सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत अब रेडीनेस स्कीम शुरू

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आओ जी आओ जी, नमस्ते जी नमस्ते जी, बिठाना जी, बिठाना जी, चाय पिलाना जी चाय पिलाना जी। बेसिक शिक्षा परिषद के कुछ चुने हुए स्कूलों में छोटे-छोटे बच्चे इन्हीं शब्दों को दोहराते हुए मेहमान नवाजी सीखते दिखेंगे। सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत अब रेडीनेस स्कीम शुरू की गई है। बेसिक शिक्षा विभाग प्री-स्कूल की पढ़ाई का प्रयोग पहली दफा करने जा रहा है। चुनिंदा बेसिक स्कूलों में नर्सरी की कक्षाएं सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत स्कूल रेडीनेस कार्यक्रम के रूप में संचालित की जाएंगी। जनपद के शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के दो सौ स्कूल रेडीनेस केन्द्र बनाए जाएंगे। यह वे मॉडल कलस्टर प्राथमिक विद्यालय होंगे जिनमें बालिकाओं की संख्या अधिक होगी।

प्रत्येक  जिले  में लगभग दो सौ परिषदीय प्राथमिक विद्यालय चयनित किए गए है, जिनमें यह स्कीम इसी सत्र से लागू हो रही है। स्कीम के तहत पांच साल के बच्चों को स्कूल में दाखिला देकर उन्हे विशेष पुस्तकों के जरिया पढ़ाया जाएगा। संबंधित विद्यालय में जो सबसे कम उम्र का अध्यापक होगा, वही इन बच्चों का कक्षाध्यापक होगा। उसे विशेष ढंग से बच्चों को शिक्षित करने की एवज में वेतन के अलावा तीन सौ रुपये प्रतिमाह प्रोत्साहन भत्ता मिलेगा। बच्चों के लिए विशेष आकर्षक किताबें खरीदने के लिए एक हजार रुपये अलग से प्रति विद्यालय आवंटित किए जाएंगे। इन विद्यालयों में चलने वाले आंगनवाड़ी केंद्रों की सहायिकाओं को घरों से बच्चों को रोजाना लाने और ले जाने की जिम्मेदारी निभानी है। उन्हे इसके एवज में दो सौ रुपये अतिरिक्त भत्ता दिया जाएगा। जरूरी यह है कि इन विद्यालयों में कम से कम तीन अध्यापक कार्यरत हों और भवन में कम से कम तीन कक्ष हों। स्कूल रेडीनेस केन्द्र इस शैक्षिक सत्र में 10 माह तक चलेंगे। इनमें रोजाना चार घंटे तक नर्सरी के बच्चों को पढ़ाया जाएगा।

बताते है कि सर्व शिक्षा अभियान के तहत अब बच्चों को स्कूली शिक्षा के लिए तैयार करने पर जोर दिया जा रहा है। इसी के लिए रेडीनेस स्कीम शुरू की गई है।  इसके लिए विशेष तरह की पुस्तकें तैयार होकर शीघ्र आ जाएंगी। उनके माध्यम से बच्चों को शिक्षा के साथ ही शिष्टाचार भी सिखाया जाएगा। खास तौर पर उन्हे मेहमान नवाजी के तौर तरीके सिखाए जाएंगे। बताते चले कि ये कक्षाएं उन्हीं विद्यालयों में चलेगीं जहां बालिकाओं की संख्या अधिक होगी........साथ ही स्कूल में दो अतिरिक्त कक्ष भी उपलब्ध हों। 

प्री-नर्सरी और नर्सरी की पढ़ाई अब बेसिक शिक्षा विभाग भी कराएगा। चार साल तक के बच्चों को इसमें दाखिला किया जाएगा लेकिन नर्सरी की यह पढ़ाई शहर और गांव के चुनिंदा बेसिक स्कूलों में ही होगी। यह स्कूल रेडीनेस केन्द्र कहलाएंगे। आंगनवाड़ी कार्यकत्री स्कूलों में रोजाना छोटे बच्चों को लाएगी और शिक्षामित्र बच्चों को पढ़ाएगा। प्रत्येक स्कूल रेडीनेस केन्द्र को पुस्तकों व खेल सामग्री आदि के क्रय के लिए साढ़े सात हजार रुपये खर्च किए जाएंगे।

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