आजाद भारत में शिक्षक का इससे बड़ा अपमान और कोई नहीं हो सकता की वह सम्मानित होने के लिए ख़ुद ही आवेदन करे। आवेदन देकर यह कहना कि हम उत्कृष्ट शिक्षक हैं , मुझे सम्मानित करो एक तरह से बौद्धिक दारिद्रय का ही परिचायक है ।....................
मैं उत्कृष्ट शिक्षक हूँ ..... मुझे सम्मानित करो ?
Saturday, September 05, 2009
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उत्कृष्ट शिक्षक के लिए सिफारिशो का भी तो जुगाड़ करना पड़ता है . आखिर दो साल की नौकरी बडबाने के लिए पैरवी तो करवानी ही पड़ेगी . ख़ैर शिक्षक दिवस आप को बधाई ,
ReplyDeleteअभी अभी कर के आये है जी
ReplyDeleteयह भी खूब कही । वैसे ठीक ही कह रहे हैं आप । आभार ।
ReplyDelete:) भाई साहेब इतनी लम्बी लाइन है इस देश में कि पद्म सम्मान का कोई ठिकाना नहो तो बाकी का क्या होगा
ReplyDeleteजाने क्यों धारावाहिक 'चाणक्य' के शिक्षकों के आपसी सम्वाद और तर्क वितर्क याद आ गए !
ReplyDeleteएक बार देख डालिए मास्साब। हमारी चले तो आप को 'पुरस्कार' देके ही छोड़ें लेकिन इस अकिंचन की औकात ही क्या ;)
प्रश्न यह है कि आप अकिंचन से सम्मान चाहते हैं या राज्यसत्ता से ?
सम्मान तो शिष्यों से मिलना चाहिये। बाकी तो जुगाड़ है!
ReplyDeleteशिक्षक से पढाई के अलावा सभी काम करवाये जा रहे हैं।अधिकांश समय तो अच्छे स्कूल मे बने रहने के लिये नेताओं के चक्कर लगाते बीत जाता है।बाकी समय जनगणना और अन्य सरकारी काम मे लगे रहते हैं।
ReplyDeletePraveen ji,
ReplyDeleteshikshak divas kee shubhkamnaye kuchh der se de pa rahii huun.
apka kahana sahee hai hamare desh men har puraskar aur samman ke liye ab khud pahal karanii padatee hai....yah vakayee chintajanak sthti hai.
Poonam
BISANGATI HAI,SANSAD/VIDHAN SABHA SADASYA MAIN SARVSHRESTRA SADASYA KA CHAYAN 1 MINUTE MAIN HO JATA HAIN,YAHI HAI SAMVADHANIK BAYABASTHA.B.K.SHUKLA
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