आवश्यक ज्ञान
मैं तुम लोगों से इतना कहना चाहता हूं कि जो पुस्तकें तुम्हें पुरस्कार में दी जा रही हैं उनको भली-भांति पढ़ना , उन पर खूब विचार करना और उनमें दिये गये सत्य के मर्म को हर समय ध्यान में रखते हुए धर्म के मार्ग पर चलना।
.....तुम चाहे लड़की हो या लड़के, बडे़ होने पर सांसारिक कर्तव्यों का भारी बोझ तुम्हारे सिर पर पड़ेगा। इसलिए तुम भविष्य के सम्बन्ध में विचार करो। सत्य का मर्म केवल अपनी पुस्तकों में ही नहीं है, बल्कि अन्य धर्मों की पुस्तकों में भी है। तुम्हारा कर्तव्य है कि तुमने जो ज्ञान प्राप्त किया है उसे विचारपूर्वक हृदयंगम करो।
धर्म और नीति की जितनी शिक्षा तुम्हारे काम आ सकती है उतनी ही लेनी चाहिए। उतना ही ज्ञान आवश्यक है जितना व्यर्थ और बोझ न बन जाय। तुम छात्रों के लिए मैं यह विशेष रूप से कहता हूं कि चाहे तुम लड़की हो या लड़के तुमने जो भी ज्ञान प्राप्त किया है उसका लाभ तुम्हें उसी हद तक मिलेगा जिस हद तक तुमने उसे हृदयंगम किया होगा।
इस संस्था का उद्देश्य भी यही होना चाहिए। तुम जो भी पुस्तक पढ़ो, उसमें सत्य कितना है, यह सोचो। यदि तुम सत्य पर आरूढ़ रहोगे तो तुम्हें सफलता मिलेगी। मैं तुमसे अपने अनुभव के आधार पर कहता हूं कि तुमको जो ज्ञान मिलता है उसे सँजोकर रखना। उससे तुम्हें और देश को लाभ होगा।
बम्बई में छात्रों के पुरस्कार-वितरण के अवसर पर दिये गये भाषण का अंश
कठियावाड़ टाइम्स, 17-2-1915
कठियावाड़ टाइम्स, 17-2-1915
बहुत आभार इस प्रस्तुति का.
ReplyDeleteबहुत सुंदर और सतत प्रकाशन के लिये धन्यवाद.
ReplyDeleteरामराम.
इन शुभ विचारों की प्रस्तुति के लिये धन्यवाद ।
ReplyDeleteअनमोल वचन.....पढ़वाने के लिए आपका धन्यवाद, मास्साब!!!
ReplyDeleteसाभार
हमसफ़र यादों का.......
गांधी जी के विचारों का प्रचार प्रसार का यह एक सराहनीय प्रयास है .. शुभकामनाएं।
ReplyDeleteबहुत सुंदर लगा आज का आप का यह लेख, काश हम सब इसे अपनाते .
ReplyDeleteधन्यवाद
बहुत शुभ। धन्यवाद।
ReplyDeleteशुभ शुभ आप सभी को भी शुभ!!
ReplyDeleteसुभति शुभ !!