काश मैं कार्टूनिस्ट होता

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काश मैं कार्टूनिस्ट होता। बचपन में जो किरकिरा चेहरा किताब की कॉपी पर बनाता था, वो कभी मास्टर जी की डांट का पात्र बना, तो कभी दोस्तों की वाहवाही का। सोचा था बड़ा होकर हर चेहरे का एक नया चेहरा बना दूंगा—मजाक में लिपटी सच्चाई के साथ। पर ज़िंदगी की किताब में ये हुनर हाशिए पर रह गया। 


कल विश्व कार्टूनिस्ट डे (5 मई) था, सोचा था अपने अफसोस को कलम की धार दूंगा.. कल से आज तक सोचता ही रह गया —काश मैं कार्टूनिस्ट होता। काश मेरी कलम भी हँसी के पीछे छिपे रोने को उकेर पाती। काश मैं भी सियासत की चुप्पियों पर कुछ बोलता बिना बोले। काश मैं भी बच्चों को चुटकी में समझा पाता कि बड़े लोग इतने उलझे क्यों होते हैं।


पर मैं नहीं बना 🙆🏻‍♂️ शायद सच दिखाने का साहस इतना नहीं था जितना एक कार्टूनिस्ट में होता है। कार्टून सिर्फ हँसाने के लिए नहीं होते—वे चुभते भी हैं। वे वो सच होते हैं, जिन्हें शब्दों में कहना भारी पड़ता है। शायद इसीलिए मैं कार्टूनिस्ट नहीं बन सका।


कभी-कभी सोचता हूँ, यदि एक शिक्षक में कार्टूनिस्ट के गुण आ जाते, तो वह पढ़ाने के साथ-साथ सोचने, समझने और मुस्कराने की प्रेरणा और भी अच्छे से दे सकता है। वह बच्चों को सिर्फ पाठ्यक्रम नहीं, समाज की तस्वीर भी दिखा सकता है—सीधी, सरल और व्यंग्यपूर्ण भाषा में। शब्दों से नहीं, रेखाओं से बच्चों को जगा सकता है। कितना अच्छा होता अगर मेरी शिक्षकीय यात्रा में कार्टून की स्याही भी बहती। 

दिल से सलाम है उन सभी कार्टूनिस्टों को जो अपनी स्याही से हर व्यवस्था को बेनकाब करते हैं, जो हँसी में लपेटकर सबसे गंभीर बातें कह जाते हैं, और जो हर दिन हमें ये एहसास दिलाते हैं कि कार्टून बनाना बच्चों का खेल नहीं, बल्कि बड़ों के सच का आईना है।

✍️   प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

 

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