जीवन में आग होना सबसे ज़रूरी है

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जीवन में आग होना सबसे ज़रूरी है


गांव के चौपाल पर बैठे बुजुर्ग गप्पू काका अक्सर अपनी कहानियों से लोगों को हंसाते रहते थे। एक दिन उन्होंने कहा, "बेटा, जीवन में आग होना ज़रूरी है। बिना आग के आदमी सिर्फ राख है।"  

चाय के घूंट के साथ उनकी बात पर चर्चा छिड़ गई। रामू ने पूछा, "काका, ये आग कौन सी होती है?" काका मुस्कराए और बोले, "आग मतलब जुनून, जोश, कुछ कर दिखाने की चाह। बिना आग के आदमी हलवाई के वो कड़ाहा है जिसमें पकवान नहीं, सिर्फ पानी या तेल उबलता रहता है।"  

रामू इस बात को लेकर घर लौटा और सोचा, "अगर मेरे अंदर आग नहीं है, तो मैं भी बेकार का कड़ाहा ही हूं।" अगले दिन उसने सोचा, "कुछ करना चाहिए।" उसने पुराने खेतों में बोरिंग का काम शुरू कर दिया।  

अब गांव में चर्चा थी, "रामू के अंदर आग लग गई है। लड़का मेहनत कर रहा है।" लेकिन यह जुनून ज़्यादा दिन नहीं चला। दो हफ्ते बाद, उसने काम छोड़ दिया और कहा, "मेरे हाथ-पैर दुखने लगे। आग जलाना इतना आसान नहीं।"  

फिर क्या था, गांव के कुछ और लोगों ने सोचा कि उनके अंदर भी आग होनी चाहिए। पिंटू ने चूल्हा बनाने का ठेका लिया, शंभू ने बगीचा लगाना शुरू किया, और बब्लू ने बैंड पार्टी खोलने का सपना देखा। लेकिन सभी की आग कुछ ही दिनों में बुझ गई।  


तब गप्पू काका ने एक दिन तंज कसा, "तुम लोग आग की बात करते हो, लेकिन जलने की आदत नहीं है। आग को सिर्फ जलाना नहीं, सहना भी पड़ता है। बिना सहनशीलता के आग राख बन जाती है।"  

गांव वालों ने पूछा, "तो काका, ये आग टिकती कैसे है?"  

काका ने कहा, "आग टिकती है तप से, मेहनत से, और धैर्य से। जो सिर्फ धुआं करना जानते हैं, वो आग को जलते हुए नहीं देख सकते। याद रखो, आग एक जिम्मेदारी है, मज़ाक नहीं।"  

गांव वालों को समझ आ गया कि जुनून और जोश तभी काम आते हैं, जब उनके साथ संयम और निरंतरता हो। वरना आग तो हर चूल्हे में जलती है, लेकिन खाना वही पकता है जो सही ताप पर सही समय तक रखा जाए।  

गप्पू काका का व्यंग तीर की तरह सीधा दिल में लगा। गांव वाले अब आग जलाने से पहले सोचने लगे कि उसे बुझने से कैसे बचाना है।


✍️   प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

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