इंडिया टुडे की इस मुहिम से प्रेरित होकर मैं अपना समर्थन देते हुए शपथ लेता हूँ कि -
साथ में आदरणीय दिनेशराय द्विवेदी जी को आभार सहित जिनके कारण इस मुहिम की जानकारी प्राप्त हुई और हम लोग शपथ ले पाये !!!
साथ में आदरणीय दिनेशराय द्विवेदी जी को आभार सहित जिनके कारण इस मुहिम की जानकारी प्राप्त हुई और हम लोग शपथ ले पाये !!!
हम भारतवासी अपने देश की अहिंसा एवम सहंशिलता की परम्परा मे दृढ़ विश्वास रखते है तथा निष्ठापुर्वक शपथ लेते है की हम सभी प्रकार के आतंकवाद और हिंसा का डटकर विरोध करेंगे . हम मानव जाति के सभी वर्गो के बीच शान्ति सामाजिक सुख तथा सोच कायम करेंगे और मानव जीवन मुल्यो को खतरा पहुचाने वाली विघटनकारी शक्तिओ से लडने कि शपथ लेते है .
ReplyDeleteप्राइमरी का मास्टर
आप को बहुत बहुत धन्यवाद कि आप ने इस मुहिम को आगे बढ़ाया। यह मुहिम घर घर और हर व्यक्ति तक पहुँचे।
ReplyDeleteहम इस मुहीम में आपके साथ हैं
ReplyDeleteइस मुहिम में हम आपके साथ हैं.
ReplyDeleteहमने आपसे प्रेर्ण ले ली है
ReplyDeleteमुझे इस शपथ की भाषा गुमराह करने वाली लग रही है। इसमे 'फोकस' का सर्वथा अभाव है जो किसी भी कार्य की सफलता सुनिश्चित करता है। यह देश के लोगों के गुस्से को ठ्ण्डा करने का एक और औजार लगता है।
ReplyDeleteइस जंग का सिपाही बनना चाहता हूँ . सरफरोशी की तमन्ना रखता हूँ और आतंक से किसी भी स्तर तक जाकर लडूंगा संघटित करे .
ReplyDelete. "इंडिया टुडे की इस मुहिम से प्रेरित होकर मैं अपना समर्थन देते हुए शपथ लेता हूँ कि -"
ReplyDeleteइस वाक्यांश को हटा दें तो उचित रहेगा. इंडिया टुडे के प्रचार का साधन हम लोगों का ब्लॉग क्यों बने. ऐसा नहीं है की इंडिया टुडे वालों ने हमें जगाया हो.
ha hum sab ek hai or ek saath hokar ye shapath lete hai ki aatankwaad ka milkar samna karenge
ReplyDeleteअनुनादजी से एकदम सहमत।
ReplyDeleteसिर्फ नारे लगा देने से कुछ नहीं होगा। कोई ठोस रूपरेखा होनी चाहिये। हम किस तरह इस मुहिम का हिस्सा बनेंगे, ये ना तो इण्डिया टुडे ने स्पष्ट किया ना आपने।
इस विश्वास के साथ कि हम यह जंग जरूर जीत जायेंगे मैं भी यह शपथ लेता हूँ आप ही के साथ.
ReplyDelete"मुझे इस शपथ की भाषा गुमराह करने वाली लग रही है। इसमे 'फोकस' का सर्वथा अभाव है जो किसी भी कार्य की सफलता सुनिश्चित करता है। यह देश के लोगों के गुस्से को ठ्ण्डा करने का एक और औजार लगता है।" @अनुनाद सिंह
ReplyDelete-->अनुनाद जी !! किस रूप में आपको भाषा शंकालु लग रही है??? मैं नहीं समझ पा रहा हूँ ? पर मेरा उद्देश्य व् सहयोग करने का आधार मात्र यह है की यह एक प्राथमिकता सूची में रहने वाला मुद्दा बना रहे !!!
बहार हाल मेरे प्रति यह विशवास आपको बना रहना चाहिए कि प्राइमरी का मास्टर किसी बहकावे में आ सकता है???
अनुनाद जी स्पष्ट करें, फोकस क्या होना चाहिए ताकि उस का समावेश किया जा सके।
ReplyDeleteइस जंग मे सारा देश आपके साथ है।
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