@संतोष त्रिवेदी! यह सीलन ही तो सरकारी बिल्डिंग की पहचान है ....भैये ! वैसे इसको किसी मास्टर ने बनवाया है .....गर ठेकेदार ने बनवाया होता तो का होता .....????
सीलन है तो क्या करे?चाहते तो हैं काम टनाटन हो पर मिस्त्री पर यकीन करते हैं कि वो सही रेशो में रेत सीमेंट यूज कर रहा होगा स्कूल समय के बाद भी फिर भी कई बार ऐसा हो जाता है.एक कमरा कितनो की कमाई का जरिया भी है.ये बात अलग है हमसे तो कोई अधिकारी या जनप्रतिनिधि अपना हिस्सा मांगते हुए कपडो में सु सु कर देते हैं ......... साफ़ बात ....जिस दिन दस रुपया खायेंगे आपको पांच जरूर देंगे.
भइया,ई सीलन से यहि कोटेशन का जनम हुआ है का ?
ReplyDelete@संतोष त्रिवेदी!
ReplyDeleteयह सीलन ही तो सरकारी बिल्डिंग की पहचान है ....भैये !
वैसे इसको किसी मास्टर ने बनवाया है .....गर ठेकेदार ने बनवाया होता तो का होता .....????
सीलन है तो क्या करे?चाहते तो हैं काम टनाटन हो पर मिस्त्री पर यकीन करते हैं कि वो सही रेशो में रेत सीमेंट यूज कर रहा होगा स्कूल समय के बाद भी फिर भी कई बार ऐसा हो जाता है.एक कमरा कितनो की कमाई का जरिया भी है.ये बात अलग है हमसे तो कोई अधिकारी या जनप्रतिनिधि अपना हिस्सा मांगते हुए कपडो में सु सु कर देते हैं ......... साफ़ बात ....जिस दिन दस रुपया खायेंगे आपको पांच जरूर देंगे.
ReplyDelete@indu puri,
ReplyDeleteआपकी बातों में सच्चाई है .....इसी लिए निर्माण कार्यों से अलग ही रहता हूँ .......वैसे भी दावेदारों की कमी नहीं है|