कोर्ट ने सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा सचिवों को अग्निशमन उपकरण लगाने के बाद एक माह के भीतर जरूरी हलफनामा दाखिल कर आदेश पर अमल की जानकारी देने का भी निर्देश दिया है।
माननीय न्यायमूर्ति दलबीर भंडारी व लोकेश्वर सिंह पंटा की पीठ ने स्कूली बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग वाली एक जनहित याचिका पर यह अहम फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका अविनाश मेहरोत्रा ने मद्रास के लार्ड कृष्णा स्कूल में 93 बच्चों की जल कर हुई मौत की घटना के बाद दाखिल की थी।ध्यान रहे की यह घटना कुछ समय पहले हुई थी ।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि सभी राज्य सरकारें व केंद्र शासित प्रदेश स्कूलों को मान्यता या पंजीकरण देने से पहले यह सुनिश्चित करें कि स्कूल की इमारत हर तरह से सुरक्षित है। इमारत का निर्माण नेशनल बिल्डिंग कोड आफ इंडिया के सुरक्षा मानकों के मुताबिक हुआ है। सभी सरकारी व निजी स्कूलों में छह माह के भीतर अग्निशमन उपकरण लगाए जाएं। पीठ के कहा है कि स्कूल की इमारतों में ज्वलनशील सामग्री नहीं रखी जाए और अगर ऐसी सामग्री स्कूल में रखना जरूरी ही है तो उसे सुरक्षित ढंग से रखा जाए।
अदालत ने आदेश दिया कि समय-समय पर स्कूलों की इमारतों का निरीक्षण कराया जाए। निरीक्षण करने वाले इंजीनियर नेशनल बिल्डिंग कोड के पालन के बारे में सख्त होंगे और इमारत का निरीक्षण करने के बाद ही सुरक्षा प्रमाणपत्र जारी करेंगे। कर्तव्य निर्वहन में कोताही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ तत्काल अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि अध्यापकों व स्कूल स्टाफ को अग्निशमन उपकरणों के प्रयोग के बारे में समुचित प्रशिक्षण दिया जाए।
कोर्ट ने यह भी कहा कि ये सुरक्षा उपाय राज्यों द्वारा उठाए गए सुरक्षा उपायों के अतिरिक्त होंगे। जनहित याचिका में लार्ड कृष्णा स्कूल व डबवाली कांड आदि में स्कूली बच्चों की जलने से हुई मौत की घटनाओं का हवाला देते हुए स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए समुचित नीति तय किए जाने की मांग की गई थी। अदालत ने अपने फैसले में विभिन्न राज्यों द्वारा स्कूलों की सुरक्षा के संबंध में उठाए गए कदमों को भी दर्ज किया है।
वैसे ज्यादातर शिकायतें निजी स्कूलों के बारे में सुनाई पड़ती रही हैं , लेकिन नियामक एजेंसियों के नकारेपन की वजह से किसी प्रकार की रोक अब तक नहीं दिखायी पडी है । चलिए उम्मीद करते हैं की शायद अब कुछ आँख खुले ?
अच्छी जानकारी दी मास्साब!बच्चों की भलाई के लिये कोई कदम तो उठा,एक और दिशा मे भी प्रयास होना चाहियें।नाबालिग छात्रो को बिना लायसेंस के गाड़ी चलाने से भी रोका जाना चाहिये।
ReplyDeleteअच्छी जानकारी दी मास्साब!बच्चों की भलाई के लिये कोई कदम तो उठा,एक और दिशा मे भी प्रयास होना चाहियें।नाबालिग छात्रो को बिना लायसेंस के गाड़ी चलाने से भी रोका जाना चाहिये।
ReplyDeleteस्कूल ही क्यों, भारत में आपदा-पबन्धन को जो उपेक्षा हर जगह दी जाती है वह घोर निन्दनीय है।
ReplyDeleteस्वागत योग्य कदम है... वैसे कितने कारगर तरीके से लागू हो पाता है यह तो समय ही बतायेगा !
ReplyDeleteवाह जी वाह ये तो बहुत ही अच्छी जानकारी दी है आपने चलो कम से कम कुछ तो आपदा से निपटने का कदम बढाया कोर्ट ने बेहतरीन जानकारी देने के लिए बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteदेर से ही सही, जागे तो सही! ऐसी पहल सभी बिल्डिंगों में होनी चाहिये!
ReplyDeleteबहुत ही सराहनीय कदम है.. आपका भी बहुत आभार इस खबर को यहाँ बांटने के लिए..
ReplyDeleteब्लॉग का टेम्पलेट बहुत बढ़िया है.. जँच रहा है ब्लॉग तो :)