हा वास्तव में ऐसा ही है जो भूल गए उसका मतलब की उसे ठीक से समझा नहीं था बस रटा था सो भूल गए जो अब भी याद है इसका मतलब की उसे अच्छे से समझा था अब उसका प्रयोग हम जीवन में कभी भी कर सकते है सो असली शिक्षा तो वही हुई जो बचा हुआ हमें याद है |
वहा वहा क्या कहे आपके हर शब्द के बारे में जितनी आपकी तारीफ की जाये उतनी कम होगी आप मेरे ब्लॉग पे पधारे इस के लिए बहुत बहुत धन्यवाद अपने अपना कीमती वक़्त मेरे लिए निकला इस के लिए आपको बहुत बहुत धन्वाद देना चाहुगा में आपको बस शिकायत है तो १ की आप अभी तक मेरे ब्लॉग में सम्लित नहीं हुए और नहीं आपका मुझे सहयोग प्राप्त हुआ है जिसका मैं हक दर था अब मैं आशा करता हु की आगे मुझे आप शिकायत का मोका नहीं देगे आपका मित्र दिनेश पारीक
मैने प्रतिक्रिया पढ ली, ओर मुझे हसी आयी, की लोग कैसा सोचते है. हम शीक्षा तो लेते है मगर जो ग्यान हमारे जीवन जुडा होता है.हमारे वर्तन से जो व्यवहार चलते है..हरेक गतिविधीयों मे वो ग्यान झरता है...वही एक असली है.बाकी सब झुठ ...आइन्स्टाईण एक तत्वेता है..
जितनी बात सरल हम पढ रहे है.वो सरल नही है.बल्की गहरी है...फिर सोचे...
जो भूलने योग्य हो वह एजूकेशन नहीं। वाह।
ReplyDeleteमुझे लगता है जो खुद और जरूरत पड़ने पर सीखा वह शिक्षा है,
ReplyDeleteहुर्रे, अब हम हैं यू-ट्यूब पार्टनर, अब हमारे साथ आप भी कमाएंगे
अब कोई ब्लोगर नहीं लगायेगा गलत टैग !!!
सही है।
ReplyDeleteस्कूली पढाई — पूरी भुलाई = एजुकेशन
ReplyDelete'अल्बर्ट आइन्स्टाइन' स्वाध्याय — अपनी व्यक्तिगत राय = साइंसटिस्ट
_____________________
[ '—' चिहन 'माइनस' का मतलब 'घटा' का है]
साइंसटिस्ट = साइंटिस्ट
ReplyDeleteबिल्कुल सही....
ReplyDeleteसहमत हे
ReplyDeleteschool se ya society se seekhkar jo ham amal me laate hain , vahi education hai !
ReplyDeleteअनपढ़ हूँ क्या लिक्खूँ |कम्पूटर का जमाना है तख्ती लिखने को मिलती नहीं
ReplyDeleteजो माता-पिता के केशन मूंड दे, वो है एजु-केशन
ReplyDeleteसच है! मात्र किताबी ज्ञान को शिक्षा नहीं कहा जा सकता जैसे आँख होने मात्र से कोई दृष्टा नहीं हो जाता उसके लिये दृष्टि भी होनी चाहिये।
ReplyDeleteसादर
ab to mid day meal men ghontkar khilayi ja rahi hai education!
ReplyDeleteहा वास्तव में ऐसा ही है जो भूल गए उसका मतलब की उसे ठीक से समझा नहीं था बस रटा था सो भूल गए जो अब भी याद है इसका मतलब की उसे अच्छे से समझा था अब उसका प्रयोग हम जीवन में कभी भी कर सकते है सो असली शिक्षा तो वही हुई जो बचा हुआ हमें याद है |
ReplyDeleteजबरदस्त पंक्ति लाये इस बार.
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया.
सही है। बहुत बढ़िया|
ReplyDeletekya baat hai mazaa agaya ..... aaj apni teacher se yahi bolunga....
ReplyDeleteविचारोत्तेजक टिप्पणी
ReplyDeleteजिन्दगी जो जो चीजें याद रखवाती है, वह असली शिक्षा है।
vaah ..
ReplyDeletewww.sciencedarshan.in
बहुत दिन बीति गे महाराज ,अब तो उठि जाओ !
ReplyDeleteवहा वहा क्या कहे आपके हर शब्द के बारे में जितनी आपकी तारीफ की जाये उतनी कम होगी
ReplyDeleteआप मेरे ब्लॉग पे पधारे इस के लिए बहुत बहुत धन्यवाद अपने अपना कीमती वक़्त मेरे लिए निकला इस के लिए आपको बहुत बहुत धन्वाद देना चाहुगा में आपको
बस शिकायत है तो १ की आप अभी तक मेरे ब्लॉग में सम्लित नहीं हुए और नहीं आपका मुझे सहयोग प्राप्त हुआ है जिसका मैं हक दर था
अब मैं आशा करता हु की आगे मुझे आप शिकायत का मोका नहीं देगे
आपका मित्र दिनेश पारीक
सच्ची बात
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बिलकुल सटीक उक्ति.
ReplyDeleteमैने प्रतिक्रिया पढ ली,
ReplyDeleteओर मुझे हसी आयी, की लोग कैसा सोचते है.
हम शीक्षा तो लेते है मगर जो ग्यान हमारे जीवन जुडा होता है.हमारे वर्तन से जो व्यवहार चलते है..हरेक गतिविधीयों मे वो ग्यान झरता है...वही एक असली है.बाकी सब झुठ ...आइन्स्टाईण एक तत्वेता है..
जितनी बात सरल हम पढ रहे है.वो सरल नही है.बल्की गहरी है...फिर सोचे...