ब्लॉग्गिंग की उलझनों पर
बहुत बड़े -बड़े ज्ञानी कह
गए सो हमारी क्या बिसात?
फिर भी मन में था जो वह
ठेल ही दिए.....शायद यह
अपनी ब्लॉग्गिंग यात्रा का
अगला पड़ाव ही हो ?
कु
छ कुछ किताबी या बहुत कुछ किताबी होती जा रही अपनी ब्लॉग्गिंग यात्रा पर बहुत दिन से कुछ कहने का मन बना रहा था पर शायद किन्ही कारणों से यह नहीं हो पा रहा था | एक आपसी संवाद ना स्थापित कर पाने की ब्लॉग्गिंग असफलता का सेहरा बांधे हुए आने वाले दिनों में ब्लॉग्गिंग से जुड़ने के बाद आये इन्ही पड़ावों की चर्चा करना चाहूँगा |
शायद यह मास्टरी का चरित्र ही ऐसा होता है कि वह यह हमेशा एक भ्रम पाले रहता है कि दुनिया में सब को पढ़ाना है.......पर अब धीरे धीरे यह खुमारी हमारी ख़तम हो रही है यह पक्का जान लीजिये| सो असल समस्या यही है ज्ञान जी के शब्दों में हमारी भी ट्यूब खाली होती जा रही है | सो करें क्या ?
कई पुराने प्रोजेक्ट पड़ें हैं ब्लॉगर ड्राफ्ट में! सोचता हूँ कि उनको पूरा कर डालूँ? कुछ पुराने ,कई समझाते हुए इ-मेल आये तो कई हड़काते हुए | कभी चुभते इ-मेल तो कभी खिजाते इ-मेल | सोच रहा हूँ कि कुछ इन्ही इ-मेलों को सार्वजनिक कर दूँ बगैर किसी का नाम लिए बिना? और उनको भी ठेल दूँ ...आखिर वह भी तो इसी ब्लॉग्गिंग चरित्र का प्रसाद है |
वैसे भी पिछले दो-तीन महीने से ब्लॉग जगत में खुला -विचरण बंद है , टिपियाना भी बंद जैसा ही है | आजकल केवल रीडर पर ही पढ़ रहा था | और कभी कभी फेसबुक पर जब तब चिपकता था | पर उसमे भी अफलू जी ने हड़का दिया तो भाग के गया उनके द्वारे |
आखिर यह सब क्यों चल रहा है ? मेरे मन में ...पुराना इतिहास डराता है कि बच्चा बोरिया बिस्तर बाँधने का समय आ गया है ?
शायद यह हमारी मूल प्रवत्ति में ही है कि समय गुजरने के साथ साथ हम नकारात्मकता छोड़ रचनात्मक होते जाते हैं | सो उसका निचोड़ यह कि ब्लॉग्गिंग से मुह नहीं मोड़ेंगे| हाँ कुछ दिशा बदलने की तैयारी है| हो सके तो कुछ सलाह आप भी ठेल दीजिये ना हमारे लिए !
मैंने कहा था न कि कुछ सिखाईये, और आप अपने मास्टरी चरित्र को ही छोड़ने पर आतुर हो चले । अरे ना भईया !
ReplyDeleteपहले तो ये बताओ - ये ’अपनी बात’ वाला जुगाड़ मेरे ब्लॉग पर कैसे लगेगा ? तरीका बहुत पसन्द आता है यह !
नये तरीके से पुरानी बात चिपकाना ब्लॉगिंग का मूल अहसासना एक शिगुफा जैसा हो गया है...उसी शिगुफा दौर से आप गुजर रहे हैं. गुजर के बाद फिर रास्त पूर्ववत साफ मिलेहा और फिर ऐसी ही झंझावत..यह अनवरत सफर है....बस, चलते चलें...मास्साब!!
ReplyDelete@हिमांशु जी !
ReplyDeleteधन्यवाद!
अपनी बात लगाने का तरीका हमने सीखा अजीत वडनेरकर जी के शब्दावली से!
वैसे हम कोड आप को मेल कर रहे हैं आप अपने ब्लॉग के settings में जाकर formatting पेज के post template में उसे चिपका दीजियेगा| काम हो जायेगा | जब new post editor खोलेंगे तो "अपनी बात" हाजिर !!
बगल वाली लाइन को बड़ा और छोटा करने के लिए कोड में थोडा हेर फेर कर लिया करें!!
बस, चलते चलें...मास्साब!!
ReplyDeleteमास्साब ये कोड तो हमको भी चाहिये, क्या झांकीबाजी लगती है, अपने ब्लॉग पर, बधाई हो आपको ये नई चीज लाने के लिये, साथ में सबको पढ़ाते भी जायें तो ओर अच्छा होगा।
ReplyDeleteमास्साब, आजकल ट्यूशन चोखा धंदा है इंस्टीट्यूट खोलकर, वहाँ लोग मास्टर जी कहकर भी नहीं संबोधित करते ! सर कहते है, बिजिनस मैंन वाला सर , मास्टरजी वाला नहीं ! साथ में एक नया चेप्टर या कोर्स भी रख सकते है "२१ सदी में ब्लोगिंग तकनीक " :)
ReplyDeleteचलते रहना कभी अलविदा न कहना
ReplyDeleteकभी लगे तो आराम भी जरूरी है
मन ऐसा तंत्र है जो बहता भटकता रहता है
कुछ उसकी भी सुनना कुछ अपनी भी
मास्साब आपने भी कोड बांटना शुरु कर दिया तो ताऊ ने आपका क्या बिगाडा है?:)
ReplyDeleteरामराम.
अरे मैंने क्या बिगाड़ा है, मुझे भी कोड भेज दीजिऐ। अच्छा हो क्यों न उसे अपने चिट्ठे पर पोस्ट बना कर प्रकासित कर दें। प्राइमरी मास्टर से - टेक मास्टर :-)
ReplyDeleteओह, इस फेज से हम गुजरते रहते हैं। कभी लगता है बन्द करें यह ब्लॉगिंग। कभी ढेरों जू जू जमा कर लेते हैं विजेट्स के नाम पर। फिर चलता है सिम्पलीफिकेशन का दौर!
ReplyDeleteलगता है सभी को राम गोसाईं दारुजोषित की नाईं नचाते हैं। आपऊ नाचअ मास्टर साहब!
भैया !
ReplyDeleteकुछ यस करा करौ कि जौन नौसिखिया है ,
उहौ समझ पावै |
मास्टर साहब बहुत कुछ तौ हमरे खोपड़ी
के उपरे से गुजरि गवा |
अब अपनेन का कोसत अहन ...
तकनीकी में मामले मा तौ हम लल्लुवै अहन ...
माफ़ करेव ... ...
@Udan Tashtari
ReplyDeleteहमने मान लिया कि हम टंकी पर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे ......पर लोग हमसे उतरने की मान-मनौवल के बजाय कोड मांगने लगे !
@Suman
जी सर!
कोशिश करते रहेंगे चलने की !
@Vivek Rastogi
हाय रे इस नजरिये से तो हमने भी नहीं निहारा ......क्या झांकी लगती है ?
@पी.सी.गोदियाल
काश यह कर पाते ?
तो अब तक प्राइमरी के मास्टर जस लल्लू थोड़े बने रहते ?
@Dr. Mahesh Sinha
आपने दर्द सही पहचाना !
मन ही सबकी जड़ है ....पर क्या करें !
यह वर्चुअल दुनिया एक मामले में कमजोर पड़ जाती है कि असल दुनिया में यहाँ के प्रयास सार्थक होते जो नहीं दिखते!
@ताऊ रामपुरिया
जाना था जापान पहुँच गए चीन !!
के तर्ज पर हमारा टंकी पर चढ़ना बेकार हुआ |
और लोग कोड पर उतर आये !
ताऊ लोगों से बना कर रखना पड़ता है भैये !..........सो आपको कैसे ना करेंगे?
@उन्मुक्त ने कहा…
सुझावों के लिए शुक्रिया!
बस स्नेह बनाए रखियेगा !
वैसे तकनीकी मामलों में तो हम अनाड़ी हैं !
पर कोड सार्वजनिक कर देंगे!
तेरा तुझको अर्पण मेरा क्या लागे ? की तर्ज पर !!!!!
@ज्ञानदत्त G.D. Pandey
दारुजोषित !!
सर जी प्रणाम
अगली पोस्ट इस पर हो ऐसी आकांक्षा !!
@अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी
जल्दी ही आपके सर में ही ठहरेगा | दरअसल यह पोस्ट तकनीकी ना थी ....पर हिमांशु भाई के कमेन्ट पर यह तकनीकी पोस्ट बन गयी |
शायद यह ऊर्जा ही मिली है |
लल्लू होइहो भैया पर इत्ते भी ना होइयो !
मत डर बच्चा... मास्साब तेरे साथ है :)
ReplyDeleteअरे मास्टर जी टंकी पर चढने से पहले सोच ले, ओर मोसम भी देख ले सर्दी बहुत बढ गई है, लोग उतारने के लिये भी नही आयेगे, जो थोडे बहुत आने वाले थे, वो कोड लगाने मै मस्त होगे, टंकी पर कभी फ़िर चढिये, लेकिन चढने से पहले थोडा हंगामा भी करे, चलिये अब अगली पोस्ट मै मस्त हो जाये
ReplyDeleteमेरा दरद ना जाने कोई ...कहाँ तो सहानुभूति चाह रहे थे...
ReplyDeleteटेक्निकल एक्सपर्ट बन कर उतरे टंकी से ....बहुत अच्छा ...!!
अधिक सेंटी होने की आवश्यकता नहीं है।
ReplyDeleteचुपचाप अगली पोस्ट ठेलिए। घंटी बज चुकी है।
जो डर गया सो झर गया।
ReplyDeleteबोरिया बिस्तर बांधकर अब गद्दा-रजाई पर आ जाओ। मस्त रहेगा।
उतार चढ़ाव अपने क्रम से आते जाते रहते हैं...जीवन अपनी गति से चलता रहता है..
ReplyDeleteथोडी बहुत टहल कदमी स्वास्थ्य के लिए भी अच्छी होती है।
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भीड़ है कयामत की, फिरभी हम अकेले हैं।
इस चर्चित पेन्टिंग को तो पहचानते ही होंगे?
प्रवीण जी,
ReplyDeleteजब आप जैसे लोग इतना घबरायेंगे,ब्लाग बन्द करने की बात करेंगे---तो मेरे जैसे नौसिखिये का क्या होगा?
हेमन्त कुमार
sateek baat.........
ReplyDeleteप्रवीण जी, इतिहास तो सबक लेने के लिए ही होता है।
ReplyDeleteऔर हाँ, ड्राफट को क्यों ओवरलोड कर रहे हैं, पुराना माल ब्लॉग पर लगा ही डालिए, हमें इंतजार रहेगा।
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सलीम खान का हृदय परिवर्तन हो चुका है।
नारी मुक्ति, अंध विश्वास, धर्म और विज्ञान।
मास्टर साहेब, आपके पिटारे में बहुत कुछ है. अभी और भी बहुत कुछ समाना बाकी है.
ReplyDeleteसो चलते रहिये. हाँ, बीच बीच में आराम भी तो जरुरी हैं न.
भैया !
ReplyDeleteकुछ यस करा करौ कि जौन नौसिखिया है ,
उहौ समझ पावै |
मास्टर साहब बहुत कुछ तौ हमरे खोपड़ी
के उपरे से गुजरि गवा |
अब अपनेन का कोसत अहन ...
तकनीकी में मामले मा तौ हम लल्लुवै अहन ...
माफ़ करेव ... ...