पति-पत्नी, घूरना और 90 घंटे का काम
पति-पत्नी का रिश्ता बड़ा ही दिलचस्प है। इसे समझने की कोशिश करना ऐसा ही है जैसे भैंस को बांसुरी सुनाना। दोनों ही एक-दूसरे को समझने के बजाय, हर वक्त शिकायतों की पोटली तैयार रखते हैं। अब हाल ही में एल एंड टी के मालिक ने इस रिश्ते पर एक तगड़ा तंज कस दिया। उनका कहना था, "90 घंटे हफ्ते में काम करो। कब तक घर बैठकर पत्नी को घूरते रहोगे?"
अब इसमें पति समाज के लिए बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ—क्या घूरना भी कोई काम है?
पहले पति पर चर्चा कर लेते हैं। भाई साहब, पति चाहे घर पर हो या ऑफिस में, एक काम में हमेशा पारंगत रहता है—घूरना। यह घूरना पति की आदत नहीं, बल्कि उसका जन्मसिद्ध अधिकार है। ऑफिस से लौटकर थका-हारा पति जब घर आता है, तो सबसे पहला काम करता है ‘पत्नी पर नजर डालना।’ फिर वह नजर वहीं अटक जाती है—चाहे पत्नी चाय बना रही हो, बच्चों को पढ़ा रही हो, या व्हाट्सएप पर बिजी हो।
और पत्नी? वह हर बार यही कहती है, “तुम्हें कोई और काम नहीं है क्या? सारा दिन घूरते रहते हो!” अब ऐसे में पति करे तो क्या करे?
उधर पत्नी का हाल भी सुन लो। अगर पति बाहर काम पर है, तो शिकायत होती है, “तुम्हें घर की फिक्र ही नहीं है।” और अगर पति घर पर है, तो डायलॉग फिक्स है, “सारा दिन सोते रहते हो या मुझे घूरते रहते हो!”
अब एल एंड टी वाले साहब ने शायद यही सोचकर यह बयान दिया होगा कि अगर पति 90 घंटे हफ्ते में काम करेगा, तो पत्नी की शिकायतें थोड़ी कम होंगी। लेकिन कौन समझाए कि पत्नी की शिकायतें खत्म होना उतना ही मुश्किल है, जितना सोशल मीडिया पर सुकून पाना।
अब सवाल यह है कि क्या 90 घंटे काम करना इस घूरने की बीमारी का इलाज है? नहीं, साहब। अगर पति 90 घंटे काम करेगा, तो पत्नी की शिकायत की दिशा बदल जाएगी। वो कहेगी, “अब तुम्हें मेरी और बच्चों की परवाह ही नहीं!”
असल में, जरूरत है ‘पति सुधार केंद्र’ खोलने की। यहां पतियों को यह सिखाया जाएगा कि पत्नी को घूरने के बजाय ‘तटस्थ’ रहना कैसे सीखें। लेकिन एक डर यह भी है कि कोचिंग सेंटर से लौटने के बाद, पति पत्नी को घूरने के बजाय दीवार, मोबाइल, या लैपटॉप को घूरना शुरू कर दे। फिर शिकायत का नया अध्याय शुरू हो जाएगा।
पति-पत्नी का रिश्ता किसी अखाड़े से कम नहीं है। जहां एक पहलवान (पति) हर वक्त अपनी ताकत (घूरने की कला) दिखाने को तैयार रहता है, तो दूसरा पहलवान (पत्नी) हर दांव को शिकायत में बदलने में निपुण है।
एल एंड टी के मालिक का बयान सुनने में भले ही मजाक लगे, लेकिन यह सोचने पर मजबूर करता है। अगर पति 90 घंटे काम करेगा, तो उसे घूरने का वक्त नहीं मिलेगा, लेकिन पत्नी शिकायत के नए मुद्दे खोज लेगी। असल समाधान यही है कि पति-पत्नी घूरने के बजाय एक-दूसरे को समझने की कोशिश करें। नहीं तो यह घूरने-शिकायत का अखाड़ा जिंदगीभर चलता रहेगा।
✍️ प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर
परिचय
बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।
शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।