पता नहीं ? क्यों पर गाँधी जी मुझे किसी ना किसे कारणवश आकर्षित करते रहे हैं ....... पर शायद अनुयायी बनने की हद तक तो नहीं !
कुछ तो उस दंडधारी शख्स में है जो सत्य और अहिंसा की बातें करते हुए आम आदमी की हद से आगे बढ़ता हुआ चला जाता है | बाकी असहमति भी कई मुद्दों पर होने के बावजूद हमेशा से उस शख्स के बारे में जानने की उत्कंठा बनी रहे | यही प्रार्थना है !
गाँधी जी के जन्मदिन पर अपने विद्यालय में बच्चों का मन टटोलने की कोशिश की तो एक बड़ा प्रश्नवाचक चिन्ह नजर आया कि गाँधी जी के बारे वह बहुत कुछ नहीं जानते हैं ..... सिवाय इसके कि आज गाँधी जयन्ती है |
... सो हम तो ठहरे प्राइमरी के मास्टर सो वहीँ से शुरू हो गए | कला में फिसड्डी होने के बावजूद चाक और डस्टर(झाड़न) से खेलने की आदत सी पड़ गयी है ...सो खींच दिया यह चित्र बाहर के सूचना पट पर | नए अंदाज में ही सही पर एक ललक देखी बच्चों की आँखों में सो शुरू हो गए हम ; और बहुत कुछ बताने के साथ साथ हमने गाँधी के बारे में बच्चों से से भी उनके विचार जाने ?
अपनी कलाकारी का नमूना आप सबके सामने भी रखने से कहाँ चूकने वाला यह प्राइमरी का मास्टर ? बच्चों से किया गया यह प्रयोग कैसा लगा आपको? कोई सुझाव?
मुझे ऐसा लगता है कि ब्लॉगर के नए पोस्ट एडिटर में कोई बग है जो scheduled पोस्ट्स को draft में बदल देता है | इस पोस्ट की प्रस्तुति में हुई देरी इसी बग की करामात है |सो देरी के लिए मुआफी!!!
मा साब शुक्र है कि आप लोग बच्चों को गांधी जी से परिचय तो करा रहे हैं...यहां शहरों में तो ये बिल्कुल बेमानी बात बन कर रह गयी है..कोन्वेन्ट स्कूलों में ..और बच्चों के लिये भी...
ReplyDeleteआपकी सराहनीय कोशिश मास्टर साहब। आपने बिल्कुल ठीक काह कि कुछ तो बात है गाँधी के व्यक्तित्व में जो असहमति के बाद भी आकर्षित करता है।
ReplyDeleteगाँधी जी के जन्मदिन पर अपने विद्यालय में बच्चों का मन टटोलने की कोशिश की तो एक बड़ा प्रश्नवाचक चिन्ह नजर आया कि गाँधी जी के बारे वह बहुत कुछ नहीं जानते हैं ..
ReplyDeleteहमी कितना जन पाए हैं मासाब ! बच्चे तो फिर भी बच्चे हैं -आपका प्रयास बढियां है !
बहुत-बहुत आभार आपका। आपने गांधी जी के व्यक्तित्व को बड़े सरलता से प्रकाशीत किया।
ReplyDeleteयह मान लेना कि अवकाश कर देने से गाँधी के प्रति कोई श्रद्धा या कृतज्ञता का भाव उत्पन्न होगा, एक मानसिक जड़ता से पूर्ण विचार है । अच्छा यह होगा कि उस दिन विद्यालय में पहली दो कक्षायें गाँधी के विचारों के ऊपर हों । आने वाली पीढ़ी से कोई गाँधी के बारे में पूछेगा तो उत्तर यही मिलेगा कि अच्छे व्यक्ति थे, उनके नाम पर भी छुट्टी होती थी । आने वाले समय में महानता के मानक उस पर की गयी छुट्टियाँ व सड़कों के नाम होंगे ।
ReplyDeleteआज की युवा पीढ़ी जहाँ मेडोना और ब्रिटनी स्पियर्स को जानने की ललक लिए बैठी है वहाँ आपका इतना सुंदर और सार्थक प्रयास ..अपने देश के महापुरुषों के जीवन से बच्चों परिचित कराने का बहुत ही सराहनीय प्रयास कर रहे है आप..
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद..
आप जैसे लोग ही बापू को सही मायने मे ज़िंदा रखे हुये हैं वरना नई पीढी के बच्चों को तो…………॥जाने दिजिये आप को प्रणाम करता हूं आपका ये प्रयास जारी रहे।
ReplyDelete@ Arvind Mishra
ReplyDelete"जान कर भी जाना पाया कि जानना है कितना बाकी?"
इधर भी यही हाल है!!
@ प्रवीण पाण्डेय
बताना चाहूँगा कि गांधी जयन्ती में विद्यालयों में अवकाश नहीं होता है ;........ शिक्षण कार्य के स्थान पर सम्बंधित कार्यक्रम होते हैं| यह अलग बात है कि बहुत से लोग छुट्टी मना लें?
गाँधीवादी कतई नहीं हूँ, फिर भी गाँधी को महान नेता मानने में मुझे कोई आपत्ति नहीं है. वे भारत के पिता न सही 'आइकॉन' तो है ही.
ReplyDeleteमासटर साहब आपने सही बात बतायी है हम बहुत कुछ नहीं जानते गांधीजी के बारे में आपका आभार ऐसी बातो के बताने का
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ReplyDeleteमुझे भी गांधी जी काफ़ी हद तक लगाव है, उन की बहुत सी बाते अच्छी लगती है,ओर कुछ काम गलत भी, लेकिन इस सब ने वावजूद मै उन की इज्जत करता हुं,
ReplyDeleteधन्यवाद आप ने इस सुंदर लेख के लिये
post aur vishleshan to behterin tha hi par sabse behterin jo cheez lagi:
ReplyDelete"@ प्रवीण पाण्डेय
बताना चाहूँगा कि गांधी जयन्ती में विद्यालयों में अवकाश नहीं होता है ;........ शिक्षण कार्य के स्थान पर सम्बंधित कार्यक्रम होते हैं| यह अलग बात है कि बहुत से लोग छुट्टी मना लें?
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bahut sahi !!