12th Fail : सपनों को कैश कराने का जरिया या प्रेरणा का स्रोत?

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12th Fail : सपनों को कैश कराने का जरिया या प्रेरणा का स्रोत?


विधु विनोद चोपड़ा की हालिया रिलीज़ फिल्म "12th फेल" एक प्रेरणादायक कहानी है जो एक ऐसे लड़के के संघर्षों को दर्शाती है जो 12वीं में फेल हो जाता है, लेकिन फिर भी अपने सपने को पूरा करने के लिए संघर्ष करता है और अंततः एक आईपीएस अधिकारी बन ही जाता है।


फिल्म के पक्ष में कई बातें हैं। सबसे पहले, यह एक सच्ची कहानी पर आधारित है, जो इसे और अधिक प्रामाणिक बनाती है। दूसरे, विक्रांत मैसी ने एक बार फिर अपने अभिनय से प्रभावित किया है। उन्होंने मनोज शर्मा के किरदार को पूरी ईमानदारी से निभाया है और उनके संघर्षों को हमारे सामने जीवंत कर दिया है। तीसरे, फिल्म का निर्देशन विधु विनोद चोपड़ा ने किया है, जो एक अनुभवी फिल्मकार हैं और उन्होंने फिल्म को एक शानदार तरीके से बनाया है।


फिल्म के खिलाफ कुछ बातें भी हैं। सबसे पहले, कहानी में कुछ जगहों पर ओवरड्रामा है।  दूसरे, फिल्म के कुछ संवाद बहुत ही सीधे-सादे हैं और उन्हें और अधिक प्रभावशाली बनाया जा सकता था। कुल मिलाकर, "12वीं फेल" एक अच्छी फिल्म है जो प्रेरणा का एक स्रोत हो सकती है। हालांकि, फिल्म में कुछ कमियां भी हैं जो इसे और बेहतर बना सकती थीं।


फिल्म के अंत में, मनोज शर्मा कहते हैं, "सपने देखना कभी भी गलत नहीं है। लेकिन सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प की भी जरूरत होती है।" यह एक सकारात्मक संदेश है जो युवाओं को प्रेरित कर सकता है। लेकिन फिल्म यह भी दिखाती है कि सपनों को कैश करने के लिए कई बार संघर्ष और समझौता करना पड़ता है।


"12वीं फेल" एक ऐसी फिल्म है, जो आपको सोचने पर मजबूर कर देती है। यह आपको बताती है कि सपने देखना जरूरी है, लेकिन सपने देखने के साथ-साथ मेहनत करना भी जरूरी है। अगर आप अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं, तो आपको कड़ी मेहनत और संघर्ष करने से नहीं डरना चाहिए।


तो, "12th फेल" क्या है? यह एक सपनों को कैश करने का जरिया है या प्रेरणा का स्रोत? यह एक व्यक्ति के नजरिए पर निर्भर करता है। लेकिन एक बात निश्चित है कि यह फिल्म आपको सोचने पर मजबूर करेगी।


✍️   प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

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