- क्या हम कक्षा एवं विषयवार पीरियड तय कर सकते हैं ?
- क्या बहुकक्षा (बहुश्रेणी / बहुस्तरीय) / शिक्षण की स्थिति में बच्चों की भी कुछ मदद ली जा सकती है?
- क्या बच्चों की अनियमित उपस्थिति को ध्यान में रखकर दोबारा अभ्यास के अवसर दे सकते हैं ?
- क्या विद्यालय की नियमित दिनचर्या के बोझ को बच्चों की भागीदारी से कम कर सकते हैं?
बिना तैयारी के, बिना फीडबैक के मत घुसे !
Sunday, September 14, 2008
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आमतौर पर शिक्षक कक्षा में जाकर पिछले दिन जहाँ थे, किताब के उस अंश / प्रश्नावली के आगे का काम शुरू कर देते हैं - यानि बिना तैयारी के, बिना फीडबैक / मूल्यांकन के आगे पढ़ाना शुरू हो जाता है, बिना इस बात का ख्याल किये करें कि बच्चे क्या चाहते हैं उस समय हम अपनी मर्जी के अनुसार जब चाहते हैं तो किसी भी कक्षा में कोई भी कार्य / पाठ अनियोजित तरीके से प्रारंभ कर देते हैं । इसके लिये आवश्यक तैयारी तथा उस कार्य के पश्चात मूल्यांकन व फीड बैक से हमारा कोई सरोकार नहीं रहता। क्या यह सच नहीं है ? आइए, विचार करते हैं कि नियोजन व समय-प्रबंधन में किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यह मान लें कि हमारे पास पढ़ाने के लिये एक वर्ष में 150 कार्य दिवस हैं। उसी के अनुसार / सुनियोजित / सुव्यवस्थित ढंग से पढ़ायें तो सार्थक परिणाम निकलेंगे।