Home स्वामी रामतीर्थ गुलाम गुलाम Author - personप्रवीण त्रिवेदी Friday, October 31, 2008 7 share जंज़ीरें, जंज़ीरें ही हैं, चाहे वे लोहे की हों या सोने की, वे समान रूप से तुम्हें गुलाम बनाती हैं।स्वामी रामतीर्थ Tags गुलामजंज़ीरेंसदविचारस्वामी रामतीर्थ Facebook Twitter Whatsapp Newer Older
बहुत शिक्षादायक विचार !
ReplyDeleteबहुत सुंदर विचार. लोहे के मुकाबले सोने की जंजीर ज्यादा कठिनाई से टूटती है.
ReplyDeleteभाई प्रवीण जी,
ReplyDeleteअच्छा प्रयास है। मूल्यवान विचारों के संकलन के लिये साधुवाद।
अमिताभ
good effort
ReplyDeletekeep it up
sahi baat :)
ReplyDeletenice sharing....
ReplyDeleteaapka meri website par swagat hai ..asha karta hu aapko wahan bahut se friends milenge...intzaar rahega aapki joining ka....
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बहुत ही शिक्षादायक विचार,साधुवाद।
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