आप शायद समझ रहे हों की शायद कोई बुरा और खतरनाक अनुभव जिसकी बात मैं करने जा रहा हूँ , पर मेरा आशय उसके बजाय कुछ दूसरा है ,जो शायद आधे दिमाग की उपाधि प्राप्त मानसिक हलचल के ज्यादा करीब है । डर-असल चिट्ठाकारी या ब्लॉग्गिंग का यह नया शगल मुझे जहाँ बहुत रास आ रहा है ; वहीं यह मेरे लिए बवाले जान भी बना हुआ है । घर वालों की मीठी गोली (जिसको कड़वी लगती हो सबके सामने बताये : तो मैं जानू ) ,फ़िर अपने बेसिक शिक्षा विभाग का डर (जिसको लेकर मेरे साथी मुझको बहुत डराते हैं: लगता है कि तीन खंभों वाले आदरणीय अधिवक्ता द्विवेदी जी से मुझे भी सलाह लेनी ही पड़ेगी ?), और अपनी कर्तव्य निष्ठा में दाग न लगने देने की भरसक कोशिश । इसे आप चाहे जिस तरह से देखें ,पर है यह बहुत गंभीर!!!!!!!!! और किस हद तक यह महा गंभीर हो सकता है ............. सोच ही सकता हूँ केवल ।
दूसरे खतरों की यदि बात करुँ तो सबसे बड़ा खतरा तो टेक्नोलॉजी का आगे बढ़ जाना .....और मेरा प्राइमरी का मास्टर बनके रह जाना भी बड़ी समस्या की जड़ बन चुका है । दुष्परिणाम यह हुआ कि पिछले बीस दिनों में
मैं लगभग 20 थीम ( अरे बाबा! वही टेम्प्लेट्स ) आजमाता रहा और हर बार कुछ नया जोड़ने घटने के चक्कर में ?????? अब जाकर यही लगता है कि शायद अब जाकर यह टेम्प्लेट काम करेगी ।
अब सोचा कि दुनिया में क्या क्या हो रहा है जरा मैं भी देखूं कि मेरे भाई - बहन क्या कर रहे हैं तो मालूम चला कि मैं ही नहीं हूँ जो कि रात रात भर HTML / टेम्पलेट्स के चक्कर में लगे रहते हैं ..... जरा क्लिक करिए ( मैंने भी यहाँ टिप्पणी में पूरा ज्ञान झाड़ते हुए ; जितना अब तक हासिल किया था अंधों में काने रजा की तरह दे छापा ) ।
पता नहीं क्या कहना चाहता था , और क्या कह गया । बहरहाल अब तक जो मैंने सीखा है कुछ बिन्दु आपके सामने पेश हैं -
दूसरे खतरों की यदि बात करुँ तो सबसे बड़ा खतरा तो टेक्नोलॉजी का आगे बढ़ जाना .....और मेरा प्राइमरी का मास्टर बनके रह जाना भी बड़ी समस्या की जड़ बन चुका है । दुष्परिणाम यह हुआ कि पिछले बीस दिनों में
मैं लगभग 20 थीम ( अरे बाबा! वही टेम्प्लेट्स ) आजमाता रहा और हर बार कुछ नया जोड़ने घटने के चक्कर में ?????? अब जाकर यही लगता है कि शायद अब जाकर यह टेम्प्लेट काम करेगी ।
अब सोचा कि दुनिया में क्या क्या हो रहा है जरा मैं भी देखूं कि मेरे भाई - बहन क्या कर रहे हैं तो मालूम चला कि मैं ही नहीं हूँ जो कि रात रात भर HTML / टेम्पलेट्स के चक्कर में लगे रहते हैं ..... जरा क्लिक करिए ( मैंने भी यहाँ टिप्पणी में पूरा ज्ञान झाड़ते हुए ; जितना अब तक हासिल किया था अंधों में काने रजा की तरह दे छापा ) ।
पता नहीं क्या कहना चाहता था , और क्या कह गया । बहरहाल अब तक जो मैंने सीखा है कुछ बिन्दु आपके सामने पेश हैं -
- ज्यादा कलाकारी ठीक नहीं है, विषय वस्तु (content) ज्यादा जरूरी है ।
- असल दुनिया की तुलना में वर्चुअल दुनिया में मददगार लोग ज्यादा हैं , उनसे मुंह फोड़कर मदद लेना ज्यादा अच्छा है ।
- ट्रायल और इरर से आप जहाँ सीख भी सकते हैं । वहीं गुड -गोबर भी हो सकता है ।
- जहाँ तक हो सके घर में कोई मीठी गोली दे रहा हो , तो मुह बंद रखकर मुस्कराना सबसे अच्छा तरीका हो सकता है । जरा ट्राई करके देखें ।
- मौन भी कई बार आपको बहुत खतरनाक परिस्थितियों के मुह में जाने से बचा सकता है ।
- और अन्तिम ........... इन्टरनेट की दुनिया वर्चुअल दुनिया है , इसके चक्कर में असल दुनिया में बड़े पंगे हो सकते हैं ।
सोच रहा हूँ कि जल्दी ही प्रथम और टिप्स मित्र से सलाह लूँ कि अब तो यह टेम्पलेट परेशान तो नहीं करेगी? आख़िर हैं तो यह लोग टेक्नो - गुरु ही !!!!!
चलते चलते कोई सज्जन मदद के नजरिये से कोई सलाह देना चाहे ...... तो अपनी कसम रात भर मैं इन्तजार करूंगा ।
चलते चलते कोई सज्जन मदद के नजरिये से कोई सलाह देना चाहे ...... तो अपनी कसम रात भर मैं इन्तजार करूंगा ।
यह हर ब्लागर के साथ होता रहा है।
ReplyDeleteइसके प्रयोग करने के लिये मैं एक अलग ब्लौग बना रखा हूं.. जब उस पर सफल प्रयोग होता है तभी मैं अपने ब्लौग पर उसे डालता हूं..
ReplyDelete@ PD
ReplyDeleteha ji yah to badhiya upay hai!!!!!!!!
halaki maine bana to rakha hai , lekin ......?
yahi to hai galtiyon se seekhna .
पोस्ट में बुलेट प्वाइण्ट बिल्कुल सही हैं और यह टेम्पलेट तो झकाझकतम है! बोले तो ईर्ष्योत्पादक!
ReplyDeleteSATY VACHAN GURU DEV
ReplyDeleteIS DUNIYA KE LOG VAHEE HAI JO VASTAVIK DUNIYA KE PANGON KE LIE UTTARDAAYEE HAIN .
AAP KITANEE BHEE KOSHISH KEEJIE KOI N KOI CHAMAKA DEGA AAP JINAKE PRASHANSAK HAI VAHEE VISH VAMAN KAR DETA HAI. AAP TO KARATE JAAEN KIS KE DIL MEN KYA HAI USAKEE PARWAH KE BINA
AAPAKO HAARDIK MANGAL KAMANAAEN
DADA ISE KAA ARTH LIE SATEEK SHABD KOJ RAHA THA "ईर्ष्योत्पादक"
ReplyDeleteWAH KYA BAT HAI WAH KYA BLOG HAI
कोई घूमता हुआ ब्लॉग रोल इस blogroll (जहाँ लिखा हुआ है )में डालना बताएगा ???????????????????????
ReplyDeleteऐसा हो जाए तो मजा आ जाए
और हो जाए डबल ईर्ष्योत्पादक!!!!!!!!!!!!
Gurudev ji,
ReplyDeleteMan chota na karen. Aapne kafi chijen sikh li hain. sabse pahle to aapko dhnywaad ki aapne is template ke sabhi images ko apne space par host kar liya hai. jisse bhavisya men koi Bandwidth problem nahi hogi.
Aur thoda font chota kar den jisse shabd overlap nahi honge.
Aur sab ke liye kabhi is shishya ko yaad kar lijiyega.
Aapka Shishya
Ankit
tempalate bahut hi sober hai.
ReplyDeleteaap ke likhey binduOn par --
1-sahi kaha hai 100%
2-yah bhi sahi kaha--
3-trial -error se kya kya nuksaan ho saktey hain ye mera PC hi aap ko behtar bata sakta hai--:D
4-wasie bhi sach hai--silence is gold-
5-nahin antim baat se yun sahmat nahin ki--agar virtual duniya real duniya mein dakhal aandazi jyada karne lagegi -tabhi pangey ho saktey hain varna-
-aap apne aas -paaas kisi ko khabar na karen ki aap blog-jagat ke niwasi hain--koi problem nahin hogi-
"ज्यादा कलाकारी ठीक नहीं है, विषय वस्तु (content) ज्यादा जरूरी है" एक ही लाइन सब कुछ बता देती है कि आपने कितनी मेहनत की होगी ।
ReplyDeleteहम इस मामले में जरा आलसी है ..शुरू से अब तक मात्र २ बार टेम्पलेट बदला है
ReplyDeleteलावली की तरह हमने भी अभी तक एक बार ही बदला है. अब डोमेन खरीदने के बाद ही बदलेंगे ! वैसे मुझे तो ये बड़ा अच्छा लग रहा है सफ़ेद बैक ग्राउंड पर बड़ा अच्छा पठनीय बन पड़ता है. वैसे ज्यादा तामझाम जोड़ने से पेज स्लो भी हो जाता है :-)
ReplyDeleteअच्छी खासी टेम्पलेट बनाई है आपने प्राइमरी के मास्टर साहब. भाई ब्लागिंग हमारे लिए तो निर्मल आनंद जैसी है. लिखो तो आनंद. पढ़ो तो आनंद.
ReplyDeleteहाँ तो भाई प्राईमरी के मास्टर साहब त्रिवेदीजी इब ताऊ की बात भी सुन लो ! हम hain इस मामले में बिल्कुल ही अंगूठा छाप ! पर आपने इतने प्रेम से राय मांगी है तो राय नही दे तो आप को बुरा लगेगा ! अब ताऊ हरयाणवी से कोई सलाह मांगे और vo ना दे यह तो हो ही नही सकता ! ताऊ तो यूँ ही बिन मांगी सलाह देने को तैयार रहता है और यहाँ तो आप आगे बढ़ कर प्रेम से सलाह मांग रहे हो ! :) तो सलाह देना नितांत आवश्यक है ! कुछ उलटा सीधा हो जाए तो ताऊ को गालियाँ मत देने लगना ! :) वैसे आप गुरूजी हो तो आपको हम एक गारंटी दे रहे हैं की आपको हम उल्टे सीधे वाली सलाह नही देंगे ! इस सलाह में आपको फायदा ही फायदा है ! तो अब ध्यान से सुनो ! और हाँ अगर दुसरे बच्चे भी सुन रहे हो तो कापी किताब उठा के नोट कर लो फ़टाफ़ट ! :)
ReplyDeleteआप एक दुसरे नाम से ब्लॉग बना लीजिये ! उसको पब्लिक के लिए बंद कर दीजिये ! फ़िर सारे एक्सपेरिमेंट आप इस पर कीजिये ! अपने ड्राफ्ट किए हुए लेख भी इसी पर रखिये ! इसीमे पहले पब्लिश करके देख लीजिये की कैसे लगेंगे ?
दूसरा कोई देख नही पायेगा ! हमारे ब्लॉग पर जब आप आयेंगे तो वहाँ आपको एक ब्लॉग "ताउनामा डाट काम"
दिखेगा ! आप उसको नही देख पायेंगे ! उसमे हमारा सारा खजाना है ! आप भी ऐसा एक बना लीजिये और मजे लीजिये ! हमारी सलाह के रुपये ( टिपणी ) जल्दी भिजवा दीजियेगा ! :)
नया टैम्प्लेट मुबारक हो। अच्छा लग रहा है.....
ReplyDeleteसुन्दर। इत्ती सलाहें आ गईं।
ReplyDeleteबहुत बढीया लीखे हैं। और बस एक छोटी सी गडबडी है सायद firefox मे ठीक दीख रहा होगा।
ReplyDeleteकमेंट थोडा बाई तरफ आ रहा है। कूछ बाई तरफ कमेंट ज्यादा चला गया है।
comment format से ठीक कर सकते हैं।
"चलते चलते कोई सज्जन मदद के नजरिये से कोई सलाह देना चाहे ...... तो अपनी कसम रात भर मैं इन्तजार करूंगा ।"
ReplyDeleteपहला सुझाव तो यह है कि इस आवरण के CSS को किसी प्रोग्रामिंग के जानकार को दिखा दें क्योंकि फांट आकर्षक नहीं दिख रहा.
दूसरी बात, आप के साथ जो हो रहा है यह सिर्फ आरंभ है.किसी भी आंदोलन को आरंभ करने वाले को इसके लिये तय्यार रहना चाहिये.
लगे रहें, आप अकेले नहीं हैं!!
सस्नेह -- शास्त्री
ब्लॉग चिप्पियाँ -> आपका यह "प्राइमरी" एसे दिख रहा है।
ReplyDeleteईसे ठीक करने के लीये ईसकी Encoding UTF-8 कर दें।
encoding अभी सायद wester पर सेट है।
कल मै ईसको ईडीट कर के देखता हूं।
और एक बात बताना भूल गया, शास्त्री जी, फंट बदल्ने के लीये बता रहे हैं।
ReplyDeleteब्लाग के dashboard मे जा के layout मे फंट का आपसन आता है आप वहां से बदल सकते हैं।
प्रवीण जी,
ReplyDeleteब्लॉगिंग जी का जंजाल.. हा हा हा.. नहीं जी- यह तो शगल है और जुनून है। आपकी टेम्पलेट बहुत अच्छी है और इसे आपने बहुत अच्छे से अपने मुताबिक ढाला भी है। रही टेम्पलेट के परेशान करने वाली बात.. तो हिन्दी ब्लॉग टिप्स है न.. हम मिलकर ट्रायल एंड एरर से सब ठीक कर लेंगे .. :)
उपयोगी सीखें हैं, शुक्रिया।
ReplyDeleteहम तो अभी आप लोंगों से सीख ही रहें है .इसी तरह बताते रहिये .
ReplyDeleteजैसा कि शास्त्री जी ने कहा.... आप के साथ जो हो रहा है यह सिर्फ आरंभ है.किसी भी आंदोलन को आरंभ करने वाले को इसके लिये तय्यार रहना चाहिये.
ReplyDeleteलगे रहें, आप अकेले नहीं हैं!!
ReplyDeleteसब ठीक-ठाक तो है !
बल्कि कईयों से तो बहुत बेहतर !