बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा बच्चों को स्कूली शिक्षा के लिए तैयार करने के लिए निजी स्कूलों की तर्ज पर इस बार परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में नर्सरी कक्षा चलाये जाने का निर्णय लिया गया था , वहीं पढ़ाई में कमजोर बच्चों की दिक्कतों को दूर करने की खातिर 'उपचारात्मक शिक्षा' का विस्तार का फैसला।
विकलांग बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए इस साल 'प्री-इन्टीग्रेशनकैम्प' आयोजित किये जाने हैं और गरीबी के अभिशाप के कारण शिक्षा से वंचित बच्चों के लिए छह जिलों में 'मोबाइल स्कूल' भी चलाने का इरादा है।
सर्व शिक्षा अभियान के कर्ताधर्ताओं का कहना हैं कि स्कूलों के प्रति बच्चों का आकर्षण बनाये रखने और 'ड्राप आउट' दर को कम करने की दृष्टि से नये शैक्षिक सत्र के लिए बहुआयामी रणनीति बनायी गई है। रणनीति के तहत इस बार हर जिले के 200 और सूबे के 14200 प्राथमिक स्कूलों में दस महीने के लिए प्री-प्राइमरी कक्षा चलायी जाएंगी, जिससे कक्षा एक में दाखिल होने वाले बच्चों की शैक्षिक नींव मजबूत हो सके। इन बच्चों को औपचारिक पाठ्यसामग्री की बजाय खेलों के जरिये पढ़ाया जाएगा। नर्सरी कक्षा के लिए ऐसे स्कूलों का चयन किया जाएगा जिनमें तीन या उससे अधिक शिक्षक व कमरे , पर अब तक जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारी अब तक ऐसे स्कूलों का चयन ही नहीं कर पायें हैं !! वैसे अब सूबे के प्राथमिक स्कूलों में इन मानकों पर विद्यालय ढूढना भी एक टेढी खीर होगी ।
प्रदेश के 1.05 लाख परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 17 अगस्त से 'पठन कौशल विकास' कार्यक्रम चलाने की तैयारी है। इसके तहत कक्षा एक और दो के बच्चों को हिंदी और अंकगणित का समुचित ज्ञान दिया जाएगा ताकि उन्हें आगे की कक्षाओं में कठिनाई न हो और वे पढ़ाई न छोड़ें। रंगबिरंगे कार्ड के माध्यम से बच्चों में पढ़ने का कौशल विकसित किया जाएगा।
ऐसे ही उच्च प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों द्वारा महसूस की जाने वाली कठिनाइयों को दूर करने के लिए गणित व विज्ञान में कौशल विकास कार्यक्रम चलाये जाएंगे। इन बच्चों को उपकरणों के जरिये विज्ञान के सिद्धांतों और किट के जरिये गणित की बारीकियों से रूबरू कराया जाएगा।
सभी परिषदीय स्कूलों में कक्षा दो और तीन के कमजोर बच्चों को हिंदी भाषा और गणित विषयों के लिए चलाये जा रहे उपचारात्मक शिक्षण कार्यक्रम को विस्तार देने की योजना है। अब तक इस कार्यक्रम के तहत स्कूलों की सामान्य कक्षाओं के अलावा सितम्बर-अक्टूबर के दौरान एक महीने का विशेष कार्यक्रम चलाया जाता था। अब फरवरी में भी 15 दिनों का विशेष कार्यक्रम चलाया जाएगा। इसी तर्ज पर पहली बार अपर प्राइमरी स्कूलों की कक्षा सात में विज्ञान और गणित विषयों में कमजोर बच्चों के लिए भी 'उपचारात्मक शिक्षा' कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।
विकलांग बच्चों को सामान्य स्कूलों में प्रवेश हासिल करने में आने वाली दिक्कतों को दूर करने के लिए दृष्टिहीन और श्रवणबाधित बच्चों के लिए प्रदेश के 52 जिलों में 110 'प्री-इन्टीग्रेशन कैम्प' आयोजित करने की भी योजना है। यह दस महीने का आवासीय शिविर होगा जिसमें दृष्टिहीन बच्चों को ब्रेल लिपि और श्रवणबाधित बच्चों को श्रव्य उपकरणों के जरिये इस हिसाब से शिक्षा दी जाएगी ताकि वह अगले वर्ष सामान्य स्कूलों में अपनी आयु के अनुरूप कक्षाओं में प्रवेश पा सकें। भविष्य में इस कार्यक्रम को विकलांगता की अन्य श्रेणियों में आने वाले बच्चों के लिए भी लागू किया जाएगा।
नगरीय क्षेत्र में परिषदीय प्राथमिक स्कूलों की खस्ता हालत के मद्देनजर सूबे के सभी मंडलीय मुख्यालयों में आधुनिक सुविधाओं से युक्त दो-दो बहुमंजिला भवन बनवाये जाएंगे जिनमें कक्षा एक से आठ तक के स्कूल संचालित होंगे। अभियान के तहत प्राइमरी और अपर प्राइमरीस्तर पर एक-एक कक्षाओं का चयन करके किसी बाहरी संस्था से इन कक्षाओं में पढ़ रहे बच्चों के शैक्षिक स्तर का मूल्यांकन भी कराया जाएगा। इस मूल्यांकन में कमजोर पाये गए बच्चों को अगले वर्ष (2010-11) में उपचारात्मक शिक्षा के लिए चिन्हित किया जाएगा।
नये शैक्षिक सत्र में गोरखपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, कानपुर नगर, आगरा और अलीगढ़ में वंचित वर्ग के बच्चों के लिए मोबाइल स्कूल भी चलाने की योजना है। इसके तहत प्रत्येक जिले के लिए रोडवेज की एक निष्प्रयोज्य बस खरीदी जाएगी जिसे पढ़ाई के लिहाज से दुरुस्त कराया जाएगा। यह बस रोजाना एक निश्चित स्थान (मलिन बस्ती) में जाएगी और वहां कुछ घंटे खड़ी रहेगी। बस में सवार शिक्षक मलिन बस्ती के बच्चों को कक्षा एक से तीन तक की शिक्षा देंगे। भविष्य में इस योजना में कक्षा चार और पांच की शिक्षा भी शामिल की जाएगी।
तो चलिए आप के साथ हम भी इन बदलावों का इन्तजार कर रहे हैं क्योंकि हमारे माध्यम से ही यह योजनायें लागू होनी जो हैं?
(समाचार साभार -दैनिक जागरण )
अच्छे की उम्मीद है.
ReplyDeleteअरे पहले आंगनबाड़ी तो ढ़ंग से चला ले फ़िर सोचे इसके बारे में....
ReplyDeleteहम धीमे चल रहे हैं और क़दम भी डगनगा रहे हैं लेकिन बूँद-बूँद करके ही घड़ा भरता है, बस आशा है कि सब व्यवस्था ठीक हो जाए!
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योजनायें तो अच्छी है. आगे देखते है क्या होता है..
ReplyDeleteआशा करनी चाहिए कि संबंद्ध पक्ष इन योजनाओं को सफल होने देंगे.
ReplyDeleteआपका प्रयास हमेशा ही सराहनीय रहा है. मैं समझता हूँ कि शिक्षा की जड़ें जब तलक मजबूत नहीं होंगीं, सारी सिक्षा अभियान बे-कारगार ही होंगे!
ReplyDeleteजारी रहें.
अमित के सागर
achchhi jaankaari hai. dheeme hee sahi chaliye kuchh to vikaas hua
ReplyDeleteप्रवीण जी ,
ReplyDeleteसर्व शिक्षा अभियान यह अभियान शुरू करके पता नहीं क्या करना छह रहा है?क्या आई सी दी एस केन्द्रों ,और सर्व शिक्षा अभियान के ही शिशु केन्द्रों द्वारा यही कIम नहीं किया जा रहा था अब तक ?
मैंने तो स्कूल रेडीनेस का माड्यूल भी देखा है ..उसमें भी कुछ नया नही है .सब कुछ शिशु शिक्षा केन्द्रों की दीदी के लिए तैयार पुस्तक से यथावत उतIर दिया गया है .
मुझे ये समझ में नहीं आ रहा है की सर्व शिक्षा अभियान के साथ ये नयी योजना जोड़ कर सरकार क्या करना चाह रही है .कही यह आई सी दी एस विभाग को ही बंद करने की तैयारी तो नही.?
हेमंत कुमार
मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! बहुत ख़ूबसूरत कविता लिखा है आपने! अब तो मैं आपका फोल्लोवेर बन गई हूँ इसलिए आती रहूंगी!
ReplyDeleteमेरे ब्लोगों पर आपका स्वागत है-
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सही दिशा में एक और कदम, देखें क्रियान्वन कितना अच्छा हो पाटा है.
ReplyDeleteआशा ही कर सकता हूँ कि क्रियान्वयन भ्रष्टाचार की भेंट न चढ़ जाय ।
ReplyDeleteइस सुन्दर लेख के लिए बधाई,
ReplyDeleteसाथ ही आपको जन्म-दिन की भी
हार्दिक शुभकामनाएँ।