वैसे तो किसी भी सर्वेक्षण की पूरी सफलता की शुद्धता उसके सर्वेक्षण से प्राप्त सैम्पल बेस से निर्धारित होती है ; तो अभी संपन्न हिन्दी चिट्ठाकारों का आर्थिक सर्वेक्षण भी इसका अपवाद नहीं हो सकता है । जाहिर है तो इस रूप में यदि मान लें की थोड़ा बहुत भी सक्रिय हिन्दी चिट्ठाकारों की संख्या 4000 हो तो इस सर्वे में भाग लेने वालों की संख्या कम से कम 500 के आस-पास रहती तो शायद ज्यादा अच्छा होता । बकिया तो हम अपने ब्लॉग के आदिगुरु रवि रतलामी जी की प्रेरणा के अनुरूप कितने लोगों ने हिस्सा लिया यह हम अंत तक नहीं बताने वाले।
तो चलिए शुरू करते हैं सर्वेक्षण से प्राप्त परिणामों पर एक नजर डालने की ....
हिन्दी ब्लॉग्गिंग में आज भी निजी क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों का बहुमत कायम है , शायद आईटी और दूर-संचार में उनकी पकड़ सरकारी बाबुओं की तुलना में अच्छा होना एक बड़ा कारण हो ?कुछ उत्तर इन संभावित उत्तरों से हट कर भी प्राप्त हुए हैं ।
इस प्रश्न के बारे में श्यामल सुमन जी के विचार पर कृपया ज्यादा उपयुक्त टाइम-पास चिट्ठाकार के स्थान पर पार्ट-टाइम चिट्ठाकार ज्यादा ही नहीं सर्वथा उचित जान पड़ता है .....अतः इसे तदनुरूप ही समझा जाए। और सर्वेक्षण यह बताता है कि फुल टाइम ब्लॉग्गिंग अभी ज्यादातर के बूते की बात नहीं ......जाहिर है बड़ा सवाल अभी आमदनी का जो है ?
फुल टाइम ब्लॉग्गिंग का ख़तरा इसीलिए नहीं उठा सकते हैं हैं कि अभी भी हिन्दी चिट्ठाकारी घर के धान ....पयारे में मिलाने जैसी स्थिति से दो -चार है । इसीलिए अधिकांश ब्लॉगर अभी भी स्वांत सुखाय भाव से लगे हैं अपना गूगल पेज रैंक और ट्रैफिक बढाने में ।
बड़े खुशनसीब हैं वह जो गिने चुने हैं ......पर शायद कमा रहे हैं हिन्दी ब्लॉग्गिंग से आप खुद देख कर समझिये ...... ज्यादा जानकार लोग तो शायद कुछ नाम भी गिना सके ?..... कि कौन हैं वह खुशनसीब !!
हिन्दी ब्लॉग्गिंग में अभी भी प्रभुत्व ऊँची आमदनी वालों का बना हुआ है । आने वालों में शायद यह अंतर कुछ घटे । जाहिर है हिन्दी ब्लॉग्गिंग की पहली जरुरत ही पहली सीढ़ी चढ़ने वालों से काफी महंगा नजराना जो मांगती है (कंप्यूटर और इन्टरनेट कनेक्सन )। सो अभी आम आदमी के बूते की बात भी नहीं हिन्दी ब्लॉग्गिंग? जाहिर है पेट की भूख वालों से दो- चार होने वालों के लिए यह उतना जरूरी नहीं?
एक और सबूत कि हमारे ब्लोग्गेर्स 11 नंबर की बस से काफी आगे जा चुके हैं?पर कहीं इसका प्रतिशत पर नेताओं की तरह कार और बे-कार जैसी घोषणा जैसी तो नहीं?
अरे फ़ुरसतिया और ज्ञान जी की एसी चर्चा का असर लगता नहीं हुआ अब तक ;अभी भी हमारे ब्लॉगर लगता है कि उनका अनुकरण पूरी तरह से नहीं कर पाए ....चलिए हमारी तो आरजू सभी भाई एसी की ठंडी हवा में करें ब्लॉग्गिंग? आखिर वेद रत्न शुक्ल जी आर्थिक हैसियत के कारण एसी चिंतन से महरूम क्यों रहें?
इस प्रश्न पर काफी आपत्तियां आयीं क्योंकि बहुत से ब्लॉगर दोनों माध्यम का प्रयोग करते हैं .....पर जहाँ तक मेरा लक्ष्य था , यह जानना कि आखिर थोड़ी महंगी और कम संख्या में उपलब्ध लैपटॉप को ज्यादा प्रयोग करने वाले हैं या वही भारी भरकम डेस्कटॉप : जिसकी उपलब्धता सर्व-सुलभ है । जाहिर है परिणामों से तो यही पता चलता है कि अभी भी बहुमत डेस्कटॉप प्रयोक्ताओं का ही है ।
ब्लॉग्गिंग कहाँ से करते हैं ? पूछने से आशय था कि आप अधिकतर समय किस रूप में मैनेज करते है .....साथ ही यह जानना कि आखिर खर्च किसके खाते में डाला जाता है ??? पर शायद इसके बारे में निजी रूप से मेरा मानना है कि इस प्रश्न ने काफी चिट्ठाकारों को डरा दिया .......सो राज भाटिया जी समेत काफी टीपें भी मिली इस बारे में ।
प्रतिमाह ब्लॉग्गिंग की "हफ्ता वसूली" के रूप में बहुमत तो रूपये 500 से 1000 के बीच ही खर्च करता दिख रहा है । पर अच्छी और बढ़िया बात यह कि रूपये 250 से 500 खर्च करने वाले वर्ग का भी बढ़ता प्रतिशत !! शायद इन्टरनेट कनेक्सन पर कुछ सस्ते प्लान हिन्दी ब्लॉग्गिंग की राह और आसान कर सकें ।
आपको धन्यवाद के साथ प्राइमरी के मास्टर का यह प्रयास आपको कैसा लगा ? जरूर बताएं ।
जाहिर है कि कुछ और अछे प्रश्नों का निर्माण किया जा सकता था .....और ज्यादा बड़ा सैम्पल बेस लिया जा सकता था । पर हर व्यक्ति की अपनी सीमायें हैं ... सो प्राइमरी के मास्टर की क्यों नहीं?
पुनश्च आपको धन्यवाद सहित !
शुक्रिया !!
परिणाम अपेक्षानुरूप ही हैं । हिन्दी चिट्ठाकारॊं का यह आथिक सर्वेक्षण बेहतर सोच थी ।
ReplyDeleteखूबसूरत प्रयास मास्टर साहब। एक अच्छी सोच।
ReplyDeleteसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
ऐसा ही सोचा था. इतना तो कोई भी झूट बोल सकता है :) .
ReplyDeleteबहुत बढिया रहा जी यह सर्वेक्षण.
ReplyDeleteरामराम.
आपका यह प्रयास सराहानिय है ।
ReplyDeleteआर्थिक सर्वे के परिणाम के लिये बधाई!! सूचना सारथी पर बडे अक्षरों में दे दी गई है.
ReplyDeleteहिन्दी ब्लागिंग से 5000 रुपये से अधिक प्रति माह कमाई विश्वसनीय़ नहीं लग रहा. अंग्रेजी में इतनी कमाई अच्छी मानी जाती है, और उस की तुलना में हिन्दी में कम कमाई होती है.
यदि यह संख्या वाकई में सही है तो इन मित्रों से अनुरोध है कि अलादीन के इस चिराग के बारे में बाकी चिट्ठाकारों को भी बतायें!
सस्नेह -- शास्त्री
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.Sarathi.info
विश्वसनीय़ नहीं लग रहा = लग रही
ReplyDeleteशास्त्री जी की बात से बिल्कुल सहमत हूं यदी ऐसा है तो उनका फर्ज भी बनता है कि वो हम सब को भी ऐसा कुछ बताये।
ReplyDeleteकोई भी सर्वेक्षण पर बिना सेम्पल साइज जाने भरोसा नहीं किया जा सकता.... ४०० सेम्पल साइज कोई जादुई नम्बर नहीं है... सेम्पल साईज में ५% या १०% जैसा कुछ नहीं होता.. सेम्पल साइज का लेना देना standard error से होता है... जितनी सेम्पल साईज ज्यादा होती है error उतनी कम.. जैसे हम कहते है कि ७६.५% टाइम पास ब्लॉगर है तो वास्तव में ये आंकडा (७६.५+ X) या (७६.५-X) हो सकता है.. यहाँ X standard error है... X जितना कम हो परिणाम उतना ही विश्व्नीय...
ReplyDeleteआपने बहुत महत्तवपुर्ण कार्य किया है, हिन्दी ब्लोगर के आर्थिक पहलु पर शोध कर.. लेकिन यदि आप सेम्पल साइज लिख देगें तो ये शोध भविष्य के लिये बेंच मार्क साबित हो सकता है..
सराहनीय प्रयास!गुरूजी कोई काम करे और वो सही ना हो।
ReplyDeleteबढिया रहा जी यह सर्वेक्षण.
ReplyDeleteआपका प्रयास सरहानीय था. एक छवि स्पष्ट सी हुई है. मगर कोई 5 हजार कमा रहा है, यह बात विश्वास करने योग्य नहीं लगती.
ReplyDeleteभाई हम तो कक्षा से अनुपस्थित थे इतने दिन, सो भाग नहीं ले पाये।
ReplyDeleteवैसे यदि केवल 10 लोगों ने भाग लिया हो तो एक अकेला चना ही भाड़ फोड़ सकता है याने 5000 से अधिक कमा कर प्रतिशत बढा सकता है। अत: संख्या बहुत महत्वपूर्ण है।
घुघूती बासूती
maasaab bhaag to nahin le paaye magar sabhi aankdon mein bilkul fit baith jaate hain...sirf wo paanch hajaar wale ko chhod kar ..albatta samaachaar patron ke liye likhne se jaroor gullak bhar jaatee hai.....
ReplyDelete@ उड़नतश्तरी
ReplyDeleteहा हा हा हा हा
इसके सिवाय कर ही क्या सकता हूँ ?
हिन्दी चिट्ठाकारों का आर्थिक सर्वेक्षण : परिणामो पर एक नजर
@शास्त्री जी
ReplyDeleteसहयोग के लिए धन्यवाद!!
आपकी बातों से सहमत
भगवान् हिन्दी ब्लोग्गेर्स की खूब झोली भरे?
इसके सिव्वय हम कुछ नहीं कह सकते?
हर सर्वेक्षण की कुछ सीमायें होती हैं!!तो इसकी क्यों नहीं?
@रंजन जी !
ReplyDeleteबेहतर भविष्य की जरूरत पर अवश्य ही सरे आंकड़े उपलब्ध करा दिए जायेंगे!!
वैसे सैम्पल साइज पर पूरी सहमति है अपनी
प्रवीण जी का अच्छा प्रयास है यह, मैं एस्वयम इस्मने भाग लिया था.
ReplyDeleteसलीम खान
संरक्षक (स्वच्छ सन्देश: हिन्दोस्तान की आवाज़)
जैसा सोचा था उसी के अनुरूप ही तस्वीर दिख रही है !
ReplyDeleteमास्टर जी, नमस्ते.
ReplyDeleteआपका प्रयास पक्का सराहनीय है. आजकल कौन कोशिश करता है ये काम करने की?
सधी हुई पोस्ट के लिए,
ReplyDeleteमेरी भी बधाई स्वीकार कर लें।
बहुत मेहनत का स्वागत योग्य काम किया है आपने। धन्यवाद।
ReplyDeleteबहुत ज़ोरदार असरदार जानदार
ReplyDeleteआपके इन प्रयासों का हार्दिक
आभारी हूँ
बिना सत्यापन के ऎसे नतीज़े कोई मायने नहीं रखते,
ReplyDeleteऔर.. मेरे पास ऎसा लिखने के कारण भी हैं ।
किसी पोस्ट में इसका खुलासा कर सकूँ, तब तक इतना ही..
विवादों से मन ऊब चुका है !
सर्वेक्षण तो रोचक लगा, किंतु कुछ आँकड़े सहज ही हजम नहीं हो रहे।
ReplyDeleteमुझे लगता है कि बड़े सैम्पल से भी यही परिणाम आते। कमोबेश स्थिति इसी के इर्द-गिर्द घूमती लगती है।
ReplyDeleteबहुत सही कार्य हुआ है बधाई.
ReplyDeleteमतदाता तो हम भी थे, परिणाम आज देख कर बहुत अच्छा लगा।
ReplyDeleteबहुत अच्छा प्रयास
ReplyDeleteहिंदी अथवा इंग्लिश ब्लॉग लेखन से क्या और कैसे किया जा सकता है? कुछ विस्तार से इस पर रौशनी डालने कि कृपा करें.
ReplyDelete