ऐसा माना जा सकता है कि पूरे साल भर सच बोल-बोलकर ऊब जाने के बाद ही ऐसे किसी मूर्ख (फूल) दिवस के बारे में किसी ने शायद सोचा होगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या आज भी ऐसे किसी दिवस की दरकार है, जबकि लोग साल भर दूसरे को टोपी पहनाने के चक्कर में पड़े रहते हैं? खैर .......
जहाँ तक मेरी सोच है मूर्ख बनाने का सीधा संबंध झूठ बोलने से है । आप किसी को कब और कितना मूर्ख बना सकते हैं, यह पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि आप कब और किस हद तक झूठ बोलते हैं और आप अपने झूठ को किस हद तक सच दिखा पाते है?यानी आप जितना उच्च-क्वालिटी का झूठ बोलेंगे, तो जाहिर है सामने वाला उतना ही बड़ा मूर्ख साबित होगा। सच्ची बात तो यह है कि अपने संबंधों को कायम रखने में भी झूठ की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका है। दूसरे शब्दों में अगर कहना चाहें तो कह सकते हैं कि लोगों से अपने संबंधों को कायम रखने के लिए भी हमें उन्हें मूर्ख बनाना पड़ता है।
तो आप में कौन कौन से लोग आज मूर्ख बनने को तैयार हैं ?
प किसी को कब और कितना मूर्ख बना सकते हैं, यह पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि आप कब और किस हद तक झूठ बोलते हैं
ReplyDeleteBilkul sahi kaha Parveen ji......
nice
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति। सादर अभिवादन।
ReplyDeleteगड़बड़ गुरुजी की जय हो!
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तैयार हैं जी, मूर्ख से महामूर्ख बनने को...
आभार!
जो पहले से बने बैठे है वे क्या करें.
ReplyDeleteब्ला्गिंग जगत में आकर अपना समय बर्बाद कर रहे हैं इससे बड़ी मूर्खता और क्या होगा? अब आप भी जितना चाहे बना लें अब तो चिकने घड़े हो गए हैं जी।
ReplyDeleteकई स्थानों पर तो मूर्ख बन चुके .. अब महामूर्ख बनने की बारी है !!
ReplyDeleteबढ़िया विचार किया आपने भी इस पर मगर एक बात फूचना चाहूंगा कि आज की डेट में हम ज्यादातर हिन्दुस्तानियों को मूर्ख बनाने की जरुरत है क्या ?
ReplyDeleteब्लॉग्गिंग से बड़ा और भी कोई मुर्खतापूर्ण कार्य हो सकता है क्या ...!!
ReplyDeleteहम तो बने बनाये मूर्ख हैं सदा ही से...
ReplyDeleteमूर्ख बार बार क्यों मूर्ख बने ।
ReplyDeleteमूर्ख बनना भी उपलब्धि है हा हा हा...
ReplyDeleteअरे आज ही तो हम ने गोभी का फ़ूल खाया है.... क्या इस दिन फ़ूल बनाना अच्छा होता है? अजी हमे नही पता था आप का धन्यवाद यह सब बताने के लिये
ReplyDeleteआज मूर्ख दिवस मनाने में इतना व्यस्त रहा कि कहीं किसी ब्लॉग पर जाना हुआ नहीं यद्यपि दिवस विशेष का ख्याल रख यहाँ चला आया हूँ और आकर अच्छा लगा. धन्यवाद दिवस विशेष पर की गई अपेक्षाओं पर आप खरे उतरे!!
ReplyDeleteमै तैयार हूँ।
ReplyDeleteवैसे इसका आज कल कुछ लोगों पर असर नहीं पड़ता। ऐसे लोग प्राय: ब्लॉगरी को मूर्खतापूर्ण कार्य कहते पाए जाते हैं।
सुन्दर प्रस्तुति. देखते हैं कितने मूर्ख बनते हैं.
ReplyDelete__________
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मूर्खता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है .आजादी के बाद इस अधिकार का हमने खूब दोहन किया है .तारीखें जनता के लिए बदलती हैं .नेताओं के लिए तो कलेंडर एक अप्रेल पर थर गया है
ReplyDeleteमूर्खता जिंदाबाद
मूर्खता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है .आजादी के बाद इस अधिकार का हमने खूब दोहन किया है .तारीखें जनता के लिए बदलती हैं .नेताओं के लिए तो कलेंडर एक अप्रेल पर थर गया है
ReplyDeleteमूर्खता जिंदाबाद
मूर्खता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है .आजादी के बाद इस अधिकार का हमने खूब दोहन किया है .तारीखें जनता के लिए बदलती हैं .नेताओं के लिए तो कलेंडर एक अप्रेल पर थर गया है
ReplyDeleteमूर्खता जिंदाबाद
शुक्रिया कि आप हमारी अनकही पर आये और हमें यहां तक ले आये, कितने अच्छे सटायर हैं यहां तो........really appreciable..
ReplyDeleteअरे मास्टर जी!
ReplyDeleteआपने इतने सारे लिंक हमारी सुबह की चर्चा में भेज दिये कि हमें अपराह्न की चर्चा आपके लिंकों की ही लगानी पढ़ी!
बहुत-बहुत बधाई!
http://charchamanch.blogspot.com/2010/04/blog-post_8644.html
किंवदन्ती है कि एक मूर्ख बाद में महाकवि हो गये। इसलिये कहा जा सकता है कि मूर्खों को कम नहीं आँकना चाहिये।
ReplyDeleteमूर्ख ही मूर्ख बनता है ...
ReplyDeleteमूर्ख मूर्ख ठेलिया , दोवें पड़ंत अंधेरी गर्त ।
शायद आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज बुधवार के चर्चा मंच पर भी हो!
ReplyDeleteसूचनार्थ!
कबिरा आप ठगाइए और न ठगिए कोय
ReplyDeleteआप ठगे सुख होत है, और ठगे दुख होय