यों तो निन्यानबे का चक्कर मुहावरों में बहुत पहले से चला आ रहा है कबीर ने कहा ’’माला फेरत जुग गया, गया न मन का फेर, कर का मनका डारि दे मन का मनका फेर‘‘ जबकि हमरा मन तो निन्यानवे के फेर में ही पडा रहता है आजकल | यह निन्यानबे का चक्कर तो बड़ा खतरनाक है जी !!
स्वामी रामतीर्थ ने एक बड़ी सुन्दर कहानी लिखी है। एक धनी आदमी था। वह ओर उसकी स्त्री, दोनों हर घड़ी पेरशान रहते थे और अक्सर आपस में लड़ते रहते थे। उनका पड़ोसी गरीब था, दिन-भर मजूरी करता था। औरत घर का काम करती थी। रात को दोनों चैन की नींद सोते थे। एक दिन धनी स्त्री ने कहा, "इन पड़ोसियों को देखो, कैसे चैन से रहते हैं!" आदमी ने कहा, "ठीक कहती हो।"
अगले दिन उसने किया क्या कि पोटली में निन्यानवे रुपये बॉँधे और उसे गरीब पड़ोसी के घर में डाल दिया। पड़ोसी ने रूपये देखे। उसकी आँखे चमक उठीं। उसी घड़ी लोभ ने उसे धर दबोचा। वह निन्यानवे के सौ और सो के एक सौ एक करने में लग गया। फिर क्या था! उसकी नींद हराम हो गयी। सुख भाग गया। मेहनत की खरी कमाई का आनन्द सपना हो गया।
अब हम बताते हैं कि अपने 99 के चक्कर के बारे में ! हमारे चाहने वालों की संख्या( followers ) पिछले 12 दिनों से उसी 99 में अटकी हुई हुई | सारे मीटर आगे बढ़ते जा रहे हैं और यह है कि उसी 99 में अटका हुआ है | वह भी पिछले एक दो नहीं पूरे के पूरे १२ दिन से? अब भला पूछिए हमरे दिल से कि का बीत रही होगी हमरे दिल से ? हम कौनो ज्ञानदत्त पाण्डे , उड़नतश्तरी और फुरसतिया शुकुल तो हाँ नहीं |
सो भैया!! ब्लॉग जगत के पुरोधाओं और नए नवेले भाइयों और बहनों हमको इस 99 के फेर से निकालो!
99 का सबूत नीचे संलग्न है |बगल के विजेट में भी पुष्टि कर सकते हैं !इस के फेर से मुक्ति के लिए इस लिंक पर चटका लगाएं |
बधाईयाँ, अब तो १०० दिख रहे हैं..काम कर गया ९९ का फेरा. :)
ReplyDeleteवैसे भी फुरसतिया जी बातें बहुत सटीक कहते हैं. मैने देखा है. :)
ReplyDeleteभैया लिंक चटकाई पर जवाब मिला कि आप पहले से ही ९९ मे शामिल हैं.:)
ReplyDeleteअब रही बात फ़ुरसतिया जी की ९९ वाली बात की तो ९९ के फ़ेर मे पटका किसने था? हम खुद ही पडे थे तो खुद ही निकलना होगा. बंदर वाली कहानी तो सुनी ही होगी? मटकी मे बंधी मुट्ठी खोल दे तो आजाद होजाये.:)
रामराम.
मास्साब इस 99 के फ़ेर मे हम भी कई दिन अटके रहे।अब तो सौ हो गये।बधाई हो मगर स्वामी जी द्वारा लिखी गई कहानी याद रखना सौ फ़िर एक सौ एक फ़िर सुख शांति फ़ुर्र।बहुत बढिया मास्साब क्या करें इसके सिवाय चारा भी नही है।
ReplyDeleteअरे मास्साब ये तो बहुत ही आसान है। अपना ब्लॉग डीलिट कर दीजिए और निकल जाइए इस ९९ के चक्कर से। हा हा। मगर फिर आप हमको याद आया करेंगे तो हम सब किससे बातें करेंगे ? इसीलिए ......
ReplyDeleteबधाई जी...अब तो आप निन्यानवे के फेर से निकल गये !
ReplyDeleteअब तो एक सौ निन्यानवे की फिक्र कीजिए :)
अरे हम तो डर कर खिसकने वाले ही थे, हम ने सोचा आप कही स्कुल के लिये चंदा तो नही मांग रहे कि ९९ लाख जमा हो गये है एक लाख की जरुरत है, लेकिन फ़िर हिम्मत कर के देखा तो आप का स्कोर १०२ पर कर दिया, अब चेन से सोये.वेसे हम फ़कड आदमी है, जो दे दे उस का भी भला सोचते है , ओर जो ना दे उस का भी भला सोचते है
ReplyDeleteराम राम जी जी
ओह मैं कैसे चूक गया..चलिये इसी बात पर बता देता हूं कि पिछले कुछ दिनों से संयोग से मैं कई ब्लोग्स पर सौंवा पचासवां फ़ौलोवर बन रहा था ..और ऐसा करने में मुझे पता नहीं क्यों मजा भी खूब आ रहा था ..मगर आपकी सेन्चुरी में कैसे चूक गया...पता नहीं..चलिये निकल तो गये निन्यान्वे के फ़ेर से ...यनि नर्वस नाईनटीन से..
ReplyDeleteनिन्यानवे का फेर ही है जी...सत्य वचन...
ReplyDeleteनीरज
हमको पता ही नहीं कि हम क्या-क्या कह गये! दो दिन से टिपियाने का प्रयास कर रहे हैं आज सफ़ल होते दिख रहे हैं दूसरे कम्प्यूटर से। बधाई हो १०० फ़ालोवर होने की। आगे और बढ़ेंगे।
ReplyDeleteहमें तो १८० दिख रहे हैं.
ReplyDelete@ Udan Tashtari
ReplyDeleteफ़ुरसतिया जी को आप हमसे ज्यादा अच्छा जानते होंगे, जी!!
हम तो केवल पडोसी ही हैं |
@ ताऊ रामपुरिया
ताऊ ! को राम राम का करें ? यह दिल है कि मानता नहीं!!
@ Anil Pusadkar
लगता है की यह नर्वस नाइंटीज ; हर जगह काम करता है| अब तो आप लोगों ने निकाल लिया ना फेरे से! सो अब काहे की चिंता ?
पर दिल तो दिल है दिल का क्या ऐतबार?
@ बवाल
अरे बवाल जी!! शुभ शुभ बोलिए !
राम राम ! ऐसा दिन ना आये .... वरना तो हम केवल मास्टरी ही करते रह जायेंगे!
@ पं.डी.के.शर्मा"वत्स"
पंडित जी!
सच ही होगी ...आपकी भविष्यवाणी !!
अब तो आज से ही 199 की चिंता में झुराने का समय शुरू हो गया?
वैसे कुछ पत्री बांच सके ... तो बताइयेगा कि कब तक 199 का नंबर आएगा|
लौटती डाक से अभी जन्म पत्री भेज रहे हैं!!
@ राज भाटिय़ा
नए आइडिया देने का शुक्रिया!!
जल्दी ही दान पेटी लटकाते हैं!
और पहली पत्री आप को लिखेंगे|
वादा रहा !!!!
भला तो दोनों हिसाब से हमारा ही रहेगा |
@ अजय कुमार झा
अजय जी!! अबहियें से न्योता डे रहें है .....199 के लिए |
चाहे फेक प्रोफाइल बनानी पड़े ?
करिए ना जोर से वादा पक्का !!
@ अनूप शुक्ल
आप का नाम ना लेतेन तो हम कौन शतक मार पौतेन ?
बकिया तो सिद्ध होई गवा है .......कि आप का नाम बिकाऊ है !
सो आगे भी हिमाकत करत रहब|
@ P.N. Subramanian
अरे ! सर जी वह तो facebook के हैं | हम गूगल बाबा वाले की बात कर रहे है |
चिट्ठाकार फुरसतिया जी सहित सभी को ब्रह्म ज्ञान की आनुभ्हती हुई है मास्साब
ReplyDeleteअति आनंद दाई पोस्ट बधाइयां
waise mujhe poori tarah yaad hai sauwein to hum hi the....
ReplyDelete...par phir ye ninyanve kaise ho gaya tha...
mere paas proof bhi hai:
Aapne kaha tha ki pichle 12 dino se ye 99 dikha raha hai, yaani mujhe join kiye hue 12 din se adhik ho jaane chahiye par maine to abhi 08th oct ko hi join kiya hai...
(Mera pehla aur abhi tak ka last comment bhi usi din ka hai)
to is hisab se Dhanyavaad to mujhe bhi milna chahiye !!
hahahaha
:)
@दर्पण साह "दर्शन"
ReplyDeleteआपके विचारों से समझ नहीं आ रहा है कि आप ने मजाक में यह बात कही है या सच में आप गंभीर हैं?
1- पिछले 12 दिन से तात्पर्य उस पूरे समय से समय से है जिस दरम्यान मैं ऑनलाइन रहा |
2- यदि आप सच्ची में आप इस बीच सौवें फोल्लोवेर बने तो बधाई !!! और यदि पहले ही बे हों तो डबल बधाई !! भाई आप ना पहले बनते तो 99 तक कैसे पहुचते?
3- आप के पास प्रूफ़ है ???? मैं मानने को तैयार नहीं हूँ | किसी भी तरीके से इसका पुराना इतिहास नहीं रखा जा सकता है | वैसे भी कभी भी यह बढ़कर आंकडा बढ़ कर घाट भी सकता है ...... जिसका उदाहरण यहीं मुझे दिख रहा है |
राज भाटिया जी ने कहा कि उन्होंने 102 कर दिया पर आज तो मुझे पूरे १०० दिखा रहा है |
सो इस पर क्या कहूं??/
वैसे पहली बार वाली बात तो ठीक है ....अंतिम बार ????
पुनर्विचार करियेगा |
अच्छा है की आप निन्यानवें के फेरे धेरे से निकल चुके है वैसे आप तो मास्टर जी है अभिमन्यु की तरह से चक्रव्यूय से निकल सकते है ...जय हो गुरुदेव.
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