आत्मप्रियता में राजा का हित नहीं
Author -
personप्रवीण त्रिवेदी
Monday, October 13, 2008
प्रजा के सुख में ही राजा का सुख और प्रजाओं के हित में ही राजा को अपना हित समझना चाहिए। आत्मप्रियता में राजा का हित नहीं है, प्रजाओं की प्रियता में ही राजा का हित है।चाणक्य
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