रिश्तों और जीवन में संतुलन का पाठ पढ़ाती गणित

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रिश्तों और जीवन में संतुलन का पाठ पढ़ाती गणित


बचपन से ही गणित से हमारा एक अजीब-सा रिश्ता रहा है। न जाने क्यों, इस विषय में जितना गहराई से उतरने की कोशिश की, उतना ही इसके रहस्य और गूढ़ होते गए। लेकिन फिर भी, खुद को हमेशा पैदाइशी गणित प्रेमी मानता हूं। इसका कारण शायद रामानुजन जैसी महान हस्तियों के जीवन से प्रेरणा लेना हो, जिनकी गणितीय सोच ने दुनिया को हिला दिया। अलग बात है कि  गणित में आगे कभी गहराई में घुसे नहीं पर यह स्वीकार करने में भी कोई झिझक नहीं है कि गणित ने हमें कभी न डराया, न चिढ़ाया, बल्कि हमेशा आकर्षित किया।  


एक गणित प्रेमी के रूप में पाया कि जीवन के हर पहलू में गणित का ही तो राज है। लेकिन बचपन में यह बात समझना इतना आसान नहीं था। हमारे लिए गणित केवल परीक्षा में पास होने का जरिया था। अंकगणित, बीजगणित, और रेखागणित—हर तरफ सूत्र और समीकरण। और इन समीकरणों को हल करते-करते अक्सर लगता था कि जीवन भी कोई उलझा हुआ गणित का सवाल ही तो है।  

 
मानता हूं कि कुछ सवालों के जवाब ढूंढते हुए डर तो लगा करता था। गणित में फेल होने का भय तो नहीं रहा पर 100 में 100 कैसे आएं यह दबाव सदैव बना रहा। इसी दबाव के चलते एक बार तो कक्षा 9 में गणित की परीक्षा में आए 93 अंकों को 98 बना दिया, वह अलग बात पकड़े जाने के बावजूद कूटे नहीं गए। लेकिन यह भी एक सच है कि उस डर ने ही हमें एक बेहतर इंसान बनने की सीख दी। जीवन में भी अगर सवाल जटिल हो, तो उसका हल ढूंढने में धैर्य चाहिए। समय के साथ, यह समझ आया कि गणित केवल स्कूल का विषय नहीं है। यह तो जीवन की बुनियाद है। चाहे वह बाजार में सब्जी खरीदते समय जोड़-घटाव हो, या रिश्तों की नाजुक डोर को संभालने की कला। हर जगह गणित हमारे साथ चलता है।  

 
जीवन में हमेशा यह सीखा और पाया कि संबंधों की गणित सबसे मुश्किल होती है। यहां कोई तय फार्मूला नहीं है। हर रिश्ते के लिए एक अलग समीकरण बनाना पड़ता है। दोस्ती में आप जोड़ते हैं, तो परिवार में अक्सर गुणा करना पड़ता है। और कभी-कभी, कुछ रिश्तों को बचाने के लिए घटाव भी जरूरी हो जाता है, और भाग और बंटवारा तो परिवारिक संबंधों का शाश्वत सच बन चुका है। "संबंधों का गणित" एक अनोखी कला है। इसे केवल वही समझ सकता है, जो इस विषय में दिलचस्पी रखता हो। हमने अपने जीवन में पाया कि जो लोग केवल लेने-देन की गणित समझते हैं, वे रिश्तों को जोड़ने में अक्सर असफल हो जाते हैं। लेकिन जब आप बिना किसी उम्मीद के देते हैं, तो आपके समीकरण खुद-ब-खुद संतुलित हो जाते हैं।  

 
तो, गणित केवल एक विषय नहीं, बल्कि जीवन के हर पहलू का आधार है। यह हमें सिखाता है कि हर कठिनाई का समाधान होता है, बस दृष्टिकोण सही होना चाहिए। यही गणित का असली जादू है। यह हमें हर कदम पर सोचने, समझने और संतुलन बनाए रखने की कला सिखाता है। इस मैथडे पर, आइए हम गणित के इस अद्भुत विज्ञान का जश्न मनाएं और इसे सिर्फ किताबों तक सीमित न रखते हुए अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाएं। आखिर, गणित के बिना न तो जीवन का समीकरण हल हो सकता है, न ही रिश्तों की खूबसूरत रेखाएं खिंच सकती हैं। आखिर, जीवन का सबसे बड़ा फार्मूला यही है—गणित से प्यार करो, जीवन में डरने की जरूरत नहीं।


✍️   प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

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