महिलाओं की स्वतंत्रता ने कामकाजी महिलाओं के लिए भले ही एक नए युग के द्वार खोल दिए हैं लेकिन बच्चों की परवरिश के मामले में उनके पति अब भी कम ही योगदान देते हैं। ऐसे सिर्फ़ चार प्रतिशत पिता हैं जो अपने कार्यालय का काम निपटाने के बाद बच्चों के होमवर्क के लिए समय निकाल पाते हैं। एसोचैम सामाजिक विकास संगठन (एएसडीएफ) के तत्वावधान में बच्चों के प्रति आधुनिक पिताओं की स्थिति पर किए गए एक नए सर्वेक्षण में कहा गया है कि पिता बच्चों की परवरिश के मामले में अकसर नौकरी या व्यवसाय में अत्यधिक व्यस्तता जैसा कोई न कोई बहाना बना देते हैं जिससे कामकाजी महिलाओं को अपने बच्चों को ट्यूशन केंद्रों और क्रेच भेजने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
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अब आयेगा ऊँट पहाड के नीचे :)
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