ये कलम नहीं सिर्फ शिकायतों के लिए

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ये कलम नहीं है सिर्फ शिकायतों के लिए


एक पत्रकार के रूप में, यदि आप केवल शिकायतकर्ता बन जाते हैं, तो आप खुद को उस गहरे उद्देश्य से वंचित कर रहे हैं, जो पत्रकारिता के मूल में है। पत्रकारिता का उद्देश्य समाज को उसकी गलतियों का आईना दिखाना है, लेकिन साथ ही उसे सुधार के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करना भी है। 

"शिकायतें तो बहुत हैं जमाने से हमें,
पर ये कलम नहीं सिर्फ शिकायतों के लिए।"
"है हक़ीक़त की रोशनी से रोशन ये सफ़र,
बदलाव के लिए है ये चिराग जलाए गए।"

पत्रकारिता एक ऐसा पेशा है जिसे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा गया है। यह केवल खबरें पहुंचाने का माध्यम नहीं, बल्कि सत्य की खोज और उसे समाज के समक्ष प्रस्तुत करने की एक जिम्मेदारी है। एक पत्रकार का कर्तव्य है कि वह लोगों की समस्याओं, उनके संघर्षों और उनकी कहानियों को उजागर करे, ताकि समाज के प्रत्येक वर्ग की आवाज़ सुनी जा सके। लेकिन यह भूमिका तब चुनौतीपूर्ण हो जाती है जब पत्रकार खुद को केवल एक शिकायतकर्ता तक सीमित कर लेता है। 


शिकायतकर्ता वह होता है जो किसी भी समस्या को केवल नकारात्मक दृष्टिकोण से देखता है और उसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता है। वह समाधान खोजने या विचारशील दृष्टिकोण प्रस्तुत करने के बजाय, समस्याओं के अंधेरे में खो जाता है। दूसरी ओर, एक पत्रकार का दायित्व इससे कहीं बड़ा और गहरा है। 

पत्रकार केवल खबरें रिपोर्ट करने तक सीमित नहीं होते। वे समाज के प्रहरी होते हैं, जो मुद्दों को उजागर करते हैं, लेकिन साथ ही साथ उनके समाधान का भी मार्गदर्शन करते हैं। जब कोई पत्रकार किसी सामाजिक या राजनीतिक मुद्दे को सामने लाता है, तो उसका उद्देश्य केवल शिकायत नहीं, बल्कि लोगों को उस समस्या की जड़ से अवगत कराना और उन्हें समाधान के लिए प्रेरित करना होना चाहिए। 

कई बार, पत्रकारों को बहुत सी नकारात्मक खबरों से रूबरू होना पड़ता है – अपराध, भ्रष्टाचार, गरीबी, अन्याय। इन खबरों के बीच, पत्रकार के लिए निराशा और असंतोष की भावना का आना स्वाभाविक है। लेकिन यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि वह इस निराशा को अपनी लेखनी और रिपोर्टिंग में हावी न होने दे। यदि वह स्वयं को केवल शिकायतकर्ता बना लेता है, तो उसकी भूमिका समाज के प्रति संकुचित हो जाती है।

पत्रकारिता केवल समस्याओं का ब्योरा नहीं, बल्कि समाधान का प्रस्तुतीकरण भी है। यदि पत्रकार समाज के प्रति अपने दायित्व को केवल शिकायत करने तक सीमित कर दे, तो वह एक महत्वपूर्ण भूमिका को खो देता है। 

समाज के हर जागरूक मनुष्य हो या हो हर पत्रकार, यह समझना चाहिए कि उसकी भूमिका शिकायतकर्ता की नहीं, बल्कि समाज के मार्गदर्शक की है। अंततः पत्रकारिता का मूल उद्देश्य समाज को उस दिशा में ले जाना है जहाँ न केवल समस्याओं की पहचान हो, बल्कि उनका हल भी खोजा जा सके।


✍️   प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

 

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