यह मैं नहीं कह रहा हूँ , बल्कि संयुक्त राष्ट्रसंघ की आम सभा में हुए निर्णय के अनुसार यूनिसेफ़ के तत्वाधान में बेसिक शिक्षा विभाग सहित देश की सभी शिक्षण संस्थानों में हाथ धोना दिवस मनाया जाएगा ।
प्रदेश के सभी प्राइमरी व जूनियर हाई स्कूलों में 15 अक्टूबर को " विश्व हाथ धोना दिवस " मनाया जाएगा । इस दिन स्कूलों में सुबह बच्चों सुबह बच्चों की विशेष सभा होगी । शिक्षक स्कूल के बच्चों को समूहों में बटकर अपने सहयोग से विद्यालय की साफ-सफाई कराएँगे। स्वछता एवं व्यक्तिगत सफाई का संदेश देती रैलियां निकलीं जाएँगी। सोच के पश्चात तथा भोजन से पहले हाथ धोने की शपथ लेंगे । स्कूलों में हाथ धोने के लिए साबुन , बाल्टी , मग , तौलिया के साथ झाडू दस्तर तथा कूदे-दान की भी व्यवस्था भी की जायेगी।
अच्छा है की इसी बहाने बच्चे साफ सफाई के साथ साथ बिमारियों से भी बचना सीखेंगे । पर जरूरी कदम तो उनके माता - पिता को को जागरूक करने का भी इसमे शामिल किया जाना चाहिए था। ग्रामीण परिवेश में जागरूकता के अभाव में सफाई पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता जितना की हमको देना चाहिए ।
प्रदेश के सभी प्राइमरी व जूनियर हाई स्कूलों में 15 अक्टूबर को " विश्व हाथ धोना दिवस " मनाया जाएगा । इस दिन स्कूलों में सुबह बच्चों सुबह बच्चों की विशेष सभा होगी । शिक्षक स्कूल के बच्चों को समूहों में बटकर अपने सहयोग से विद्यालय की साफ-सफाई कराएँगे। स्वछता एवं व्यक्तिगत सफाई का संदेश देती रैलियां निकलीं जाएँगी। सोच के पश्चात तथा भोजन से पहले हाथ धोने की शपथ लेंगे । स्कूलों में हाथ धोने के लिए साबुन , बाल्टी , मग , तौलिया के साथ झाडू दस्तर तथा कूदे-दान की भी व्यवस्था भी की जायेगी।
अच्छा है की इसी बहाने बच्चे साफ सफाई के साथ साथ बिमारियों से भी बचना सीखेंगे । पर जरूरी कदम तो उनके माता - पिता को को जागरूक करने का भी इसमे शामिल किया जाना चाहिए था। ग्रामीण परिवेश में जागरूकता के अभाव में सफाई पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता जितना की हमको देना चाहिए ।
बस साल में एक दिन? क्या मास्टरों को यह शिक्षा रोज नहीं देनी चाहिये?
ReplyDeletebhai..
ReplyDeleteyah shiksha roj hi deni chahiye, par log aisa karte kahan hai.Jaise 2 october ko logo ko gandhigiri yaad aati hai,vaise hi kam se kam ab 15 october ko 'haath dhona' yaad aa jaya karega.
Naveen Singh
primary master
चलो इस बहाने स्कूलों में साबुन,तौलिये,मग, साबुनदानी,बाल्टियां,झाड़ू,डस्टर और कूड़ादान तो आएंगे,अगर शिक्षा विभाग के अफसरों और बाबुओं ने कृपा की तो। इस तरह की साफ सफाई के मामले में गांव के बच्चे तो क्या शहर के बच्चे भी अनजान ही रहते हैं। अगर इस बात पर ना जाया जाये कि कौन किसको क्या सिखा रहा है, तो ये योजना बढ़िया है। हफ्ते में एक दिन संभव ना हो तो महीने में कम से कम एक दिन तो इसके लिये समर्पित होना चाहिये। सरकार और परदेसी संगठनों का मुंह देखे बगैर स्कूलों को अपने स्तर पर ये योजना चलानी चाहिये।
ReplyDeleteअच्छी योजना ..सही से पालन हो तब न .
ReplyDeleteyehi hai right thinking, agar sabhi hath sahi tarike se dhona sikh le tau baccho ki asamay mritu ko kam kar sakte hain. sabhi lago sabhi kaho -- "SAAF HATH MAIN DUM HAIN"
ReplyDeleteNarendra Singh