सरकारी प्राथमिक शिक्षा में जारी किए जाने वाले आदेशों की अधिकता और गैर शैक्षणिक कार्यों के बोझ के चलते कई नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं. इनमें से कुछ प्रभावों का वर्णन इस प्रकार है:
शिक्षकों का तनाव बढ़ता है: शिक्षकों को सरकार द्वारा जारी किए जाने वाले आदेशों को पूरा करने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है। यह उन्हें तनावग्रस्त कर देता है और उनकी कार्यक्षमता को प्रभावित करता है।
छात्रों का सीखने का समय कम हो जाता है: आदेशों की अधिकता और गैर शैक्षणिक कार्यों के चलते छात्रों का सीखने का समय कम हो जाता है। वे इन कार्यों में उलझकर अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाते हैं।
शिक्षा का स्तर गिरता है: आदेशों की अधिकता और गैर शैक्षणिक कार्यों के चलते शिक्षा का स्तर गिरता है। छात्रों को पर्याप्त समय पढ़ने के लिए नहीं मिल पाता है और वे अपनी पढ़ाई में पिछड़ जाते हैं।
छात्रों का मनोबल कम होता है: आदेशों की अधिकता और गैर शैक्षणिक कार्यों के चलते छात्रों का मनोबल कम हो जाता है। वे पढ़ाई में रुचि नहीं लेते हैं और वे स्कूल से दूर भागने लगते हैं।
सरकार को प्राथमिक शिक्षा में आदेशों की अधिकता और गैर शैक्षणिक कार्यों को कम करने के लिए कदम उठाने चाहिए। ऐसा करने से छात्रों को बेहतर शिक्षा मिल सकेगी और वे अपने भविष्य में सफल हो सकेंगे।
निम्नलिखित कुछ सुझाव हैं जिन पर सरकार को विचार करना चाहिए:
सरकार को लंबे समय के लिए प्लानिंग करनी चाहिए, शॉर्ट टर्म कार्यक्रम, योजनाएं और गैर शैक्षणिक प्लान और अचानक आए आदेशों का क्रियान्वयन समस्या पैदा करते हैं।
5 या 10 वर्षों के लिए रणनीतिक योजनाएं बनें और अगले 5 या 10 वर्ष उन पर लक्ष्य केंद्रित किया जाए।
सरकार को आदेशों को कम करने के लिए एक समिति गठित करनी चाहिए। इस समिति में शिक्षकों, शिक्षाविदों और अभिभावकों को शामिल किया जाना चाहिए।
सरकार को गैर शैक्षणिक कार्यों के बोझ को समाप्त करना चाहिए। ये कार्य छात्रों के सीखने में बाधा डालते हैं और उनका समय बर्बाद करते हैं।
सरकार को प्राथमिक शिक्षा के बजट को बढ़ाना चाहिए। इससे शिक्षकों को बेहतर सुविधाएं और संसाधन उपलब्ध हो सकेंगे और वे छात्रों को बेहतर शिक्षा दे सकेंगे।
सरकार द्वारा इन सुझावों पर अमल करने से प्राथमिक शिक्षा में सुधार होगा और छात्रों को बेहतर भविष्य मिलेगा।
सरकारी प्राथमिक शिक्षा क्षेत्र में आदेशों की अधिकता और गैर-शैक्षणिक कार्यों के चलते पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों का विश्लेषण करते समय हमें यह देखने को मिलता है कि यह समस्या शिक्षा प्रणाली में कई मामूली परिवर्तनों को लेकर उत्पन्न होती है, जो शिक्षा के स्तर को प्रभावित करते हैं।
आदेशों की अधिकता के मामूल संकेत मानव संसाधन की अपशिष्ट प्रबंधन की ओर पुंछते हैं। शिक्षकों को विभिन्न प्रकार के अतिरिक्त कार्यों और प्रमुख कार्यों के आदान-प्रदान के लिए आदेश दिए जाते हैं, जिनसे वे शिक्षा के मूल उद्देश्यों पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं। इससे उनका समय विचारण, प्रश्न पत्रों की तैयारी, छात्रों की प्रगति की निगरानी आदि में कमी आती है, जिसके परिणामस्वरूप शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।
गैर-शैक्षणिक कार्यों का परिप्रेक्ष्य देखने पर हम देखते हैं कि शिक्षा प्रणाली में असंतुलन की समस्या है। आदेशों की अधिकता के कारण शिक्षक अकेले नहीं पूरे शिक्षक समूह के साथ काम कर पाते हैं, जिससे सहयोग और विकास की सामर्थ्या कम हो जाती है। इसके अलावा, अतिरिक्त कार्यों के चलते शिक्षक अध्यापन में अधिक समय नहीं दे पाते, जिससे शिक्षा के स्तर में कमी आ सकती है।
नकारात्मक प्रभावों के बारे में सोचने पर हमें यह दिखाई देता है कि ये समस्याएं केवल शिक्षा प्रणाली के स्तर पर ही नहीं हैं, बल्कि उनके पीछे विभिन्न कारण भी हो सकते हैं। समय-समय पर शिक्षा प्रणाली में सुधार किए जाते रहने चाहिए ताकि आदेशों की अधिकता और गैर-शैक्षणिक कार्यों के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सके और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो सके।