....... आखिर लिखना ही पड़ा ✍️

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....... आखिर लिखना ही पड़ा ✍️ 
प्रवीण त्रिवेदी 


आज एक शिक्षक whatsapp समूह में  यह वीडियो देखने को मिला और इस वीडियो पर आई सभी प्रतिक्रियाएं 👏 जैसी इमोजी से नवाजी जा रहीं थी। ऑनलाइन दुनिया में हम सब ऐसे वीडियो देखते आ रहे हैं। कई बार वीडियो देखने के बाद पेश है अंतर्मन ने जो महसूस किया वह आखिर लिखना ही पड़ा।

 



🤔 प्रथम दृष्टया

👏 यकीनन यह वीडियो लवली लगता है
👏 यकीनन यह वीडियो फैंटैस्टिक भी लगता है
और
👏 जाहिर है यह वीडियो फेबुलस भी हो सकता है


पर 
जो यह वीडियो कहता और सिद्ध करने की कोशिश करता है, उसके इतर अन्य मुद्दों को दरकिनार करते हुए अपने एजेंडा पर ही बात करता है।

इसके विपरीत मेरी राय / सलाह यह है कि हम सबको इस वीडियो के उस अनकहे पर भी बात करने की कोशिश करनी चाहिए, जो यह वीडियो कहने में असफल रहा है। कुछ मुद्दे मैं नीचे प्रस्तुत करने का साहस कर रहा हूं।


1
यह वीडियो शिक्षक को ऐसे शख्स के रूप में ही केवल प्रस्तुत करता है, जहां कोचिंग में उसके पढ़ाए हर बच्चे सफल हैं और बड़े पदधारी बन गए हैं, उनमें कितने इंसान बन पाए? इसके बारे में यह वीडियो पूरी तरह शांत है। 


2
यह उन शिक्षकों के प्रयास को कमतर करता दिखलाई पड़ता है, जो बगैर संसाधनों के दुरूह इलाकों में अपने प्रयासों से बच्चों का जीवन गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं, और यह रोज कर रहे हैं, बिना सफल या असफल होने का भय लिए हुए। 


3 
बड़ा सवाल है कि शिक्षा और शिक्षक किस हेतु? इस हेतु की पूर्ति और इस पूर्ति के लिए शिक्षक सम्मान केवल इस बात का भूखा नहीं हो सकता है कि उसके पढ़ाए बच्चे आईएएस , इंजीनियर, डॉक्टर या उच्च पदधारी बन जाएं।  शिक्षा और शिक्षक की उपस्थिति को इससे बड़े परिदृश्य के रूप में देखी जानी चाहिए। 


यथासंभव बात थोड़ी कही पर आपके अंतर्मन तक पहुंची जरूर होगी। शिक्षा जब पूरी तरह बाजार के हवाले हो जाए तो भी हर शिक्षक के हाथ में उसके अपने हालात और उन हालातों में बेहतर करने के अपने प्रयास हैं, और उसके प्रयास सफल हों, यही मुख्य है, इसके सिवा सब बेमानी हैं।

सोशल मीडिया पर शिक्षकों के महिमामंडन की विडियोज, या व्हाट्सएप पर अमूमन मुझे निजी तौर पर इंप्रेस नहीं करती हैं। बल्कि कुछ सवालों पर मंथन करने के लिए उकसाती हैं।

हर शिक्षक
हर स्कूल
हर स्कूल के आसपास का समुदाय
और
हर बच्चा
अपने आप में यूनिक है।


इसलिए किसी एक के परिणाम से किसी की श्रेष्ठता का अनुमान लगाना, आंकलन करना या तुलना करना मुझे निजी तौर पर थोड़ा असहज करता है। इसलिए आखिर लिखना ही पड़ा। ✍️

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