कुछेक संदर्भ ऎसे ही होते हैं, मित्र ! मार खा कर दूसरों को जगाते रहने को श्रापित.. अपने घाव ढक कर जग को जिलाने वाले.. दार्शनिक नज़रिये से एक सुंदर प्रस्तुति !
mere blog per aapka comment padha... dhanyawaad... fir abhi aapke blog per ye tasveer dekhi... teen shabd ek puri ki puri vyavastha ki khami ko ujaagar karne wale hain
इस घंटे ने पुरानी याद दिला दी ! स्कूल में होम वर्क न करने के कारण डरा हुआ था ! मैं "नंबर एक" का बहाना करके बाहर गया और घंटा बजा दिया ! लेकिन भेद खुल गया और मेरे उस साहसिक कारनामे के लिए बहुत मार पड़ी थी ! तब से मुझे सबक मिल गया कि कोई भी ग़लत काम करते हुए अत्यन्त सावधानी बरतनी चाहिए !
दो टाईम के घंटे हम लड़कों को बहुत प्रिय थे ! एक - इंटरवल का और दूसरा छुट्टी का ! मैथ के पीरियड में तो मेरे कान घंटे की आवाज सुनने को बेचैन रहते थे !
अगर हर घंटे यह न चीखे तो बच्चे रो रो कर चीखने लगेगे .
ReplyDeleteबच्चों को मारना एक सरल तरीका है अध्यापक के पास कक्षा मैनेज करने का। पर यह तरीका पढ़ाने का नहीं हो सकता।
ReplyDeleteहां घण्टे को बजाना तो दूसरी बात है।
वाह आपने एक बात से दो बातें कह दी.
ReplyDeleteइसे न मारा जाए तो बच्चे मर जाएं ।
ReplyDeleteक्या बात है!!
ReplyDeleteअब बिना मारे काम भी तो नही चल सकता।
ReplyDeleteकुछेक संदर्भ ऎसे ही होते हैं, मित्र !
मार खा कर दूसरों को जगाते रहने को श्रापित..
अपने घाव ढक कर जग को जिलाने वाले..
दार्शनिक नज़रिये से एक सुंदर प्रस्तुति !
मारपीट कोई रास्ता नही है बच्चॊं को लाइन पर लाने का !
ReplyDeleteवाह ! बहुत सूक्ष्म दृष्टि के मास्टर हो प्रवीण भाई.
ReplyDeleteइस घंटे को मारना तो बच्चों की खुशी है !
ReplyDeleteहाSSSSS
ReplyDeleteमाट साब,
आज आपने अपनी असली फोटू भी दिखा दी :)
हा हा हा हा हा हा हा हा !!!!!!!
ReplyDeletemere blog per aapka comment padha... dhanyawaad... fir abhi aapke blog per ye tasveer dekhi... teen shabd ek puri ki puri vyavastha ki khami ko ujaagar karne wale hain
ReplyDeleteइस घंटे ने पुरानी याद दिला दी ! स्कूल में होम वर्क न करने के कारण डरा हुआ था ! मैं "नंबर एक" का बहाना करके बाहर गया और घंटा बजा दिया ! लेकिन भेद खुल गया और मेरे उस साहसिक कारनामे के लिए बहुत मार पड़ी थी ! तब से मुझे सबक मिल गया कि कोई भी ग़लत काम करते हुए अत्यन्त सावधानी बरतनी चाहिए !
ReplyDeleteदो टाईम के घंटे हम लड़कों को बहुत प्रिय थे ! एक - इंटरवल का और दूसरा छुट्टी का ! मैथ के पीरियड में तो मेरे कान घंटे की आवाज सुनने को बेचैन रहते थे !
वाह हम ने तो कुछ ओर सोचा था... बहुत अच्छा लगा.
ReplyDeleteधन्यवाद
सर्वश्रेष्ठ माइक्रोपोस्ट।
ReplyDeletesir apke school me admission milega. guru ji badhai ho apko..
ReplyDeleteआपका काम बहुत अच्छा है !मेरा ब्लॉग __http://tillanrichhariya.blogspot.com/.अवलोकन करें...
ReplyDeletebin bole bhi kah gayee bahut kuchh yah tasweer
ReplyDeleteInteresting image.
ReplyDeleteमजेदार
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