क्या आप इंटेलिजेंट समझते हैं अपने आप को ...... तो डरते क्यों हैं मूर्ख बनने से ? ज़रा हिम्मत तो दिखाइए !

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ऐसा माना जा सकता है कि पूरे साल भर सच बोल-बोलकर ऊब जाने के बाद ही ऐसे किसी  मूर्ख  (फूल) दिवस के बारे में किसी ने शायद सोचा होगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या आज  भी ऐसे किसी दिवस की दरकार है, जबकि लोग साल भर दूसरे को टोपी पहनाने  के चक्कर में पड़े रहते हैं? खैर .......

जहाँ तक मेरी सोच है मूर्ख बनाने का सीधा संबंध झूठ बोलने से है । आप किसी को कब और कितना  मूर्ख बना सकते हैं, यह पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि आप कब और  किस हद तक  झूठ बोलते हैं और आप अपने  झूठ को किस हद तक  सच दिखा पाते  है?

यानी आप जितना उच्च-क्वालिटी का  झूठ बोलेंगे, तो  जाहिर  है सामने वाला उतना ही बड़ा मूर्ख साबित होगा। सच्ची बात  तो यह है कि अपने संबंधों को कायम रखने में भी झूठ की बड़ी महत्वपूर्ण  भूमिका है। दूसरे शब्दों में अगर कहना चाहें तो कह सकते  हैं कि लोगों से अपने संबंधों को कायम रखने के लिए भी हमें उन्हें मूर्ख बनाना पड़ता है। 


तो आप में कौन कौन से लोग आज मूर्ख बनने  को तैयार हैं ?


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26Comments
  1. प किसी को कब और कितना मूर्ख बना सकते हैं, यह पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि आप कब और किस हद तक झूठ बोलते हैं

    Bilkul sahi kaha Parveen ji......

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  2. बहुत अच्छी प्रस्तुति। सादर अभिवादन।

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  3. गड़बड़ गुरुजी की जय हो!

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  4. .
    .
    .
    तैयार हैं जी, मूर्ख से महामूर्ख बनने को...
    आभार!

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  5. जो पहले से बने बैठे है वे क्या करें.

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  6. ब्‍ला्गिंग जगत में आकर अपना समय बर्बाद कर रहे हैं इससे बड़ी मूर्खता और क्‍या होगा? अब आप भी जितना चाहे बना लें अब तो चिकने घड़े हो गए हैं जी।

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  7. कई स्‍थानों पर तो मूर्ख बन चुके .. अब महामूर्ख बनने की बारी है !!

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  8. बढ़िया विचार किया आपने भी इस पर मगर एक बात फूचना चाहूंगा कि आज की डेट में हम ज्यादातर हिन्दुस्तानियों को मूर्ख बनाने की जरुरत है क्या ?

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  9. ब्लॉग्गिंग से बड़ा और भी कोई मुर्खतापूर्ण कार्य हो सकता है क्या ...!!

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  10. हम तो बने बनाये मूर्ख हैं सदा ही से...

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  11. मूर्ख बार बार क्यों मूर्ख बने ।

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  12. मूर्ख बनना भी उपलब्धि है हा हा हा...

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  13. अरे आज ही तो हम ने गोभी का फ़ूल खाया है.... क्या इस दिन फ़ूल बनाना अच्छा होता है? अजी हमे नही पता था आप का धन्यवाद यह सब बताने के लिये

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  14. आज मूर्ख दिवस मनाने में इतना व्यस्त रहा कि कहीं किसी ब्लॉग पर जाना हुआ नहीं यद्यपि दिवस विशेष का ख्याल रख यहाँ चला आया हूँ और आकर अच्छा लगा. धन्यवाद दिवस विशेष पर की गई अपेक्षाओं पर आप खरे उतरे!!

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  15. मै तैयार हूँ।
    वैसे इसका आज कल कुछ लोगों पर असर नहीं पड़ता। ऐसे लोग प्राय: ब्लॉगरी को मूर्खतापूर्ण कार्य कहते पाए जाते हैं।

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  16. सुन्दर प्रस्तुति. देखते हैं कितने मूर्ख बनते हैं.
    __________
    "शब्द-शिखर" पर सुप्रीम कोर्ट में भी महिलाओं के लिए आरक्षण

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  17. मूर्खता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है .आजादी के बाद इस अधिकार का हमने खूब दोहन किया है .तारीखें जनता के लिए बदलती हैं .नेताओं के लिए तो कलेंडर एक अप्रेल पर थर गया है
    मूर्खता जिंदाबाद

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  18. मूर्खता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है .आजादी के बाद इस अधिकार का हमने खूब दोहन किया है .तारीखें जनता के लिए बदलती हैं .नेताओं के लिए तो कलेंडर एक अप्रेल पर थर गया है
    मूर्खता जिंदाबाद

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  19. मूर्खता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है .आजादी के बाद इस अधिकार का हमने खूब दोहन किया है .तारीखें जनता के लिए बदलती हैं .नेताओं के लिए तो कलेंडर एक अप्रेल पर थर गया है
    मूर्खता जिंदाबाद

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  20. शुक्रिया कि आप हमारी अनकही पर आये और हमें यहां तक ले आये, कितने अच्छे सटायर हैं यहां तो........really appreciable..

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  21. अरे मास्टर जी!
    आपने इतने सारे लिंक हमारी सुबह की चर्चा में भेज दिये कि हमें अपराह्न की चर्चा आपके लिंकों की ही लगानी पढ़ी!

    बहुत-बहुत बधाई!

    http://charchamanch.blogspot.com/2010/04/blog-post_8644.html

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  22. किंवदन्ती है कि एक मूर्ख बाद में महाकवि हो गये। इसलिये कहा जा सकता है कि मूर्खों को कम नहीं आँकना चाहिये।

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  23. मूर्ख ही मूर्ख बनता है ...
    मूर्ख मूर्ख ठेलिया , दोवें पड़ंत अंधेरी गर्त ।

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  24. शायद आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज बुधवार के चर्चा मंच पर भी हो!
    सूचनार्थ!

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  25. कबिरा आप ठगाइए और न ठगिए कोय
    आप ठगे सुख होत है, और ठगे दुख होय

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