गाँधी जी की पहली छात्रा कस्तूरबा थीं। गाँधी जी का विवाह 13 वर्ष की उम्र में हुआ था, जब वह स्कूल में पढ़ते थे, किंतु उनकी पत्नी निरक्षर थीं। गाँधी जी ने कस्तूरबा को रात को एकांत में पढ़ाना चाहा क्योंकि उस ज़माने में पुराने–चाल के घरों में सबके सामने पत्नी से बोलने का रिवाज नहीं था। किंतु तब कस्तूरबा की रुचि लिखने–पढ़ने में तनिक भी नहीं थी। अत: शिक्षक बनने का गाँधी जी का यह प्रयत्न सफल न हो सका।फ़िर 73 वर्ष की उम्र में कैद के समय गाँधी जी को कुछ अवकाश मिला और उन्होंने कस्तूरबा को फ़िर पढ़ाना आरंभ किया। बा के पढ़नेके लिए उन्होंने रामायण और महाभारत के कुछ भागों का संकलन किया और उन्हें गुजरात साहित्य, व्याकरण और भूगोल पढ़ाना शुरु किया। किंतु बीमारी और बुढ़ौती की मारी बा कुछ विशेष प्रगति न कर सकीं।
विलायत से बैरिस्टर होकर लौट आने के बाद गाँधी जी पर अपने परिवार के बालकों को व्यायाम और साहबी ढंग का रहन–सहन सिखाने की सनक सवार हो गई थी। बच्चे उनकी ओर अनायास ही आकृष्ट हो जाते हैं, यह देखकर उनकी यह धारणा बन गई थी कि मैं बहुत अच्छा शिक्षक हो सकता हूँ।
(क्रमशः जारी.....)
विलायत से बैरिस्टर होकर लौट आने के बाद गाँधी जी पर अपने परिवार के बालकों को व्यायाम और साहबी ढंग का रहन–सहन सिखाने की सनक सवार हो गई थी। बच्चे उनकी ओर अनायास ही आकृष्ट हो जाते हैं, यह देखकर उनकी यह धारणा बन गई थी कि मैं बहुत अच्छा शिक्षक हो सकता हूँ।
(क्रमशः जारी.....)
gandhi ji ke baare mai jaankaari dene liye sadhuwaad
ReplyDeletegandhji bahut prernadayak vyaktitav they
ReplyDeleteगाँधी जयंति की बहुत-बहुत बधाई।
ReplyDeleteगाँधी जी निस्संदेह एक असाधारण व्यक्तित्व थे, लोग उन्हें आज़ादी का पूरा श्रेय देते हैं पर शायद यह लोगों के मन में उनके प्रति श्रद्धा के कारण है. और भी थे आज़ादी के दीवाने.
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