स्वामी विवेकानंद के शैक्षिक विचार और आज के समय में उनकी प्रासंगिकता

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स्वामी विवेकानंद के शैक्षिक विचार और आज के समय में उनकी प्रासंगिकता 


स्वामी विवेकानंद ने शिक्षा को मानव जीवन के विकास और समाज में बदलाव का सबसे महत्वपूर्ण साधन माना। उनके अनुसार, शिक्षा का उद्देश्य लौकिक और पारलौकिक, दोनों प्रकार के जीवन के लिए व्यक्ति को तैयार करना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा से चरित्र का निर्माण होता है, मन मजबूत होता है, बुद्धि का विकास होता है, और व्यक्ति आत्मनिर्भर बनता है। 

स्वामी विवेकानंद भारतीय गुरुकुल पद्धति के समर्थक थे। इस पद्धति में शिक्षक और शिष्य के बीच घनिष्ठ संबंध विकसित होते हैं, जिससे शिक्षा अधिक प्रभावी और व्यावहारिक बनती है। उनका मानना था कि शिक्षा में धार्मिक और नैतिक विकास का स्थान होना चाहिए, ताकि व्यक्ति अपने मन और हृदय को प्रशिक्षित कर सके। उन्होंने जोर दिया कि शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित न रहकर, आत्मा और चरित्र का निर्माण करने वाली होनी चाहिए। 

उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा से समाज सेवा, आज्ञा पालन, और संतों के आदर्शों को अपनाने की क्षमता का विकास होना चाहिए। उनका विश्वास था कि ध्यान और एकाग्रता शिक्षा में सफलता के मूल आधार हैं। उनका संदेश था, "उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।" यह प्रेरणा न केवल आत्म-सुधार की दिशा दिखाती है, बल्कि ज्ञान की खोज और मानवता की सेवा को भी महत्व देती है।  

स्वामी विवेकानंद ने भारतीय दर्शन और पश्चिमी विज्ञान दोनों को संतुलित रूप से अपनाने की वकालत की। उनका कहना था कि हर व्यक्ति में ज्ञान का स्रोत मौजूद है, जिसे शिक्षक द्वारा जागृत किया जा सकता है।  



स्वामी विवेकानंद के विचारों की आज के समय में प्रासंगिकता 

आज के समय में स्वामी विवेकानंद के शैक्षिक विचार और भी अधिक प्रासंगिक हो गए हैं। वर्तमान शिक्षा प्रणाली, जो मुख्यतः अंकों और रोजगार केंद्रित है, चरित्र निर्माण और नैतिकता के पहलुओं को अक्सर अनदेखा कर देती है। ऐसे में विवेकानंद के विचार हमें शिक्षा के व्यापक उद्देश्य की याद दिलाते हैं। शिक्षा केवल नौकरी पाने का साधन नहीं, बल्कि व्यक्ति के संपूर्ण विकास का माध्यम होनी चाहिए।  

समाज में बढ़ती असमानता, हिंसा और नैतिक पतन यह दर्शाते हैं कि केवल ज्ञान नहीं, बल्कि चरित्र, आत्मसंयम और समाज सेवा के मूल्यों को बढ़ावा देना आज की सबसे बड़ी जरूरत है। स्वामी जी के विचार कि शिक्षा से मन और हृदय का प्रशिक्षण होना चाहिए, आज के दौर में सही दिशा दिखाते हैं।  

तकनीकी विकास और डिजिटल युग में, एकाग्रता और ध्यान का महत्व भी बढ़ गया है। आज की पीढ़ी, जो सोशल मीडिया और डिजिटल डिवाइस की ओर झुकी हुई है, उसे विवेकानंद के ध्यान और एकाग्रता पर जोर देने वाले विचारों से मार्गदर्शन मिल सकता है।  

शिक्षा में नैतिकता और सामाजिक जागरूकता को शामिल करना, जैसा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा था, आज के समाज के लिए अनिवार्य हो गया है। उनके द्वारा सुझाया गया भारतीय गुरुकुल मॉडल, जिसमें शिक्षक और छात्रों के बीच घनिष्ठ संबंध होता है, आज की शैक्षिक व्यवस्था में सहायक सिद्ध हो सकता है।  

स्वामी विवेकानंद का यह विचार कि ज्ञान हर व्यक्ति के भीतर निहित है और शिक्षक केवल उसे जागृत करता है, आज के शिक्षकों के लिए प्रेरणा है। यह विचार शिक्षक-छात्र संबंधों को एक नया दृष्टिकोण देता है, जहां शिक्षा केवल सिखाने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि साथ में सीखने और आत्म-खोज का माध्यम बनती है।  

विवेकानंद की शिक्षा दर्शन हमें यह याद दिलाती है कि शिक्षा केवल आर्थिक सफलता के लिए नहीं, बल्कि समाज को अधिक मानवीय, नैतिक और सहनशील बनाने का माध्यम है। उनके विचार हमें आधुनिक शिक्षा प्रणाली को एक व्यापक और गहन दृष्टिकोण से देखने के लिए प्रेरित करते हैं, ताकि शिक्षा व्यक्ति और समाज दोनों के लिए सकारात्मक बदलाव ला सके।  

स्वामी विवेकानंद के शैक्षिक विचार न केवल उनकी दूरदृष्टि का प्रतीक हैं, बल्कि आज के समय में शिक्षा को उसके असली उद्देश्य की ओर ले जाने की दिशा में मार्गदर्शक भी हैं। यह समय उनकी शिक्षाओं को अपनाने और उन्हें नई पीढ़ी तक पहुंचाने का है।  


✍️   प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

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