सपनों में शिक्षक केंद्रित शिक्षा
विद्यालय की पुरानी इमारत में, जहाँ दीवारें चटक रही थीं और पंखे धीमे-धीमे घूम रहे थे, एक शिक्षक रामनारायण अपने कार्य को निहार रहे थे। दिनभर बच्चों की ज़रूरतें और पाठ्यक्रम की मांगें पूरी करते-करते वे थक चुके थे। एक पल के लिए, उनकी आँखें बंद हुईं और वे सपनों की दुनिया में पहुँच गए।
सपने में उन्होंने खुद को एक विशाल मंच पर देखा। वहाँ हर तरफ शिक्षक-गौरव के नारे लग रहे थे। "शिक्षक केंद्रित शिक्षा से ही ज्ञान का सृजन होगा!" पोस्टरों पर लिखा था। मंच पर किताबें, छात्रों की उत्सुक मुस्कानें, और शिक्षक के नेतृत्व की झलक दिखाई दे रही थी। रामनारायण ने देखा कि पाठ्यक्रम अब उनकी सलाह पर आधारित था, और शिक्षकों की भूमिका केवल आदेशपालक नहीं, बल्कि नवाचारों के जनक बन चुकी थी।
तभी, अचानक आवाज़ आई, "अरे मास्टर जी, ये सपने ही देखोगे या पढ़ाओगे भी?" रामनारायण ने हड़बड़ाकर आँखें खोलीं। स्कूल के चपरासी का तंज भरा चेहरा उनके सामने था। वे मुस्कुराए और मन में सोचा, "शायद सपने देखना ही शुरुआत है।"
- क्या शिक्षक केंद्रित शिक्षा वाकई सपना ही रहेगा?
- क्या शिक्षक सिर्फ आदेश मानने का माध्यम बने रहेंगे?
कहानी यही सवाल उठाती है कि शिक्षा के केंद्र में शिक्षक को स्थान क्यों नहीं मिल सकता, जबकि वे ही इस पूरे तंत्र का आधार हैं।
✍️ प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर
परिचय
बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।
शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।