किसी प्राइवेट इंस्टीटयूट का अच्छा विज्ञापन बन सकता है यह स्लोगन- "अच्छे शिक्षक महँगे होते हैं, लेकिन बुरे शिक्षक की बहुत अधिक कीमत चुकानी पड़ती है।"
परन्तु मेरी पाठशाला का स्लोगन है : @ अच्छे शिक्षक अनमोल होने के साथ सर्व-सुलभ भी होने चाहिए, बुरे शिक्षक वे हैं जो 'किसी विषय के एक्सपर्ट' होकर स्टुडेंट्स से अपने विषय की ऊँची कीमत चाहते हैं.
जब कोई वृक्ष अधिक फलों से लद जाता है तब उसकी डालियाँ झुक जाती हैं. उन फलों को तोड़ना तब बच्चे, विकलांग और भूखे को सहज हो जाता है. हाँ यदि फलों से लदा वृक्ष किसी निजी बगीचे का है तब वह बाज़ार को प्रभावित करता है. फल की कीमत घट जाती है. लेकिन दलाल मानसिकता के लोग 'फल' को आमजन की पहुँच से दूर रखकर फलों की प्रचुरता पर भी फल की कीमत घटने नहीं देते. ........ यही तो है 'आधुनिक बाजारवाद'.
मैं नहीं जानता 'बॉब टेलबर्ट' को. मैं तो शब्दों से व्यक्ति का अनुमान लगाता हूँ. शायद उन्होंने शिक्षा और शिक्षक को वर्तमान सन्दर्भ में आँकते हुए सूत्र का प्रतिपादन किया. और मैं 'गुरु' की बात कर रहा हूँ स्यात. 'गुरु और शिक्षक' में अंतर करके ही बोबीय सूत्र को सही ठहराया जा सकता है.
प्रवीण जी, आज़ कौन स्वीकार करेगा कि वह बुरा शिक्षक है? 'बॉब टेलबर्ट' खुद स्वयं को कैसा शिक्षक कहेंगे? स्वभावतः ....... एक अच्छा शिक्षक ही बताएँगे. अब ....... बुरे शिक्षक का निर्धारण कैसे करें? प्रश्न यह है. मैंने जिस-जिस शिक्षक से पढ़ा .......... उनसे कई अन्य साथियों ने भी पढ़ा. मेरा उद्धार न हो सका ..... पर .... मेरे साथियों ने गज़ब की सफलता पायी. कोई प्रोफ़ेसर तो कोई अच्छी कम्पनी में मेनेजर. अब कौन-सा शिक्षक बुरा बताया जाये? मुझे तो सभी शिक्षक भले प्रतीत हुए बेशक मेरा उद्धार न हुआ. क्या मदरसे वाले मानेगे कि उनके यहाँ पाये जाते हैं - बुरे शिक्षक? या गुरुकुल वाले स्वीकारेंगे कि उनके शिक्षक हैं गड़बड़? अथवा ईसाई मिशनरियों द्वारा प्रायोजित स्कूलों में खोजे जा सकते हैं बुरे शिक्षक? मुझे बताइये ........... कैसे पता चले कि शिक्षक बुरा है?
अर् मास् साब यू म्हारी जमात यानी सरकारी कुन सी है महंगी सस्ती या फिर फ्री की ......... चुनाव,गणना,मिड डे मील,पोलियो,ssa,बाड़,चुनाव सूचीयाँ,नए वोट का मारा......
@संतोष त्रिवेदी जीवन में परिणाम तो सारे प्रयासों की समाप्ति पर ही मिलते हैं| इसमें क्या और कैसा आश्चर्य? ......हाँ अफ़सोस का एक कारण तो है ही !
@प्रतुल वशिष्ठ हाँ प्राइवेट शिक्षा और पूंजी पर आधारित शिक्षा के आज के माहौल में आपका सोचना प्रथम दृष्टया सही प्रतीत होता है ......पर मुझे लगता है कि इसे इस सन्दर्भ से परे देखने की भी जरुरत है| नहीं? ...... हाँ और आपकी पाठशाला के स्लोगन से असहमति का तो सवाल ही नहीं? शाश्वत मूल्य बरकरार रखे जाने चाहिए|
@Shah Nawaz हाँ ..... पर इसकी रफ़्तार दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है ....नहीं? ....शायद आपको भी इसकी आहत सुनाई पड़े|
सत्य ...
ReplyDeleteयानी अच्छे शिक्षक महंगे होते हैं और बुरे शिक्षक महंगे पडते हैं।
ReplyDeleteठीक गहरी और सटीक बात !
ReplyDeleteसच कहा!!
ReplyDeleteसही लिखा है आपने
ReplyDeleteक्या बात है -यह जरुर किसी अच्छे क्या बहुत अच्छे शिक्षक के दिमाग की उपज है !
ReplyDeleteइसमें सबसे बड़ी ख़ामी यही है कि शिष्य को इस बात का पता बाद में ही चलता है कि उसका शिक्षक अच्छा था या बुरा !
ReplyDeleteयह छोटी सी बात न जाने कब समझ में आयेगी सबको।
ReplyDeleteलोग कहाँ समझते हैं !
ReplyDeleteबिलकुल सही |
ReplyDeleteकिसी प्राइवेट इंस्टीटयूट का अच्छा विज्ञापन बन सकता है यह स्लोगन-
ReplyDelete"अच्छे शिक्षक महँगे होते हैं, लेकिन बुरे शिक्षक की बहुत अधिक कीमत चुकानी पड़ती है।"
परन्तु मेरी पाठशाला का स्लोगन है :
@ अच्छे शिक्षक अनमोल होने के साथ सर्व-सुलभ भी होने चाहिए, बुरे शिक्षक वे हैं जो 'किसी विषय के एक्सपर्ट' होकर स्टुडेंट्स से अपने विषय की ऊँची कीमत चाहते हैं.
जब कोई वृक्ष अधिक फलों से लद जाता है तब उसकी डालियाँ झुक जाती हैं.
ReplyDeleteउन फलों को तोड़ना तब बच्चे, विकलांग और भूखे को सहज हो जाता है.
हाँ यदि फलों से लदा वृक्ष किसी निजी बगीचे का है तब वह बाज़ार को प्रभावित करता है. फल की कीमत घट जाती है.
लेकिन दलाल मानसिकता के लोग 'फल' को आमजन की पहुँच से दूर रखकर फलों की प्रचुरता पर भी फल की कीमत घटने नहीं देते. ........ यही तो है 'आधुनिक बाजारवाद'.
मैं नहीं जानता 'बॉब टेलबर्ट' को. मैं तो शब्दों से व्यक्ति का अनुमान लगाता हूँ.
ReplyDeleteशायद उन्होंने शिक्षा और शिक्षक को वर्तमान सन्दर्भ में आँकते हुए सूत्र का प्रतिपादन किया.
और मैं 'गुरु' की बात कर रहा हूँ स्यात.
'गुरु और शिक्षक' में अंतर करके ही बोबीय सूत्र को सही ठहराया जा सकता है.
बिलकुल सही कहा.... वैसे हमारे देश में तो शिक्षक और महंगाई से संबंध अभी तक आम नहीं हुआ है...
ReplyDeleteबहुत ही गहरी बात कह दी आपने।
ReplyDelete---------
पैरों तले जमीन खिसक जाए!
क्या इससे मर्दानगी कम हो जाती है ?
प्रवीण जी,
ReplyDeleteआज़ कौन स्वीकार करेगा कि वह बुरा शिक्षक है?
'बॉब टेलबर्ट' खुद स्वयं को कैसा शिक्षक कहेंगे?
स्वभावतः ....... एक अच्छा शिक्षक ही बताएँगे.
अब ....... बुरे शिक्षक का निर्धारण कैसे करें? प्रश्न यह है.
मैंने जिस-जिस शिक्षक से पढ़ा .......... उनसे कई अन्य साथियों ने भी पढ़ा.
मेरा उद्धार न हो सका ..... पर .... मेरे साथियों ने गज़ब की सफलता पायी. कोई प्रोफ़ेसर तो कोई अच्छी कम्पनी में मेनेजर.
अब कौन-सा शिक्षक बुरा बताया जाये? मुझे तो सभी शिक्षक भले प्रतीत हुए बेशक मेरा उद्धार न हुआ.
क्या मदरसे वाले मानेगे कि उनके यहाँ पाये जाते हैं - बुरे शिक्षक?
या गुरुकुल वाले स्वीकारेंगे कि उनके शिक्षक हैं गड़बड़?
अथवा ईसाई मिशनरियों द्वारा प्रायोजित स्कूलों में खोजे जा सकते हैं बुरे शिक्षक?
मुझे बताइये ........... कैसे पता चले कि शिक्षक बुरा है?
अर् मास् साब यू म्हारी जमात यानी सरकारी कुन सी है महंगी सस्ती या फिर फ्री की .........
ReplyDeleteचुनाव,गणना,मिड डे मील,पोलियो,ssa,बाड़,चुनाव सूचीयाँ,नए वोट का मारा......
आप किस केटिगरी के हैं मास्साब :)
ReplyDeleteबिलकुल ठीक , बुरा शिक्षक अगर समझदार हो तो पूरा जीवन ख़राब करने में समर्थ है ...शुभकामनायें आपको !!
ReplyDeleteलेकिन सवाल तो पहचान का ही है। कौन तय करेगा कि कौन सा शिक्षक अच्छा है और कौन बुरा।
ReplyDeleteआप बहुत दिन बाद दिखे हैं....
ReplyDeleteGOOD ONE
ReplyDeleteतय तो विद्यार्थी करेगा मगर उसे नियुक्ति करने का अधिकार नहीं है।
ReplyDeleteसही कहा
ReplyDeleteअच्छे शिक्षक तो तरकारी के भाव में उपलब्ध हैं जी... मंहगे तो बुरे शिक्षक हैं जो अच्छी पैकिंग में आते हैं... हर कोइ उन्हें ही पूछता है...
ReplyDeletehamri baat satyarthiji kah gaye.....mani jaye...
ReplyDeletepranam.
:-)
ReplyDelete@संतोष त्रिवेदी
ReplyDeleteजीवन में परिणाम तो सारे प्रयासों की समाप्ति पर ही मिलते हैं|
इसमें क्या और कैसा आश्चर्य? ......हाँ अफ़सोस का एक कारण तो है ही !
@प्रतुल वशिष्ठ
हाँ प्राइवेट शिक्षा और पूंजी पर आधारित शिक्षा के आज के माहौल में आपका सोचना प्रथम दृष्टया सही प्रतीत होता है ......पर मुझे लगता है कि इसे इस सन्दर्भ से परे देखने की भी जरुरत है|
नहीं?
...... हाँ और आपकी पाठशाला के स्लोगन से असहमति का तो सवाल ही नहीं? शाश्वत मूल्य बरकरार रखे जाने चाहिए|
@Shah Nawaz
हाँ ..... पर इसकी रफ़्तार दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है ....नहीं? ....शायद आपको भी इसकी आहत सुनाई पड़े|
@प्रतुल वशिष्ठ
ReplyDeleteआज़ कौन स्वीकार करेगा कि वह बुरा शिक्षक है?
कठिन सवाल है....हालांकि जायज है|
सान्खिकीय रूप से तो AUB और A∩B ही शायद मदद कर सकें?
@दर्शन लाल बवेजा, @cmpershad
मास्साब और कैटेगरी!
सरकारी मास्टर ......देखिये ना बड़ा सा बोर्ड लगा रखा है - 'प्राइमरी का मास्टर'