाँ लायें इस इन्तजार में हम धीरे धीरे ही पढ़ा रहे हैं । पर हर वर्ष नई किताबों की आवक में कुछ समस्यायें भी आती हैं । जरा आप भी गौर फरमाएं ....
हर वर्ष किताबों के नाम बदले जा रहे हैं ...इससे बच्चे मूलतः किस विषय की किताब हैं इस भ्रम में रहते हैं । जैसे - हिन्दी की किताब पिछले सालों से भाषाकिरण ,कलरव ,मंजरी के रूप में बदली गई। संस्कृत की किताब अब वर्तिका हो गयी । ENGLISH की किताब कभी MY ENGLISH READER ,ELEMENTARY ENGLISH , तो अब RAIMBO हो गयी । बार बार पाठ्यक्रम में बदलाव से बच्चों के साथ साथ अध्यापकों को भी अलग तरह की दिक्कतें होती हैं (ध्यान दें यह आक्षेप प्रति वर्ष होने वाले परिवर्तनों के प्रति है ; आखिर दशकों तक पाठ्यक्रम न करने वाले दिमागों में प्रतिवर्ष बदलाव का जूनून अचानक कैसे?)
सुधार तो अच्छे मालूम देते हैं.
ReplyDeleteइन सारी विडम्बनाओं के बाद भी और बावजूद भी शिक्षा विभाग की गाडी खिंच तो रही है !
ReplyDeleteशिक्षा में राजनीतिक हस्तक्षेप बन्द होना चाहिए।
ReplyDeleteBadhiyaa jaankaaree dee hai aapne. Ye sudhaar bhee sakaratmak hai. Par abhi bahut sudhaar aur kiye jaane jaroori hain. Achchha yah hai ki gaadi sahi disha men chal padi hai.
ReplyDeleteअच्छी पहल व्यावहारिक ज्ञान देने की
ReplyDeleteबदलाव आवश्यक है किन्तु उसे आवश्यक होना चाहिए
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गुलाबी कोंपलें · चाँद, बादल और शाम
हम चाहते थे कि रेलवे के लेवल क्रासिंग को कैसे पार किया जाये, उसपर भी स्तरीय पाठ हो पुस्तकों में। शायद जुड़ा भी था। अब है या नहीं?
ReplyDeleteअग्रेजी जरुरी है हिन्दी को बिलकुल ही हटा देना चाहिये, नेहरु गांधी के बंश कै बारे जरुर इन किताबो मै लिखा होना चाहिये, बाकी समेलिंगत से क्या क्या लाभ है यह भी जरुर बच्चो को पढाना चाहिये... ओर क्या होगा इन नयी किताबो मे?
ReplyDeleteइसी का परिणाम है कि ऋ से ऋषि की जगर ऋतिक और ऐ से ऐनक की जगह ऐश्वर्या पढ़ाया जा रहा है।
ReplyDeleteye to aapne bataya hi nahee ki poore uttar pradesh me sarkaree kitaab ki kaalaa bazaaree ho rahee hai
ReplyDeletethok vikreta 1 prtisht choot de rahe hai aur dukaandaar graahak se 3 rupaye prti kitaab m.r.p. se jyada parti kitaab bech rahe hain
venus kesari
नकली नोट छापना कब सिखाना शुरू करेंगे सर! हम तो उसी दिन का इंतज़ार कर रहे हैं. वैसे भी इस पढ़ाई-लिखाई के बाद अंततः यही तो करना है.
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