नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 21 के अंतर्गत प्रत्येक विद्यालय में प्रबंध समिति का गठन किया जाएगा। विद्यालय प्रबंध समिति का कार्यकाल दो वर्ष का होगा। पंद्रह सदस्यीय समिति में 11 अभिभावकों को सदस्य बनाया जाएगा वहीं प्रधानाध्यापक सदस्य/सचिव होगा।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने जनपद समस्त सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारियों, नगर शिक्षा अधिकारी व अनुदानित व परिषदीय प्रधानाध्यापकों को इस आशय का पत्र जारी किया है। पंद्रह सदस्यीय समिति में 11 सदस्य अभिभावकों में से लिए जाएंगे। जिसमें एक अनुसूचित जाति, एक अनुसूचित जनजाति, एक अन्य पिछड़ा वर्ग का तथा एक सदस्य कमजोर वर्ग के बच्चों के अभिभावक में से होगा लेकिन पचास प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी आवश्यक है। बाकी बचे चार सदस्यों में से एक सदस्य स्थानीय प्राधिकारी के निर्वाचित सदस्यों में से होगा तथा एक सदस्य नर्स एवं मिड वाइफ में से अध्यापकों द्वारा चयनित किया जाएगा तथा एक सदस्य जिला मजिस्ट्रेट द्वारा निर्दिष्ट संबंधित क्षेत्र का लेखपाल होगा। एक सदस्य विद्यालय का प्रधानाध्यापक अथवा उसकी अनुपस्थिति में वरिष्ठतम अध्यापक होगा जो पदेन सदस्य/सचिव होगा। समिति में अभिभावक सदस्यों का चयन खुली बैठक में किया जाएगा। विद्यालय प्रबंध समिति अपने क्रियाकलापों के प्रबंधन हेतु अभिभावक सदस्यों में से एक अध्यक्ष एवं एक उपाध्यक्ष का निर्वाचन करेंगे। समिति का गठन 31 जुलाई तक प्रत्येक विद्यालय में कर लिया जाएगा।
प्रबंध समिति जहां विद्यालय की कार्यप्रणाली का अनुश्रवण एवं विद्यालय विकास योजना का निर्माण करेगी तथा उसकी संस्तुति भी करेगी। वहीं यह भी देखेगी कि विद्यालय के अध्यापक नियमित उपस्थित रहते हैं एवं बालक की निरंतर उपस्थिति एवं सीखने में की गयी प्रगति के बारे में अवगत कराते हैं और यह भी सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी अध्यापक ट्यूशन में लिप्त नहीं है। साथ ही यह भी अनुश्रवण करेगी कि अध्यापकों के ऊपर जनगणना, आपदा राहत एवं चुनाव के अतिरिक्त अन्य किसी गैर शैक्षणिक कर्तव्यों का भार नहीं डाला जा रहा है।
इस कमेटी के गठन से समस्याएं कुछ हद तक बढ़ी ही है कम नहीं हुई। कमेटी मेम्बरान का निगेटिव रवैया।हर बात में बजाय सुझाव देने के , सुलझाने के ब्लेम करने की आदत ज्यादा देखने को मिली है। एक उदाहनण है छोटा सा है क्लास टीचर (गैप टाइम) एक पिरियड से दूसरे पिरियड में क्लास म़े जाने के समय म़े मानिटर क्लास को सम्भालता है. अब मानिटर किसी एसे बच्चे कुछ कह दे जो किसी कमेटी मेंबर का बेटा है तो उस मेम्बर का यह कहना कि मोनिटर की हिम्मत कैसे हुई केवल टीचर कह सकता है। इस तरह की छोटी छोटी बातों को समस्या के रूप म़े लिया जा रहा है। टेलीफून के बिन बिजली के बिल की कापी दीजिए। अब टीचर और प्रशासन यही करेगा तो पढायेगा क्या। उलटा ये सब डिस्टर्बबिंग है.
ReplyDeleteइससे अनदाजा लगा सकते ह़ै समस्या बढ़ी हें