tag:blogger.com,1999:blog-80792845477065172102024-03-14T12:17:02.077+05:30प्राइमरी का मास्टर का हिन्दी ब्लॉग - Hindi Blog of Primary Ka Masterआदर्शों और वास्तविकताओं के मध्य एक प्राथमिक शिक्षक का श्यामपटप्रवीण त्रिवेदीhttp://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.comBlogger467115tag:blogger.com,1999:blog-8079284547706517210.post-61117302873102702882024-01-08T18:05:00.002+05:302024-01-08T18:05:46.593+05:3012th Fail : सपनों को कैश कराने का जरिया या प्रेरणा का स्रोत?<b>12th Fail : सपनों को कैश कराने का जरिया या प्रेरणा का स्रोत?</b><div><br></div><div><br></div><div>विधु विनोद चोपड़ा की हालिया रिलीज़ फिल्म "12th फेल" एक प्रेरणादायक कहानी है जो एक ऐसे लड़के के संघर्षों को दर्शाती है जो 12वीं में फेल हो जाता है, लेकिन फिर भी अपने सपने को पूरा करने के लिए संघर्ष करता है और अंततः एक आईपीएस अधिकारी बन ही जाता है।</div><div><br></div><div><br></div><div>फिल्म के पक्ष में कई बातें हैं। सबसे पहले, यह एक सच्ची कहानी पर आधारित है, जो इसे और अधिक प्रामाणिक बनाती है। दूसरे, विक्रांत मैसी ने एक बार फिर अपने अभिनय से प्रभावित किया है। उन्होंने मनोज शर्मा के किरदार को पूरी ईमानदारी से निभाया है और उनके संघर्षों को हमारे सामने जीवंत कर दिया है। तीसरे, फिल्म का निर्देशन विधु विनोद चोपड़ा ने किया है, जो एक अनुभवी फिल्मकार हैं और उन्होंने फिल्म को एक शानदार तरीके से बनाया है।</div><div><br></div><div><br></div><div>फिल्म के खिलाफ कुछ बातें भी हैं। सबसे पहले, कहानी में कुछ जगहों पर ओवरड्रामा है। दूसरे, फिल्म के कुछ संवाद बहुत ही सीधे-सादे हैं और उन्हें और अधिक प्रभावशाली बनाया जा सकता था। कुल मिलाकर, "12वीं फेल" एक अच्छी फिल्म है जो प्रेरणा का एक स्रोत हो सकती है। हालांकि, फिल्म में कुछ कमियां भी हैं जो इसे और बेहतर बना सकती थीं।</div><div><br></div><div><br></div><div>फिल्म के अंत में, मनोज शर्मा कहते हैं, "सपने देखना कभी भी गलत नहीं है। लेकिन सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प की भी जरूरत होती है।" यह एक सकारात्मक संदेश है जो युवाओं को प्रेरित कर सकता है। लेकिन फिल्म यह भी दिखाती है कि सपनों को कैश करने के लिए कई बार संघर्ष और समझौता करना पड़ता है।</div><div><br></div><div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjjQgZARZfuNJomhGP4PlkUSRH0Tz0h5nr5wShI4jBuNVmgfUJ5DdTISgSr5IpoIuoKtK7rlp5xbGJVRNfzwq6sud2RzqDD9jtU4Ihf9TV9lVsirh-iDiuWTLVb10M6EZYBmBFzGtQ1Ymd1AGuE-faq6iJs7BE1owONY2acvFOGsrO0whOcF4Z2HT3S3vUW" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;">
<img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjjQgZARZfuNJomhGP4PlkUSRH0Tz0h5nr5wShI4jBuNVmgfUJ5DdTISgSr5IpoIuoKtK7rlp5xbGJVRNfzwq6sud2RzqDD9jtU4Ihf9TV9lVsirh-iDiuWTLVb10M6EZYBmBFzGtQ1Ymd1AGuE-faq6iJs7BE1owONY2acvFOGsrO0whOcF4Z2HT3S3vUW" width="400">
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</div><br></div><div><br></div><div><i>"12वीं फेल" एक ऐसी फिल्म है, जो आपको सोचने पर मजबूर कर देती है। यह आपको बताती है कि सपने देखना जरूरी है, लेकिन सपने देखने के साथ-साथ मेहनत करना भी जरूरी है। अगर आप अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं, तो आपको कड़ी मेहनत और संघर्ष करने से नहीं डरना चाहिए।</i></div><div><i><br></i></div><div><i><br></i></div><div><i>तो, "12th फेल" क्या है? यह एक सपनों को कैश करने का जरिया है या प्रेरणा का स्रोत? यह एक व्यक्ति के नजरिए पर निर्भर करता है। लेकिन एक बात निश्चित है कि यह फिल्म आपको सोचने पर मजबूर करेगी।</i></div><div><br></div><div><br></div><div><div><div><div><b>✍️ प्रवीण त्रिवेदी</b></div><div>शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित</div><div>फतेहपुर</div></div><div><b><br></b></div><div><b><div class="separator"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjHdMBCQUYHH2O85l6eMKpb4lb2QqLpyrbMa66jU39ncePzXS9b68WDOzgzUwxeTUstQrPbJz8c7lNKV_f51LMnVW69bT7ea0voCYRZfJLUHeaKHzHXTEH23FLNGPH-X-gSfGAopSVF337aH4e2HuwkOPJqYqWwX2eIfVgwhNdFBc8tCfADcwsa2GbsFRY" imageanchor="1"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjHdMBCQUYHH2O85l6eMKpb4lb2QqLpyrbMa66jU39ncePzXS9b68WDOzgzUwxeTUstQrPbJz8c7lNKV_f51LMnVW69bT7ea0voCYRZfJLUHeaKHzHXTEH23FLNGPH-X-gSfGAopSVF337aH4e2HuwkOPJqYqWwX2eIfVgwhNdFBc8tCfADcwsa2GbsFRY" width="400"></a></div><br></b></div><div><b>परिचय</b></div><div><b><br></b></div><div><i>बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "<b><a href="https://www.praveentrivedi.in/">प्रवीण त्रिवेदी</a></b>" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।</i></div><div><i><br></i></div><div><i>शिक्षा विशेष रूप से "<b>प्राथमिक शिक्षा</b>" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "<a href="http://blog.primarykamaster.com/">प्राइमरी का मास्टर</a>" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।</i></div></div><div><br></div></div>प्राइमरी का मास्टर 2 http://www.blogger.com/profile/07671352464734715786noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8079284547706517210.post-83273536970007703802024-01-03T10:42:00.003+05:302024-01-03T11:11:10.073+05:30विचारों की छूआछूत का अड्डा बनता आज का सोशल मीडिया<div><b>विचारों की छूआछूत का अड्डा बनता आज का सोशल मीडिया</b></div><div><br></div><div><br></div><div>छूआछूत एक सामाजिक बुराई है जो व्यक्ति के जन्म, जाति, धर्म, लिंग, या अन्य किसी भी आधार पर भेदभाव करती है। यह समस्या सदियों से हमारे समाज में व्याप्त है और इसके दूरगामी परिणामों से कई लोग पीड़ित हैं।</div><div><br></div><div>विचारधारा की छूआछूत का अर्थ है, ऐसे लोगों के साथ भेदभाव करना जो आपकी विचारधारा से अलग हैं। यह भेदभाव कई रूपों में हो सकता है। उदाहरण के लिए, आप ऐसे लोगों के साथ बातचीत करने से बच सकते हैं जो आपकी विचारधारा से अलग हैं। आप उनका विरोध कर सकते हैं या उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं।</div><div><br></div><div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEiojR_0Szg3FuPRG4vTecFprv1uBPWtKwfHhSb1fXW4PfXOxVpVmA5xsgSCxWMdHY50h7fTTep-GVMRnCzZyzAUugsEvx2L6P9215RP35BbvnxATKjL_EVWXTXDmLLtJwaPxba7HVyRHZArppJiwhjleOUz2s5gaZyFyQDNVmhzvUPDohgKKpEv_UwiS4OG" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;">
<img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEiojR_0Szg3FuPRG4vTecFprv1uBPWtKwfHhSb1fXW4PfXOxVpVmA5xsgSCxWMdHY50h7fTTep-GVMRnCzZyzAUugsEvx2L6P9215RP35BbvnxATKjL_EVWXTXDmLLtJwaPxba7HVyRHZArppJiwhjleOUz2s5gaZyFyQDNVmhzvUPDohgKKpEv_UwiS4OG" width="400">
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</div><br></div><div><br></div><div>आज के आधुनिक समय में भी छूआछूत की समस्या कम नहीं हुई है। बल्कि, यह एक नए रूप में सामने आ रही है। आज, लोग विचारों के आधार पर भी एक-दूसरे से भेदभाव करते हैं। इस प्रकार का भेदभाव, विचारधारा की छूआछूत कहलाता है।</div><div><br></div><div><br></div><div><b><i>आज के सोशल मीडिया के समाज में यह विभेद स्पष्ट दिखलाई पड़ता है। अपने जैसे विचार के साथ जुड़ना, अपने जैसे विचार के समर्थन करने वालों के साथ जुड़ना, अपने जैसे विचारों के समर्थकों और सुपारीबाजों के साथ जुड़ने को आप आजकल आसानी से देख सकते हैं। </i></b></div><div><br></div><div><br></div><div>विचारधारा की छूआछूत के कई कारण हो सकते हैं। एक कारण यह है कि हम अक्सर अपने विचारों को सही मानते हैं और दूसरों के विचारों को गलत। हम यह सोचते हैं कि केवल हमारे विचार ही सही हैं और दूसरों के विचार गलत हैं। इस कारण से, हम उन लोगों के साथ भेदभाव करते हैं जो हमारी विचारधारा से अलग हैं</div><div><br></div><div><br></div><div>दूसरा कारण यह है कि <b>हम अक्सर अपने विचारों को अपने व्यक्तित्व का हिस्सा मान लेते हैं। हम यह सोचते हैं कि हमारे विचार ही हम हैं। इस कारण से, हम उन लोगों के साथ भेदभाव करते हैं जो हमारी विचारधारा से अलग हैं क्योंकि हम यह मानते हैं कि वे हमारे व्यक्तित्व को चुनौती दे रहे हैं।</b></div><div><br></div><div><br></div><div>विचारधारा की छूआछूत एक गंभीर समस्या है। यह समस्या हमारे समाज में तनाव और विभाजन को बढ़ाती है। यह हमारे लोकतंत्र और सामाजिक समरसता के लिए भी खतरा है। विचारधारा की छूआछूत को दूर करने के लिए हमें अपने विचारों के बारे में जागरूक होना होगा। हमें यह समझना होगा कि हमारे विचार हमारे व्यक्तित्व का हिस्सा नहीं हैं। हमें यह भी समझना होगा कि दूसरों के विचारों को भी समान सम्मान दिया जाना चाहिए।</div><div><br></div><div>इसके अलावा, हमें एक-दूसरे के साथ संवाद करने की कोशिश करनी चाहिए। हम अपने विचारों को दूसरे लोगों के सामने रखने से नहीं डरने चाहिए। हम दूसरे लोगों के विचारों को भी सुनने के लिए तैयार रहना चाहिए। </div><div><br></div><div><b>क्या आप हैं, दूसरों के विचारों को सुनने और समझने को तैयार? 🤔</b></div><div><b><br></b></div><div><b><br></b></div><div><b><br></b></div><div><div><div><div><b>✍️ प्रवीण त्रिवेदी</b></div><div>शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित</div><div>फतेहपुर</div></div><div><b><br></b></div><div><b><div class="separator"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjHdMBCQUYHH2O85l6eMKpb4lb2QqLpyrbMa66jU39ncePzXS9b68WDOzgzUwxeTUstQrPbJz8c7lNKV_f51LMnVW69bT7ea0voCYRZfJLUHeaKHzHXTEH23FLNGPH-X-gSfGAopSVF337aH4e2HuwkOPJqYqWwX2eIfVgwhNdFBc8tCfADcwsa2GbsFRY" imageanchor="1"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjHdMBCQUYHH2O85l6eMKpb4lb2QqLpyrbMa66jU39ncePzXS9b68WDOzgzUwxeTUstQrPbJz8c7lNKV_f51LMnVW69bT7ea0voCYRZfJLUHeaKHzHXTEH23FLNGPH-X-gSfGAopSVF337aH4e2HuwkOPJqYqWwX2eIfVgwhNdFBc8tCfADcwsa2GbsFRY" width="400"></a></div><br></b></div><div><b>परिचय</b></div><div><b><br></b></div><div><i>बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "<b><a href="https://www.praveentrivedi.in/">प्रवीण त्रिवेदी</a></b>" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।</i></div><div><i><br></i></div><div><i>शिक्षा विशेष रूप से "<b>प्राथमिक शिक्षा</b>" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "<a href="http://blog.primarykamaster.com/">प्राइमरी का मास्टर</a>" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।</i></div></div><div><br></div></div>प्राइमरी का मास्टर 2 http://www.blogger.com/profile/07671352464734715786noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8079284547706517210.post-76743757578586775532023-12-25T18:51:00.002+05:302023-12-25T18:53:39.037+05:30क्या चुनिंदा स्कूलों को आदर्श घोषित करने या गोद लेने से बदलेंगे सभी स्कूलों के हालात? <p dir="ltr"><b>क्या चुनिंदा स्कूलों को आदर्श घोषित करने या गोद लेने से बदलेंगे सभी स्कूलों के हालात? </b></p><p dir="ltr"><br></p><p dir="ltr">भारत में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए लगातार कई नवाचारी प्रयास किए जाते रहे हैं। इन प्रयासों में से एक है <b>चुनिंदा स्कूलों को आदर्श स्कूल बनाना या कुछ स्कूलों को गोद ले लेना।</b> इस सोच के समर्थकों का तर्क है कि इससे शिक्षा के स्तर में सुधार होगा और सभी छात्रों को समान शिक्षा का अवसर मिलेगा।<br></p>
<p dir="ltr"><br></p><p dir="ltr">हालांकि, ज्यादातर शिक्षक साथियों की तरह मैं खुद इस सोच / विचार से सहमत नहीं हूं। मेरा निजी तौर पर मानना है कि यह एक असफल सोच है और इससे शिक्षा के स्तर में कोई सुधार नहीं होगा। दरअसल यह सोच ही भेदभावपूर्ण है। यह सोच मानती है कि कुछ स्कूल को अच्छे हैं, साबित कर ज्यादातर स्कूल की खराबियों / कमियों को छिपाया जा सकता हैं।</p>
<p dir="ltr"></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEir1H8VVoTUf_2rSY8sBRLi6-3oJR5xR3lQkNe3Hq3QmvmOzKqusDR6X3TZrulzpmfHJ08eyHtmhtQg_GOfL0VvSZtRSd0uncEaNpEMsSs-oEWqTWy84SU-nSi9QETAslFpZkvGYA-ibqDjJX7JWjr4ToN8gXryluSzYiB_pbL-w4xCSvbt32oW1dBpjupq" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;">
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</div><br><p></p><p dir="ltr">यह सोच सभी स्कूलों को कभी भी समान स्तर पर नहीं रखती है। इससे उन अधिकांश स्कूलों के बच्चों को नुकसान होगा जिन्हें आदर्श स्कूल या गोद लेने के लिए नहीं चुना जाता है। एक तरह से यह सोच अप्रभावी भी है। चुनिंदा स्कूलों को आदर्श स्कूल बनाने या कुछ स्कूलों को गोद लेने से अन्य स्कूलों के स्तर में कोई सुधार नहीं होगा। इसके लिए सभी स्कूलों को समान सुविधाएं और संसाधन उपलब्ध कराने की आवश्यकता है।</p>
<p dir="ltr"><br></p><p dir="ltr">दरअसल यह सोच अलोकतांत्रिक भी है। यह सोच यह मानती है कि सरकार / विभाग ही यह तय कर सकती है कि कौन सा स्कूल आदर्श स्कूल होगा या कौन सा स्कूल गोद लिया जाएगा। इससे शेष वंचित रह गए स्कूलों को और वहां की जनता को यह संदेश जाता है कि वह सरकार की प्राथमिकता में नहीं हैं।</p>
<p dir="ltr"><br></p><p dir="ltr">अंतः में यही कहूंगा कि चुनिंदा स्कूलों को आदर्श स्कूल बनाना या कुछ स्कूलों को गोद ले लेना एक असफल सोच है। इससे शिक्षा के स्तर में कोई सुधार नहीं होगा। इसलिए यह एक ऐसी सोच है, जिससे न तो सहमत हुआ जा सकता है और न ही प्रभावित। इसके बजाय, सरकारों और जिम्मेदारों को सभी स्कूलों के स्तर को सुधारने पर ध्यान देना चाहिए।</p><p dir="ltr"><br></p><p dir="ltr"><br></p><div><div><div><b>✍️ प्रवीण त्रिवेदी</b></div><div>शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित</div><div>फतेहपुर</div></div><div><b><br></b></div><div><b><div class="separator"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjHdMBCQUYHH2O85l6eMKpb4lb2QqLpyrbMa66jU39ncePzXS9b68WDOzgzUwxeTUstQrPbJz8c7lNKV_f51LMnVW69bT7ea0voCYRZfJLUHeaKHzHXTEH23FLNGPH-X-gSfGAopSVF337aH4e2HuwkOPJqYqWwX2eIfVgwhNdFBc8tCfADcwsa2GbsFRY" imageanchor="1"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjHdMBCQUYHH2O85l6eMKpb4lb2QqLpyrbMa66jU39ncePzXS9b68WDOzgzUwxeTUstQrPbJz8c7lNKV_f51LMnVW69bT7ea0voCYRZfJLUHeaKHzHXTEH23FLNGPH-X-gSfGAopSVF337aH4e2HuwkOPJqYqWwX2eIfVgwhNdFBc8tCfADcwsa2GbsFRY" width="400"></a></div><br></b></div><div><b>परिचय</b></div><div><b><br></b></div><div><i>बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "<b><a href="https://www.praveentrivedi.in/">प्रवीण त्रिवेदी</a></b>" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।</i></div><div><i><br></i></div><div><i>शिक्षा विशेष रूप से "<b>प्राथमिक शिक्षा</b>" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "<a href="http://blog.primarykamaster.com/">प्राइमरी का मास्टर</a>" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।</i></div></div><div><br></div>प्राइमरी का मास्टर 2 http://www.blogger.com/profile/07671352464734715786noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8079284547706517210.post-1507157149007414622023-11-08T04:48:00.002+05:302023-11-08T04:50:17.086+05:30याद रखें कि बचपन एक दौड़ नहीं है<div><b><i>याद रखें कि बचपन एक दौड़ नहीं है</i></b><br></div><div><br></div><div><br></div><div>बचपन एक अनमोल समय है, जब बच्चे अपनी पूरी क्षमता तक विकसित होने की नींव रखते हैं। यह वह समय है जब वे सीखते हैं कि कैसे चलना, बात करना, सोचना और सामाजिक रूप से व्यवहार करना है। यह वह समय भी है जब वे अपनी पहचान विकसित करते हैं और दुनिया के बारे में सीखते हैं।</div><div><br></div><div><br></div><div>हालांकि, दुर्भाग्य से, कई समाजों में, बचपन को एक दौड़ के रूप में देखा जाता है। माता-पिता और शिक्षकों को अक्सर इस बात की चिंता रहती है कि उनके बच्चे अन्य बच्चों के साथ तालमेल में नहीं हैं या वे पर्याप्त तेजी से नहीं सीख रहे हैं। इस दबाव के परिणामस्वरूप, कई बच्चे कम उम्र में ही स्कूल छोड़ देते हैं या शिक्षा में पीछे रह जाते हैं।</div><div><br></div><div><br></div><div><b><i>यह महत्वपूर्ण है कि हम याद रखें कि बचपन एक दौड़ नहीं है। प्रत्येक बच्चा अपनी गति से सीखता है और विकसित होता है। कुछ बच्चे दूसरों की तुलना में जल्दी पढ़ना और लिखना सीख सकते हैं, जबकि अन्य बच्चों को सामाजिक और भावनात्मक कौशल विकसित करने में अधिक समय लग सकता है। यह सभी ठीक है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम प्रत्येक बच्चे को अपनी गति से सीखने और विकसित होने का अवसर दें।</i></b></div><div><br></div><div><br></div><div>शिक्षाशास्त्र के क्षेत्र में, ऐसे कई सिद्धांत और दृष्टिकोण हैं जो इस विचार का समर्थन करते हैं कि बचपन एक दौड़ नहीं है। उदाहरण के लिए, प्रकृति बनाम पोषण की बहस में, कई शिक्षाशास्त्रियों का मानना है कि प्रकृति और पोषण दोनों ही बच्चों के विकास में एक भूमिका निभाते हैं। कुछ बच्चे जन्म से ही कुछ कौशल या क्षमताओं में अधिक मजबूत हो सकते हैं, जबकि अन्य बच्चों को कुछ कौशल या क्षमताओं को विकसित करने के लिए अधिक समर्थन की आवश्यकता हो सकती है।</div><div><br></div><div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
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<img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjbRb-HlC87enfxRRZ9e-HkSRvHZsgMfiMOc_oGBbH-05ewXAjMLoqv4j1HviQV_tdYLfe8RIIyv-5nJVo382nmKbeoNYUTOD9nseyyMxnfv-uuUzDHE_8T1EQrJWCC-zoROW4Eek8RVGHz_N4p0Hf9fysccctNQ_cPx1heZRLpo7HxF6K0Jk4yBqzkcPQW" width="400">
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</div><br></div><div><br></div><div>एक अन्य महत्वपूर्ण शिक्षाशास्त्रीय सिद्धांत यह है कि सीखना व्यक्तिगत होता है। प्रत्येक बच्चा अलग होता है और अपनी गति से सीखता है। कुछ बच्चों को हाथों-हाथ सीखने में अधिक सफलता मिलती है, जबकि अन्य बच्चों को सुनने या देखने के माध्यम से सीखना अधिक पसंद होता है। शिक्षकों का यह दायित्व है कि वे प्रत्येक बच्चे की व्यक्तिगत सीखने की शैली को समायोजित करें और उन्हें अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने में मदद करें।</div><div><br></div><div><br></div><div>बचपन को एक दौड़ के रूप में न देखने के लिए शिक्षाशास्त्र के क्षेत्र में कई दृष्टिकोण भी विकसित किए गए हैं। उदाहरण के लिए, प्रगतिशील शिक्षा दृष्टिकोण बच्चों की रुचियों और जरूरतों पर केंद्रित है। शिक्षक बच्चों को उनकी अपनी गति से सीखने और विकसित होने का अवसर देते हैं।</div><div><br></div><div><br></div><div>एक अन्य दृष्टिकोण जो बचपन को एक दौड़ के रूप में नहीं देखता है, वह है मोंटेसरी शिक्षा। मोंटेसरी शिक्षा में, बच्चों को एक स्व-निर्देशित वातावरण में सीखने की अनुमति दी जाती है। शिक्षक बच्चों को उनके सीखने में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, लेकिन उन्हें अपनी रुचियों और गति से सीखने देते हैं।</div><div><br></div><div><br></div><div>बचपन को एक दौड़ के रूप में न देखना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बच्चों के लिए एक खुश और स्वस्थ वातावरण बनाता है। जब बच्चों को उनकी गति से सीखने और विकसित होने की अनुमति दी जाती है, तो वे अधिक सफल होने की संभावना रखते हैं। वे अपने बारे में अच्छा महसूस करते हैं और अपनी क्षमताओं में विश्वास करते हैं।</div><div><br></div><div><br></div><div><b>माता-पिता और शिक्षक बच्चों को बचपन को एक दौड़ के रूप में नहीं देखने में मदद कर सकते हैं। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:</b></div><div><br></div><div><i>⚫ बच्चों को अपने हितों और जरूरतों के अनुसार सीखने और विकसित होने की अनुमति दें।</i></div><div><i>⚫ बच्चों की तुलना एक-दूसरे से न करें।</i></div><div><i>⚫ बच्चों को उनकी गलतियों से सीखने दें।</i></div><div><i>⚫ बच्चों को अपनी सफलताओं का जश्न मनाने में मदद करें।</i></div><div><br></div><div><br></div><div><div><div><div><b>✍️ प्रवीण त्रिवेदी</b></div><div>शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित</div><div>फतेहपुर</div></div><div><b><br></b></div><div><b><div class="separator"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjHdMBCQUYHH2O85l6eMKpb4lb2QqLpyrbMa66jU39ncePzXS9b68WDOzgzUwxeTUstQrPbJz8c7lNKV_f51LMnVW69bT7ea0voCYRZfJLUHeaKHzHXTEH23FLNGPH-X-gSfGAopSVF337aH4e2HuwkOPJqYqWwX2eIfVgwhNdFBc8tCfADcwsa2GbsFRY" imageanchor="1"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjHdMBCQUYHH2O85l6eMKpb4lb2QqLpyrbMa66jU39ncePzXS9b68WDOzgzUwxeTUstQrPbJz8c7lNKV_f51LMnVW69bT7ea0voCYRZfJLUHeaKHzHXTEH23FLNGPH-X-gSfGAopSVF337aH4e2HuwkOPJqYqWwX2eIfVgwhNdFBc8tCfADcwsa2GbsFRY" width="400"></a></div><br></b></div><div><b>परिचय</b></div><div><b><br></b></div><div><i>बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "<b><a href="https://www.praveentrivedi.in/">प्रवीण त्रिवेदी</a></b>" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।</i></div><div><i><br></i></div><div><i>शिक्षा विशेष रूप से "<b>प्राथमिक शिक्षा</b>" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "<a href="http://blog.primarykamaster.com/">प्राइमरी का मास्टर</a>" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।</i></div></div><div><br></div></div>प्राइमरी का मास्टर 2 http://www.blogger.com/profile/07671352464734715786noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8079284547706517210.post-3898025953333424952023-10-31T06:12:00.000+05:302023-10-31T06:12:21.479+05:30अजय ब्रह्मात्मज: हिंदी फिल्मी पत्रकारिता के एक सशक्त हस्ताक्षर<div>पत्रकारिता मुझे सदैव से आकर्षित करती रही है। बचपन में फिल्मी पत्रकारिता भी सामने आती थी तो एक स्वयमेव आकर्षण हो ही जाता रहा है, लेकिन फिल्मी गपशप और गॉसिप से बढ़कर एक नाम जो हिन्दी फिल्मी पत्रकारिता में सदैव आकर्षित करता रहा है वह नाम है <b>अजय ब्रह्मात्मज</b> का। आज उनके जन्मदिन 🎂 विशेष पर .....</div><div><br></div><div><br></div><b><div><b><br></b></div>अजय ब्रह्मात्मज: हिंदी फिल्मी पत्रकारिता के एक सशक्त हस्ताक्षर</b><div><br></div><div><br></div><div>अजय ब्रह्मात्मज के लेखन में मुझे जो सबसे ज्यादा प्रभावित करता है, वह है उनकी गहरी समझ और जागरूकता। वह हिंदी सिने जगत को सिर्फ एक मनोरंजन के रूप में नहीं देखते, बल्कि एक सामाजिक और राजनीतिक साधन के रूप में भी देखते हैं। उनके लेखन में हमेशा एक विचारात्मकता होती है, जो हिंदी सिने जगत की पारंपरिक पत्रकारिता से अलग है।</div><div><br></div><div><br></div><div>अजय ब्रह्मात्मज हिंदी फिल्मी पत्रकारिता के एक सशक्त हस्ताक्षर हैं। उन्होंने हिंदी फिल्म पत्रकारिता को एक नया रूप देने की कोशिश की है। उनके लेखन में फिल्मों के बारे में गहन विश्लेषण और सामाजिक-राजनीतिक संदर्भों से जुड़े सवालों की पड़ताल देखने को मिलती है।</div><div><br></div><div><br></div><div>अजय ब्रह्मात्मज ने हिंदी फिल्म पत्रकारिता में एक नई परंपरा की शुरुआत की है। उन्होंने फिल्मों को सिर्फ मनोरंजन के साधन के रूप में नहीं देखा, बल्कि उन्हें एक सामाजिक और सांस्कृतिक घटना के रूप में भी देखा। उनके लेखन में फिल्मों के माध्यम से समाज के विभिन्न पहलुओं को समझने की कोशिश देखने को मिलती है।</div><div><br></div><div><div class="separator"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEg5aueUwlDRqViROQHPLywDihOCEEwV8ggtDS6AOEb_jrgXW5KuZQoRoUwdrCKrEWLqkJV_HNWLcMe2QiNGfSbAmLD5J_i93Ho9ZgZk7P4MVz6fYZC2YVvOLLVSWOQXxX_lkPeAg4lu3KzeqzFfztVRJBfNE5kcnWO5XBohKX6n2dm8p5RLBQv5HbJONOTn" imageanchor="1"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEg5aueUwlDRqViROQHPLywDihOCEEwV8ggtDS6AOEb_jrgXW5KuZQoRoUwdrCKrEWLqkJV_HNWLcMe2QiNGfSbAmLD5J_i93Ho9ZgZk7P4MVz6fYZC2YVvOLLVSWOQXxX_lkPeAg4lu3KzeqzFfztVRJBfNE5kcnWO5XBohKX6n2dm8p5RLBQv5HbJONOTn" width="400"></a></div><br></div><div><br></div><div><b>अजय ब्रह्मात्मज की फिल्म पत्रकारिता के कुछ प्रमुख विशेषताएं जो मुझे आकर्षित करती आई हैं:</b></div><div><br></div><div><b>गहन विश्लेषण</b>: अजय ब्रह्मात्मज फिल्मों के बारे में गहन विश्लेषण करते हैं। वे फिल्मों की कहानी, संवाद, निर्देशन, अभिनय, तकनीक आदि सभी पहलुओं का विश्लेषण करते हैं। उनके लेखन में फिल्मों की गहराई को समझने की कोशिश देखने को मिलती है।</div><div><br></div><div><b>सामाजिक-राजनीतिक संदर्भ</b>: अजय ब्रह्मात्मज फिल्मों को सिर्फ मनोरंजन के साधन के रूप में नहीं देखते, बल्कि उन्हें एक सामाजिक और सांस्कृतिक घटना के रूप में भी देखते हैं। उनके लेखन में फिल्मों के माध्यम से समाज के विभिन्न पहलुओं को समझने की कोशिश देखने को मिलती है।</div><div><br></div><div><b>मौलिक दृष्टिकोण</b>: अजय ब्रह्मात्मज के लेखन में एक मौलिक दृष्टिकोण देखने को मिलता है। वे फिल्मों को लेकर एक अलग तरह से सोचते हैं। उनके लेखन में फिल्मों के बारे में नए और रचनात्मक विचार देखने को मिलते हैं।<br></div><div><br></div><div><b>सामाजिक सरोकार</b>: अजय ब्रह्मात्मज के लेखन में सामाजिक सरोकार भी है। वे हिंदी फिल्मों में मौजूद सामाजिक समस्याओं को भी उजागर करते हैं। उन्होंने हिंदी फिल्मों के माध्यम से सामाजिक बदलाव के लिए आवाज उठाई है।</div><div><br></div><div><b>विचारात्मकता</b>: अजय ब्रह्मात्मज के लेखन में हमेशा एक विचारात्मकता होती है। वह फिल्म को सिर्फ एक मनोरंजन के रूप में नहीं देखते, बल्कि एक सामाजिक और राजनीतिक साधन के रूप में भी देखते हैं।</div><div><br></div><div><b>गहराई</b>: अजय ब्रह्मात्मज के लेखन में हमेशा एक गहराई होती है। वह फिल्म के समकालीन इतिहास और उसकी आलोचना का गहन विश्लेषण करते हैं।</div><div><br></div><div><b>निष्पक्षता</b>: अजय ब्रह्मात्मज के लेखन में हमेशा एक निष्पक्षता होती है। वह किसी भी फिल्म या कलाकार की आलोचना करने से नहीं डरते।</div><div><br></div><div><br></div><div>अजय ब्रह्मात्मज की फिल्म पत्रकारिता हिंदी फिल्म पत्रकारिता के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने हिंदी फिल्म पत्रकारिता को एक नई दिशा दी है। उनकी फिल्म पत्रकारिता से हिंदी फिल्म पत्रकारिता को एक नया आयाम मिला है।</div><div><br></div><div>अजय ब्रह्मात्मज हिंदी फिल्मी पत्रकारिता के एक सशक्त हस्ताक्षर हैं। उन्होंने हिंदी फिल्म पत्रकारिता को एक नई दिशा दी है। उनकी फिल्म पत्रकारिता से हिंदी फिल्म पत्रकारिता को एक नया आयाम मिला है।</div><div><br></div><div><br></div><div><b>अजय ब्रह्मात्मज के लेखन में निम्नलिखित योगदान को विशेष रूप से उल्लेखनीय कहा जा सकता है:</b></div><div><br></div><div><br></div><div>⚫ उन्होंने हिंदी फिल्म पत्रकारिता को गहन विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण दिया है।</div><div><br></div><div>⚫ उन्होंने हिंदी फिल्म पत्रकारिता को सामाजिक-राजनीतिक संदर्भों से जोड़ा है।</div><div><br></div><div>⚫ उन्होंने हिंदी फिल्म पत्रकारिता को एक मौलिक दृष्टिकोण दिया है।</div><div><br></div><div><br></div><div><i>अजय ब्रह्मात्मज के लेखन से हिंदी फिल्म पत्रकारिता को एक नया आयाम मिला है। उनकी फिल्म पत्रकारिता से हिंदी फिल्म पत्रकारिता को अधिक गंभीर, विचारशील और सामाजिक रूप से सजग होने का अवसर मिला है। </i></div><div><i><br></i></div><div><i>अजय ब्रह्मात्मज की हिंदी फिल्मी पत्रकारिता का हिंदी सिने जगत पर एक सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। उन्होंने हिंदी फिल्म पत्रकारिता को एक गंभीर और विचारात्मक रूप देने में मदद की है। इसके अलावा, उन्होंने हिंदी सिने जगत में एक नई बहस छेड़ दी है, जिसमें फिल्म को सिर्फ एक मनोरंजन के रूप में नहीं, बल्कि एक सामाजिक और राजनीतिक साधन के रूप में भी देखा जाता है।</i></div><div><i><br></i></div><div><i><br></i></div><div><div><div><div><b>✍️ प्रवीण त्रिवेदी</b></div><div>शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित</div><div>फतेहपुर</div></div><div><b><br></b></div><div><b><div class="separator"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjHdMBCQUYHH2O85l6eMKpb4lb2QqLpyrbMa66jU39ncePzXS9b68WDOzgzUwxeTUstQrPbJz8c7lNKV_f51LMnVW69bT7ea0voCYRZfJLUHeaKHzHXTEH23FLNGPH-X-gSfGAopSVF337aH4e2HuwkOPJqYqWwX2eIfVgwhNdFBc8tCfADcwsa2GbsFRY" imageanchor="1"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjHdMBCQUYHH2O85l6eMKpb4lb2QqLpyrbMa66jU39ncePzXS9b68WDOzgzUwxeTUstQrPbJz8c7lNKV_f51LMnVW69bT7ea0voCYRZfJLUHeaKHzHXTEH23FLNGPH-X-gSfGAopSVF337aH4e2HuwkOPJqYqWwX2eIfVgwhNdFBc8tCfADcwsa2GbsFRY" width="400"></a></div><br></b></div><div><b>परिचय</b></div><div><b><br></b></div><div><i>बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "<b><a href="https://www.praveentrivedi.in/">प्रवीण त्रिवेदी</a></b>" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।</i></div><div><i><br></i></div><div><i>शिक्षा विशेष रूप से "<b>प्राथमिक शिक्षा</b>" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "<a href="http://blog.primarykamaster.com/">प्राइमरी का मास्टर</a>" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।</i></div></div><div><br></div></div>प्रवीण त्रिवेदीhttp://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8079284547706517210.post-37764446682298498632023-10-28T09:30:00.002+05:302023-10-28T09:31:55.160+05:30सोशल मीडिया क्या वाकई सोशल है? पैसे लेकर बूस्टिंग के माध्यम से प्रचार की समस्या से अब जरूरी है निजात पाना<div><b>सोशल मीडिया क्या वाकई सोशल है? पैसे लेकर बूस्टिंग के माध्यम से प्रचार की समस्या से अब जरूरी है निजात पाना</b></div><div><br></div><div><br></div><div>सोशल मीडिया ने हमारे जीवन को कई तरह से बदल दिया है। यह हमें जानकारी, मनोरंजन और जुड़ाव प्रदान करता है। हाल के वर्षों में, सोशल मीडिया प्रचार के लिए एक शक्तिशाली मंच के रूप में भी उभरा है।</div><div><br></div><div><br></div><div>सोशल मीडिया के माध्यम से बूस्टिंग के माध्यम से प्रचार करने से कई समस्याएं पैदा होती हैं। सबसे पहले, यह एक अवास्तविक छवि बना सकता है। बूस्टिंग के माध्यम से, एक पोस्ट को बहुत अधिक लोगों तक पहुंचा जा सकता है, भले ही यह वास्तव में उतना प्रभावशाली न हो। इससे लोगों को यह गलतफहमी हो सकती है कि एक पोस्ट या विचार वास्तव में अधिक लोकप्रिय है या प्रभावशाली है, जो वास्तव में है।</div><div><br></div><div><br></div><div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEgbPzeW0H2J4gJtkCNhc38Q5bTiJyoXrvSBa_-0Yh2VyMKRDVMFI9qVqWX4w3D06_ByiCZr5Y1YpiwuVEqwc9r3HWZRDCkaChUgxmFkNHsbzawr6xrdhNEFVRMnuYCPbmbNwQsfSRJ26OwZopO8qb9KX9O-zTuuD4_saU5YzOtwisLBoimKS3beARGKuGO1" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;">
<img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEgbPzeW0H2J4gJtkCNhc38Q5bTiJyoXrvSBa_-0Yh2VyMKRDVMFI9qVqWX4w3D06_ByiCZr5Y1YpiwuVEqwc9r3HWZRDCkaChUgxmFkNHsbzawr6xrdhNEFVRMnuYCPbmbNwQsfSRJ26OwZopO8qb9KX9O-zTuuD4_saU5YzOtwisLBoimKS3beARGKuGO1" width="400">
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</div><br></div><div><br></div><div>दूसरे, बूस्टिंग का उपयोग गलत सूचना और भ्रामक प्रचार को फैलाने के लिए किया जा सकता है। बूस्टिंग के माध्यम से, एक पोस्ट को बहुत अधिक लोगों तक पहुंचा जा सकता है, जो इसे अधिक विश्वसनीय बनाने का भ्रम पैदा कर सकता है। इससे लोगों को गलत जानकारी या भ्रामक विचारों को स्वीकार करने की अधिक संभावना हो सकती है।</div><div><br></div><div><br></div><div>तीसरा, बूस्टिंग का उपयोग लोगों को प्रभावित करने के लिए किया जा सकता है। बूस्टिंग के माध्यम से, एक पोस्ट को लक्षित दर्शकों तक पहुंचाया जा सकता है, जो इसे अधिक प्रभावशाली बनाने का भ्रम पैदा कर सकता है। इससे लोगों को अपने विचारों और कार्यों को बदलने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।</div><div><br></div><div><br></div><div>सोशल मीडिया पर पैसे लेकर पोस्ट को बूस्ट करने की प्रथा एक गंभीर समस्या है। इससे कारोबारी और राजनीतिक प्रचार की प्रचुर संभावनाएं पैदा होती हैं। इस प्रचार को प्रभावशाली साबित करने के लिए, सोशल मीडिया कंपनियां बॉट का इस्तेमाल कर रही हैं, जिससे पाठकों की संख्या वास्तविक संख्या से कई गुना ज्यादा दिखाई देती है। इससे लोगों को यह भ्रम हो सकता है कि कोई विचार या उत्पाद बहुत लोकप्रिय है, जबकि ऐसा वास्तव में नहीं है।</div><div><br></div><div><br></div><div>इन समस्याओं को हल करने के लिए, सोशल मीडिया को बूस्टिंग के उपयोग को सीमित करने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, सोशल मीडिया को बूस्टिंग के माध्यम से प्रचार सामग्री को प्रचार के रूप में चिह्नित करने की आवश्यकता हो सकती है। इसके अलावा, सोशल मीडिया को बूस्टिंग के लिए कीमतों को नियंत्रित करने की आवश्यकता हो सकती है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि केवल वे लोग ही बूस्टिंग का उपयोग कर सकें जो वास्तव में इसे वहन कर सकते हैं।</div><div><br></div><div><br></div><div>मेरा मौलिक चिंतन है कि सोशल मीडिया को एक अधिक जिम्मेदार और पारदर्शी मंच के रूप में विकसित होना चाहिए। बूस्टिंग के माध्यम से प्रचार एक गंभीर समस्या है जो लोकतंत्र और समाज के लिए खतरा पैदा कर सकती है। सोशल मीडिया को इस समस्या को हल करने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि यह एक अधिक विश्वसनीय और जानकारीपूर्ण मंच बन सके।</div><div><br></div><div><br></div><div><b>यहां कुछ विशिष्ट उपाय दिए गए हैं जो सोशल मीडिया को बूस्टिंग के उपयोग को सीमित करने में मदद कर सकते हैं:</b></div><div><br></div><div>बूस्टिंग को केवल उन खातों के लिए अनुमति दें जिनके पास एक निश्चित संख्या में फालोवर हैं। इससे यह सुनिश्चित होगा कि केवल वे लोग ही बूस्टिंग का उपयोग कर सकें जो वास्तव में एक बड़े दर्शकों तक पहुंचने में सक्षम हैं।</div><div><br></div><div>बूस्टिंग के लिए कीमतों को नियंत्रित करें। इससे यह सुनिश्चित होगा कि केवल वे लोग ही बूस्टिंग का उपयोग कर सकें जो वास्तव में इसे वहन कर सकते हैं।</div><div><br></div><div>बूस्टिंग के माध्यम से प्रचार सामग्री को प्रचार के रूप में चिह्नित करें। इससे लोगों को यह पता चलेगा कि वे क्या देख रहे हैं और इसे अधिक जागरूक रूप से मूल्यांकन कर सकते हैं।</div><div><br></div><div>बूस्टिंग के माध्यम से प्रचार सामग्री की निगरानी और सत्यापन करें। इससे गलत सूचना और भ्रामक प्रचार को फैलाने से रोकने में मदद मिलेगी।</div><div><br></div><div><br></div><div><i>ये उपाय सोशल मीडिया को एक अधिक जिम्मेदार और पारदर्शी मंच बनाने में मदद करेंगे। इससे यह सुनिश्चित होगा कि लोग वास्तविक और विश्वसनीय जानकारी तक पहुंच सकें और उन्हें गलत सूचना या भ्रामक प्रचार से बचाया जा सके।</i></div><div><br></div><div><br></div><div><div><div><div><b>✍️ लेखक : प्रवीण त्रिवेदी</b></div><div>शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित</div><div>फतेहपुर</div></div><div><b><br></b></div><div><b><div class="separator"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjHdMBCQUYHH2O85l6eMKpb4lb2QqLpyrbMa66jU39ncePzXS9b68WDOzgzUwxeTUstQrPbJz8c7lNKV_f51LMnVW69bT7ea0voCYRZfJLUHeaKHzHXTEH23FLNGPH-X-gSfGAopSVF337aH4e2HuwkOPJqYqWwX2eIfVgwhNdFBc8tCfADcwsa2GbsFRY" imageanchor="1"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjHdMBCQUYHH2O85l6eMKpb4lb2QqLpyrbMa66jU39ncePzXS9b68WDOzgzUwxeTUstQrPbJz8c7lNKV_f51LMnVW69bT7ea0voCYRZfJLUHeaKHzHXTEH23FLNGPH-X-gSfGAopSVF337aH4e2HuwkOPJqYqWwX2eIfVgwhNdFBc8tCfADcwsa2GbsFRY" width="400"></a></div><br></b></div><div><b>परिचय</b></div><div><b><br></b></div><div><i>बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "<b><a href="https://www.praveentrivedi.in/">प्रवीण त्रिवेदी</a></b>" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।</i></div><div><i><br></i></div><div><i>शिक्षा विशेष रूप से "<b>प्राथमिक शिक्षा</b>" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "<a href="http://blog.primarykamaster.com/">प्राइमरी का मास्टर</a>" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।</i></div></div><div><br></div></div>प्राइमरी का मास्टर 2 http://www.blogger.com/profile/07671352464734715786noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8079284547706517210.post-22531267794485872992023-10-14T23:50:00.001+05:302023-10-14T23:51:54.921+05:30निजी अनुभव<b>निजी अनुभव</b><div><br></div><div><div><br></div><div>निजी अनुभव सबके होते हैं,</div><div>पर सबके अनुभव अलग-अलग होते हैं।</div><div>अपने अनुभवों पर जोर न दें,</div><div>क्योंकि वे सिर्फ आपके अनुभव होते हैं।</div><div><br></div><div><br></div><div>अपने अनुभवों को दूसरों पर न थोपें,</div><div>क्योंकि वे उनकी राय नहीं बदल सकते।</div><div>अपने विचारों को खुलकर व्यक्त करें,</div><div>और दूसरों के विचारों को भी सुनें।</div><div><br></div><div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEhDdzjCcXWPTJZzDjPpRxR0dLOo3YVOJ2Jq7-a8YJUx2SKuAMw3i-Xr1dMgTI6ptl47RSbMRRlj-pxR9DNqoX76qyX94eR6hFrWgXqixfwUvlPfY4JyXY4Hk5dZ9c_3690ibmf5-NwnZZSz5YrgQRDlUAi3WNRhGGVF7Hiz7FjhxuE0bTNulS9EhSfvcvSp" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;">
<img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEhDdzjCcXWPTJZzDjPpRxR0dLOo3YVOJ2Jq7-a8YJUx2SKuAMw3i-Xr1dMgTI6ptl47RSbMRRlj-pxR9DNqoX76qyX94eR6hFrWgXqixfwUvlPfY4JyXY4Hk5dZ9c_3690ibmf5-NwnZZSz5YrgQRDlUAi3WNRhGGVF7Hiz7FjhxuE0bTNulS9EhSfvcvSp" width="400">
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</div><br></div><div><br></div><div>अपने अनुभवों से सीखें,</div><div>और दूसरों को भी सीखने में मदद करें।</div><div>एक दूसरे की राय का सम्मान करें,</div><div>और एक दूसरे से सीखें।</div><div><br></div><div><br></div><div>अपने अनुभवों से जुड़ी हुई हैं,</div><div>हमारी कई सारी भावनाएं।</div><div>वे हमें खुशी, दुख, क्रोध,</div><div>और कई अन्य भावनाओं से भर देती हैं।</div><div><br></div><div><br></div><div>हमारे अनुभव हमें बनाते हैं,</div><div>हमारे व्यक्तित्व को आकार देते हैं।</div><div>वे हमें सिखाते हैं,</div><div>और हमें आगे बढ़ने में मदद करते हैं।</div><div><br></div><div><br></div><div>हमारे अनुभव हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं,</div><div>लेकिन वे दूसरों के लिए नहीं।</div><div>दूसरों के अनुभव भी उनके लिए महत्वपूर्ण हैं,</div><div>लेकिन वे हमारे लिए नहीं।</div><div><br></div><div><br></div><div>अपने अनुभवों को दूसरों पर न थोपें,</div><div>क्योंकि वे उनकी राय नहीं बदल सकते।</div><div>अपने विचारों को खुलकर व्यक्त करें,</div><div>और दूसरों के विचारों को भी सुनें।</div><div><br></div></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><i>यह कविता निजी अनुभवों की सीमाओं पर प्रकाश डालती है। यह कहती है कि हर किसी के निजी अनुभव अलग-अलग होते हैं, इसलिए उन्हें अपनी राय को मनवाने के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। अपनी राय को ठोस आधार पर रखना चाहिए, और उसे दूसरों से सीखने के लिए इस्तेमाल करना चाहिए।</i></div><div><i><br></i></div><div><i>इस कविता में, कवि हमें बता रहा है कि हमें अपने निजी अनुभवों को दूसरों पर थोपने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। हर किसी का अनुभव अलग-अलग होता है, इसलिए किसी की बात को नहीं झुकाना चाहिए। हमें अपनी राय रखनी चाहिए, लेकिन किसी को दबाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए </i></div><div><i><br></i></div><div><i>इस कविता से हमें यह सीख मिलती है कि हमें एक-दूसरे के अनुभवों को सम्मान देना चाहिए। हमें दूसरों की बात को सुनना चाहिए और उनके दृष्टिकोण को समझने की कोशिश करनी चाहिए।</i></div><div><i><br></i></div><div><i><br></i></div><div><div><div><div><b>✍️ कविताकार : प्रवीण त्रिवेदी</b></div><div>शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित</div><div>फतेहपुर</div></div><div><b><br></b></div><div><b><div class="separator"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjHdMBCQUYHH2O85l6eMKpb4lb2QqLpyrbMa66jU39ncePzXS9b68WDOzgzUwxeTUstQrPbJz8c7lNKV_f51LMnVW69bT7ea0voCYRZfJLUHeaKHzHXTEH23FLNGPH-X-gSfGAopSVF337aH4e2HuwkOPJqYqWwX2eIfVgwhNdFBc8tCfADcwsa2GbsFRY" imageanchor="1"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjHdMBCQUYHH2O85l6eMKpb4lb2QqLpyrbMa66jU39ncePzXS9b68WDOzgzUwxeTUstQrPbJz8c7lNKV_f51LMnVW69bT7ea0voCYRZfJLUHeaKHzHXTEH23FLNGPH-X-gSfGAopSVF337aH4e2HuwkOPJqYqWwX2eIfVgwhNdFBc8tCfADcwsa2GbsFRY" width="400"></a></div><br></b></div><div><b>परिचय</b></div><div><b><br></b></div><div><i>बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "<b><a href="https://www.praveentrivedi.in/">प्रवीण त्रिवेदी</a></b>" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।</i></div><div><i><br></i></div><div><i>शिक्षा विशेष रूप से "<b>प्राथमिक शिक्षा</b>" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "<a href="http://blog.primarykamaster.com/">प्राइमरी का मास्टर</a>" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।</i></div></div><div><br></div></div>प्राइमरी का मास्टर 2 http://www.blogger.com/profile/07671352464734715786noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8079284547706517210.post-39090560856947391242023-10-10T19:49:00.003+05:302023-10-10T19:51:03.299+05:30ये चिट्ठियां भी अब जज्बात नहीं ढोतीं<div><b>ये चिट्ठियां भी अब जज्बात नहीं ढोतीं</b><br></div><div><br></div><div><br></div>जज्बात की जगह कागजात ढो रहीं चिट्ठियां,<div>ये तो नया दौर है, वो पुरानी बातें गईं।</div><div><br></div><div><br></div><div>कभी थीं मोहब्बत की निशानियां,</div><div>अब दफ्तरों की औपचारिकताएं।</div><div><br></div><div><br></div><div>पहले थीं प्रेम पत्रों की टोकरी,</div><div>अब ईमेल और मैसेज की बारिश।</div><div><br></div><div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEj_TjkLJ2AWmvBBlw2XTQbkM7SWSVlcsb_SN7EQWXJpwjhmy6Mmn8EE_Z5kzDkA_v9ERCLoT1ChSVv7OY-m5DHQrvOEpbcPErKcFfO76r2WGk2K90p74Xe4-4cltkf-AsCb2dNxNcHvMPLXRI9wa8u8n-OeT9TPoq-4U8R5PUlP1MvAvUXx1sj4x4zh7ts" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;">
<img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEj_TjkLJ2AWmvBBlw2XTQbkM7SWSVlcsb_SN7EQWXJpwjhmy6Mmn8EE_Z5kzDkA_v9ERCLoT1ChSVv7OY-m5DHQrvOEpbcPErKcFfO76r2WGk2K90p74Xe4-4cltkf-AsCb2dNxNcHvMPLXRI9wa8u8n-OeT9TPoq-4U8R5PUlP1MvAvUXx1sj4x4zh7ts" width="400">
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</div><br></div><div><br></div><div>कभी थीं भावनाओं की अभिव्यक्ति,</div><div>अब सूचनाओं का आदान-प्रदान।</div><div><br></div><div><br></div><div>कितना बदल गया है जमाना,</div><div>ये चिट्ठियां भी अब जज्बात नहीं ढोतीं।</div><div><br></div><div><br></div><div>(राष्ट्रीय डाक दिवस पर)</div><div><br></div><div><br></div><div><div><div><div><b>✍️ कविताकार : प्रवीण त्रिवेदी</b></div><div>शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित</div><div>फतेहपुर</div></div><div><b><br></b></div><div><b><div class="separator"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjHdMBCQUYHH2O85l6eMKpb4lb2QqLpyrbMa66jU39ncePzXS9b68WDOzgzUwxeTUstQrPbJz8c7lNKV_f51LMnVW69bT7ea0voCYRZfJLUHeaKHzHXTEH23FLNGPH-X-gSfGAopSVF337aH4e2HuwkOPJqYqWwX2eIfVgwhNdFBc8tCfADcwsa2GbsFRY" imageanchor="1"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjHdMBCQUYHH2O85l6eMKpb4lb2QqLpyrbMa66jU39ncePzXS9b68WDOzgzUwxeTUstQrPbJz8c7lNKV_f51LMnVW69bT7ea0voCYRZfJLUHeaKHzHXTEH23FLNGPH-X-gSfGAopSVF337aH4e2HuwkOPJqYqWwX2eIfVgwhNdFBc8tCfADcwsa2GbsFRY" width="400"></a></div><br></b></div><div><b>परिचय</b></div><div><b><br></b></div><div><i>बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "<b><a href="https://www.praveentrivedi.in/">प्रवीण त्रिवेदी</a></b>" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।</i></div><div><i><br></i></div><div><i>शिक्षा विशेष रूप से "<b>प्राथमिक शिक्षा</b>" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "<a href="http://blog.primarykamaster.com/">प्राइमरी का मास्टर</a>" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।</i></div></div><div><br></div></div>प्रवीण त्रिवेदीhttp://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8079284547706517210.post-30269274118197778072023-10-08T20:00:00.001+05:302023-10-08T20:00:15.235+05:30जानिए शिक्षक निर्णय लेने की स्वयं की क्षमता क्यों खो देते हैं? <div><b>जानिए शिक्षक निर्णय लेने की स्वयं की क्षमता क्यों खो देते हैं? </b></div><div><b><br></b></div><div><b><i> </i></b></div><div><br></div><div>फेसबुक पर शिक्षाविद <a href="https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=pfbid02eJ8zfcyTuLrv2h9sxZx1kUVFRTwtZPFNGmY9WTXha7cMQ64MZm8jwPtWwFiCPMbpl&id=1220168635&mibextid=Nif5oz">सुबीर शुक्ल जी की फेसबुक वाल</a> देख रहा था। जहां पर उनके विचार यूं लिखे थे</div><div><br></div><div><i>एक देश के रूप में, हम अपने शिक्षकों के प्रति बहुत ही निम्न स्तर की महत्वाकांक्षाएं रखते हैं। हमने तय कर लिया है कि वे अज्ञानी हैं और उन पर भरोसा नहीं किया जाना चाहिए, उन्हें 'संचालित' किया जाना चाहिए और मॉनिटरिंग के माध्यम से उन से काम निकलवाना चाहिए, अनुपालन करने वाले कार्यान्वयनकर्ताओं के रूप में देखना चाहिए जिनका काम है कि उन्हें दिए गए निर्देशों के अनुसार पढ़ाएं, और समय-समय पर उन्हें उनके दोष जताए जाएं।</i></div><div><i><br></i></div><div><i>यह शिक्षकों के बारे में कम, और एक समाज और व्यवस्था की तरह हमारे बारे में अधिक बताता है। यह भी बताता है कि असली सुधार तब तक नहीं होगा जब तक कि हम शिक्षकों के बारे में हमारी धारणाएं न बदलें – कि वे क्षमताएं लाते हैं जिन्हें हम उनके साथ साझेदारी में बढ़ा सकते हैं और जब वे अपने कक्षा के लिए निर्णय लेने के लिए स्वायत्त होंगे तब विद्यार्थी भी बेहतर सीखेंगे।</i></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><b>मेरे भी बेचैन मन ने कुछ लिखा, जिसे यहां अपने निजी ब्लॉग पर चेंप दे रहा हूं, ताकि सनद रहे। </b></div><div><br></div><div><br></div><div>पिछले 30 सालों से यह रोग बहुत अधिक बढ़ा है, शिक्षा में व्यय धन के बदले क्या मिल रहा? यह सोच इस दृष्टिकोण को उत्पन्न कर रही है। यह दृष्टिकोण यह पूर्वाग्रह कई समस्याएं पैदा करता है। सबसे पहले, यह शिक्षकों को उनके काम में स्वायत्तता और रचनात्मकता की कमी देता है।</div><div><br></div><div><br></div><div><b><i>जब हर समय शिक्षकों को यह बताया जाता है कि उन्हें क्या पढ़ाना है, कैसे पढ़ाना है, और क्या मापना है, तो वे अपने छात्रों के लिए सबसे अच्छा क्या है, इस पर निर्णय लेने की स्वयं की क्षमता खो देते हैं। </i></b></div><div><br></div><div><br></div><div>दूसरे, यह दृष्टिकोण छात्रों को नुकसान पहुंचाता है। जब शिक्षकों को केवल एक निश्चित उत्पाद बनाने के लिए प्रेरित किया जाता है, तो वे अक्सर छात्रों की व्यक्तिगत जरूरतों और रुचियों को नजरअंदाज कर देते हैं। यह छात्रों के लिए सीखने के लिए एक प्रेरक और उत्पादक अनुभव नहीं बनाता है।</div><div><br></div><div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjxCJfhi_6iSTLwFMfeJLBnC_zoeR_ZnVIrCDv_7W6_lNKCGyNhXPAq09ELXe6NNDExiHBXwzbLixZslJPK-UU_IEcxey034PIuML6R4RSPQGiNzrHWGaaENYBxLz7vMDEV8xObw_TbgefYDS64AB7FuFWkKm4HRTDE4qfab3udZ3XzUkz_KOQiorHuo_gK" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;">
<img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjxCJfhi_6iSTLwFMfeJLBnC_zoeR_ZnVIrCDv_7W6_lNKCGyNhXPAq09ELXe6NNDExiHBXwzbLixZslJPK-UU_IEcxey034PIuML6R4RSPQGiNzrHWGaaENYBxLz7vMDEV8xObw_TbgefYDS64AB7FuFWkKm4HRTDE4qfab3udZ3XzUkz_KOQiorHuo_gK" width="400">
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</div><br></div><div><br></div><div>✍️ अंत में, यह दृष्टिकोण देश के भविष्य के लिए हानिकारक है। जब हम शिक्षकों की क्षमताओं को सीमित करते हैं, तो हम उन बच्चों के विकास में बाधा डालते हैं जो वे पढ़ाते हैं। इससे एक ऐसा समाज बनता है जो रचनात्मक, नवाचारी और समाधान-उन्मुख लोगों की कमी से पहले से ही पीड़ित है।</div><div><br></div><div><br></div><div>असली सुधार तब तक नहीं होगा जब तक कि हम शिक्षकों के बारे में हमारी धारणाएं, अपने पूर्वाग्रह न बदलें। हमें यह समझना होगा कि शिक्षक क्षमताएं लाते हैं जिन्हें हम उनके साथ साझेदारी में बढ़ा सकते हैं। हमें यह समझना होगा कि जब शिक्षक अपने कक्षा के लिए निर्णय लेने के लिए स्वायत्त होंगे तब विद्यार्थी भी बेहतर सीखेंगे।</div><div><br></div><div><br></div><div><b>✍️ प्रवीण त्रिवेदी</b></div><div><br></div><div>👉 मेरी फेसबुक पोस्ट पर यह <a href="https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=pfbid0235UNgvQqgNp6wA7ZC2qi8HUngDTQaH1e7HR5UwaNp7AEM4b4vRhEUy8avYLoCrF1l&id=1324115494&mibextid=Nif5oz">टिप्पणी</a> देख सकते हैं।</div><div><br></div><div><br></div>प्राइमरी का मास्टर 2 http://www.blogger.com/profile/07671352464734715786noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8079284547706517210.post-68589764802424858572023-10-08T19:10:00.000+05:302023-10-08T19:10:47.529+05:30शिक्षक और सिस्टम<div><b>शिक्षक और सिस्टम</b></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>शिक्षक हैं ज्ञान के दीपक,</div><div>सिस्टम बंधक बना देता है।</div><div><br></div><div>शिक्षक हैं भविष्य के निर्माता,</div><div>सिस्टम मशीन बना देता है।</div><div><br></div><div>शिक्षक हैं समाज के आधार,</div><div>सिस्टम उपकरण बना देता है।</div><div><br></div><div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEiUGWw18chUgRdfwMEVp1QRdz22NSIok3_TXgV2TMxFZecFhJCC4dbUCLp_zepYFjZJfvAQb5bbqk0AI1vCjxBs7Swi_uBCcqRjhPwxx5z6FK9vS8IOVNVuvntz0j9ztRABb4_DF-7-E3sPFPaIOYEYNuiUxbqQawRfsZKSTF9_wZxb3_qtLO91DpFpaHcU" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;">
<img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEiUGWw18chUgRdfwMEVp1QRdz22NSIok3_TXgV2TMxFZecFhJCC4dbUCLp_zepYFjZJfvAQb5bbqk0AI1vCjxBs7Swi_uBCcqRjhPwxx5z6FK9vS8IOVNVuvntz0j9ztRABb4_DF-7-E3sPFPaIOYEYNuiUxbqQawRfsZKSTF9_wZxb3_qtLO91DpFpaHcU" width="400">
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</div><br></div><div><br></div><div>शिक्षक हैं ज्ञान के पथ प्रदर्शक,</div><div>सिस्टम आदेश पालनकर्ता बना देता है।</div><div><br></div><div>शिक्षक हैं रचनात्मकता के जन्मदाता,</div><div>सिस्टम मैन्युफैक्चरर बना देता है।</div><div><br></div><div>शिक्षक हैं छात्रों के विकास के लिए आवश्यक,</div><div>सिस्टम उन्हें छात्रों के लिए बाधा बना देता है।</div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><div><div><div><b>✍️ लेखक : प्रवीण त्रिवेदी</b></div><div>शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित</div><div>फतेहपुर</div></div><div><b><br></b></div><div><b><div class="separator"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjHdMBCQUYHH2O85l6eMKpb4lb2QqLpyrbMa66jU39ncePzXS9b68WDOzgzUwxeTUstQrPbJz8c7lNKV_f51LMnVW69bT7ea0voCYRZfJLUHeaKHzHXTEH23FLNGPH-X-gSfGAopSVF337aH4e2HuwkOPJqYqWwX2eIfVgwhNdFBc8tCfADcwsa2GbsFRY" imageanchor="1"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjHdMBCQUYHH2O85l6eMKpb4lb2QqLpyrbMa66jU39ncePzXS9b68WDOzgzUwxeTUstQrPbJz8c7lNKV_f51LMnVW69bT7ea0voCYRZfJLUHeaKHzHXTEH23FLNGPH-X-gSfGAopSVF337aH4e2HuwkOPJqYqWwX2eIfVgwhNdFBc8tCfADcwsa2GbsFRY" width="400"></a></div><br></b></div><div><b>परिचय</b></div><div><b><br></b></div><div><i>बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "<b><a href="https://www.praveentrivedi.in/">प्रवीण त्रिवेदी</a></b>" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।</i></div><div><i><br></i></div><div><i>शिक्षा विशेष रूप से "<b>प्राथमिक शिक्षा</b>" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "<a href="http://blog.primarykamaster.com/">प्राइमरी का मास्टर</a>" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।</i></div></div><div><br></div></div>प्राइमरी का मास्टर 2 http://www.blogger.com/profile/07671352464734715786noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8079284547706517210.post-62106401911335599862023-10-06T07:25:00.002+05:302023-10-06T07:28:40.414+05:30शिक्षा तो खुद उलझी पड़ी<div><b>शिक्षा तो खुद उलझी पड़ी</b><br></div><div><br></div><div><br></div><div>शिक्षा की तलाश में</div><div>लोगों ने ढूंढा ढूंढा</div><div>बच्चों को स्कूलों में भेजा</div><div>पर शिक्षा कहां मिली?</div><div><br></div><div>पढ़ाई लिखाई हुई</div><div>पर ज्ञान कहां मिला?</div><div>नौकरी के लिए तैयार हुए</div><div>पर जीवन जीने का ढंग कहां मिला?</div><div><br></div><div>संस्कृति और विरासत का ज्ञान हुआ</div><div>पर देशभक्ति कहां मिली?</div><div>बच्चे अच्छे इंसान बने</div><div>पर दुनिया को कैसे बदला?</div><div><br></div><div>शिक्षा की तलाश में</div><div>लोगों ने ढूंढा ढूंढा</div><div>पर शिक्षा कहीं नहीं मिली</div><div>शिक्षा तो खुद उलझी पड़ी।</div><div><br></div><div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjTrAnmEv4dzDumzMHzwlTD0AYDlPZ34YZ3KSm2Onpkqx8ELzR-p3wjUbkgRIBvWpO4r4Nm4uf3INcsj0Iebv_PFSnQLYMHpKzXmNV4VquxlDwiDPxPOFcoXd2h5U5iEdjyJxANU2n4Z2G382mS8vjmeqH9ggcI4IGzAEy2IU3Jp-V8pNYunGntCdBREf0" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;">
<img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjTrAnmEv4dzDumzMHzwlTD0AYDlPZ34YZ3KSm2Onpkqx8ELzR-p3wjUbkgRIBvWpO4r4Nm4uf3INcsj0Iebv_PFSnQLYMHpKzXmNV4VquxlDwiDPxPOFcoXd2h5U5iEdjyJxANU2n4Z2G382mS8vjmeqH9ggcI4IGzAEy2IU3Jp-V8pNYunGntCdBREf0" width="400">
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</div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>इस कविता में शिक्षा की वर्तमान स्थिति पर तंज कसा गया है। कवि कहता है कि लोग शिक्षा की तलाश में हैं, लेकिन उन्हें वह नहीं मिल पा रही है। शिक्षा के नाम पर सिर्फ पढ़ाई-लिखाई हो रही है, लेकिन ज्ञान नहीं मिल रहा है। नौकरी के लिए तैयारी हो रही है, लेकिन जीवन जीने का ढंग नहीं मिल रहा है। बच्चे अच्छे इंसान बन रहे हैं, लेकिन दुनिया को कैसे बदला जाए, यह नहीं पता।</div><div><br></div><div>कवि का कहना है कि शिक्षा खुद उलझी पड़ी है। यह बच्चों, अभिभावकों और शिक्षकों को उलझा रही है। शिक्षा को ऐसी होनी चाहिए जो बच्चों को ज्ञान, जीवन जीने का ढंग, देशभक्ति और दुनिया को बदलने की प्रेरणा दे।</div><div><br></div><div><br></div><div><div><div><div><b>✍️ लेखक : प्रवीण त्रिवेदी</b></div><div>शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित</div><div>फतेहपुर</div></div><div><b><br></b></div><div><b><div class="separator"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjHdMBCQUYHH2O85l6eMKpb4lb2QqLpyrbMa66jU39ncePzXS9b68WDOzgzUwxeTUstQrPbJz8c7lNKV_f51LMnVW69bT7ea0voCYRZfJLUHeaKHzHXTEH23FLNGPH-X-gSfGAopSVF337aH4e2HuwkOPJqYqWwX2eIfVgwhNdFBc8tCfADcwsa2GbsFRY" imageanchor="1"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjHdMBCQUYHH2O85l6eMKpb4lb2QqLpyrbMa66jU39ncePzXS9b68WDOzgzUwxeTUstQrPbJz8c7lNKV_f51LMnVW69bT7ea0voCYRZfJLUHeaKHzHXTEH23FLNGPH-X-gSfGAopSVF337aH4e2HuwkOPJqYqWwX2eIfVgwhNdFBc8tCfADcwsa2GbsFRY" width="400"></a></div><br></b></div><div><b>परिचय</b></div><div><b><br></b></div><div><i>बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "<b><a href="https://www.praveentrivedi.in/">प्रवीण त्रिवेदी</a></b>" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।</i></div><div><i><br></i></div><div><i>शिक्षा विशेष रूप से "<b>प्राथमिक शिक्षा</b>" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "<a href="http://blog.primarykamaster.com/">प्राइमरी का मास्टर</a>" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।</i></div></div><div><br></div></div>प्रवीण त्रिवेदीhttp://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8079284547706517210.post-64613068109958108912023-10-03T19:46:00.002+05:302023-10-03T19:50:03.609+05:30हैप्पी बर्थडे विविध भारती रेडियोविविध भारती रेडियो को स्थापना दिवस की बधाई<div><br></div><div><br></div><div>विविध भारती रेडियो,</div><div>जन्मदिन मुबारक हो,</div><div>तुमने दिलों में जगह बनाई,</div><div>अपनी आवाज से।</div><div><br></div><div><br></div><div>तुमने भारतीय संगीत को,</div><div>दुनियाभर में पहुंचाया,</div><div>तुमने भारतीय संस्कृति को,</div><div>नया आयाम दिया।</div><div><br></div><div><br></div><div>तुमने लोगों को जोड़ा,</div><div>एक सूत्र में बांधकर,</div><div>तुमने लोगों को दिया,</div><div>नया ज्ञान और उमंग।</div><div><br></div><div><br></div><div>आज तुम्हारा जन्मदिन है,</div><div>हम सब तुम्हारे साथ हैं,</div><div>हम दुआ करते हैं,</div><div>तुम हमेशा सदा रहो।</div><div><br></div><div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjU8KaUY721dOcJYUrGzkl1TmfAs4KufkSDNtGN_nMQbDW9GsRjifvCCPrQA7jJWWBAkUZorJc8JQ18BGqCVaw_T0CLxPqJlf3KL2i9AQQHL9ob9iAGzA1k2fqSsENwf3y-kZuZw5Uc5gAs1S7_kK9T6Jt8Z-DU4YFucKCi-0ovaXlad81H3VqlaeIhbE2r" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;">
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</div><br></div><div><br></div><div>विविध भारती रेडियो को आज स्थापना दिवस (03 अक्टूबर) की शुभकामनाएं। तुमने अपनी आवाज से लोगों के दिलों में जगह बनाई है। तुमने भारतीय संगीत को दुनियाभर में पहुंचाया है और भारतीय संस्कृति को नया आयाम दिया है। तुमने लोगों को एक सूत्र में बांधकर जोड़ा है और उन्हें नया ज्ञान और उमंग दी है। आज तुम्हारा जन्मदिन है, हम सब तुम्हारे साथ हैं और हम दुआ करते हैं कि तुम हमेशा सदा रहो। </div><div><br></div><div><br></div><div>प्रवीण त्रिवेदी </div>प्राइमरी का मास्टर 2 http://www.blogger.com/profile/07671352464734715786noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8079284547706517210.post-79429539452233211102023-09-30T23:03:00.003+05:302023-09-30T23:07:25.069+05:30शिक्षक का आत्महत्या कर लेनाहाईकोर्ट के आदेश के बाद भी 96 माह से शिक्षक को नहीं मिला वेतन, जहर खा दी जान <div><br></div><div><br></div><div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEikHBzq0J8_iydIwCKecc68GoYy-nlhxV2i0qMCGKJ2YsEy7Xoc2iQeDeO0kfMuHv37RWqk-LRxnkmOvTJOz_xd3lHCjdNado8C8QYUzXy2pl29XlMo0qi4ROLScpWmj2BcH7xKNCNYLE2Vd_hJpBc-iWo1lcJ64Xc6m08gHCXZcdm_0SHd_BsrKYHoj4bj" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;">
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</div><br></div><div>खबर पढ़कर सिर्फ निःशब्द ही हुआ जा सकता था। लेकिन नहीं रह सका चुप।</div><div><br></div><div><div><br></div><div><br></div><div><b>शिक्षक का आत्महत्या कर लेना</b></div><div><br></div><div><br></div><div>बेरहम सिस्टम,</div><div>तुमने क्या किया?</div><div>एक शिक्षक को,</div><div>जिंदगी से बेदखल कर दिया।</div><div><br></div><div>नौकरी मिली थी,</div><div>पर वेतन नहीं मिला,</div><div>96 महीने तक,</div><div>शिक्षक संघर्ष करता रहा।</div><div><br></div><div>अब,</div><div>उसने सब कुछ छोड़ दिया,</div><div>जिंदगी से तंग आकर,</div><div>उसने जहर खा लिया।</div><div><br></div><div>बेरहम सिस्टम,</div><div>तुमने क्या किया?</div><div>एक शिक्षक को,</div><div>जिंदगी से बेदखल कर दिया।</div><div><br></div><div>उसका परिवार,</div><div>उसकी पत्नी,</div><div>उसके बच्चे,</div><div>सब पर,</div><div>आज दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।</div><div><br></div><div>बेरहम सिस्टम,</div><div>तुमने क्या किया?</div><div>एक शिक्षक को,</div><div>जिंदगी से बेदखल कर दिया।</div><div><br></div><div>इस शिक्षक की मौत,</div><div>एक चेतावनी है,</div><div>सभी शिक्षकों के लिए,</div><div>कि वे भी,</div><div>कहीं ऐसे ही,</div><div>बेरहम सिस्टम के शिकार न हो जाएँ।</div><div><br></div><div><br></div><div><br></div></div><div><div><div><div><b>✍️ लेखक : प्रवीण त्रिवेदी</b></div><div>शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित</div><div>फतेहपुर</div></div><div><b><br></b></div><div><b><div class="separator"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjHdMBCQUYHH2O85l6eMKpb4lb2QqLpyrbMa66jU39ncePzXS9b68WDOzgzUwxeTUstQrPbJz8c7lNKV_f51LMnVW69bT7ea0voCYRZfJLUHeaKHzHXTEH23FLNGPH-X-gSfGAopSVF337aH4e2HuwkOPJqYqWwX2eIfVgwhNdFBc8tCfADcwsa2GbsFRY" imageanchor="1"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjHdMBCQUYHH2O85l6eMKpb4lb2QqLpyrbMa66jU39ncePzXS9b68WDOzgzUwxeTUstQrPbJz8c7lNKV_f51LMnVW69bT7ea0voCYRZfJLUHeaKHzHXTEH23FLNGPH-X-gSfGAopSVF337aH4e2HuwkOPJqYqWwX2eIfVgwhNdFBc8tCfADcwsa2GbsFRY" width="400"></a></div><br></b></div><div><b>परिचय</b></div><div><b><br></b></div><div><i>बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "<b><a href="https://www.praveentrivedi.in/">प्रवीण त्रिवेदी</a></b>" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।</i></div><div><i><br></i></div><div><i>शिक्षा विशेष रूप से "<b>प्राथमिक शिक्षा</b>" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "<a href="http://blog.primarykamaster.com/">प्राइमरी का मास्टर</a>" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।</i></div></div><div><br></div></div>प्राइमरी का मास्टर 2 http://www.blogger.com/profile/07671352464734715786noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8079284547706517210.post-80329983565643059812023-09-29T19:47:00.002+05:302023-09-29T19:50:31.908+05:30कभी कोई मांगे मेरा ऑटोग्राफ <div><br></div><div>कभी कोई मांगे मेरा ऑटोग्राफ</div><div>तो मैं अपने हाथों को देखूंगा</div><div>और सोचूंगा कि मैं कितना छोटा हूं</div><div>और दुनिया कितनी बड़ी है</div><div><br></div><div><br></div><div>कभी कोई मांगे मेरा ऑटोग्राफ</div><div>तो मैं अपने दिल को देखूंगा</div><div>और सोचूंगा कि मैं कितना बड़ा हूं</div><div>और दुनिया कितनी छोटी है</div><div><br></div><div><br></div><div>कभी कोई मांगे मेरा ऑटोग्राफ</div><div>तो मैं अपने शब्दों को देखूंगा</div><div>और सोचूंगा कि मैं कितना अनमोल हूं</div><div>और दुनिया कितनी धन्य है</div><div><br></div><div><br></div><div>कभी कोई मांगे मेरा ऑटोग्राफ</div><div>तो मैं अपने जीवन को देखूंगा</div><div>और सोचूंगा कि मैं कितना भाग्यशाली हूं</div><div>और दुनिया कितनी खूबसूरत है</div><div><br></div><div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjYTqzyjAQcMZmHjN5OHdHVEc3MuJuWUliN2PiQs1851pFRt8bB4u2d5SXxUSX7UnE64o4E-ImPvWPcXWxgH8gMOd6q4QV4jgJ0RlWQn4CkJDJYt41ARvj4STS44VwNCb2H1TeCgs2ENj3X5AdLyHMdpf3fgtSWlwdGDl4Vp0OHe_8LvvEXa0rKTJ4fPhY" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;">
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</div><br></div></div><div><br></div><div>कभी कोई मांगे मेरा ऑटोग्राफ</div><div>तो मैं अपने जीवन के हर पल को</div><div>उसके सामने प्रकट कर दूंगा</div><div>अपने हर गलती और सफलता को</div><div>अपने हर उदासी और खुशी को</div><div>अपने हर आँसू और मुस्कान को</div><div>अपने हर सपने और आकांक्षा को</div><div><br></div><div><br></div><div>कभी कोई मांगे मेरा ऑटोग्राफ</div><div>तो मैं अपने जीवन का हर मोड़ को</div><div>उसके सामने रख दूंगा</div><div>अपने हर संघर्ष और चुनौती को</div><div>अपने हर उतार और चढ़ाव को</div><div>अपने हर दर्द और सुख को</div><div>अपने हर प्यार और दुःख को</div><div><br></div><div><br></div><div>कभी कोई मांगे मेरा ऑटोग्राफ</div><div>तो मैं अपने जीवन की हर कहानी को</div><div>उसके सामने सुना दूंगा</div><div>अपने हर पात्र और घटना को</div><div>अपने हर संदेश और सीख को</div><div>अपने हर सपने और आशा को</div><div>अपने हर प्यार और विश्वास को</div><div><br></div><div><br></div><div>कभी कोई मांगे मेरा ऑटोग्राफ</div><div>तो मैं उसके लिए एक नया जीवन लिख दूंगा</div><div>एक ऐसा जीवन जो खुशियों से भरा हो</div><div>एक ऐसा जीवन जो सफलताओं से भरा हो</div><div>एक ऐसा जीवन जो प्यार और विश्वास से भरा हो</div><div>एक ऐसा जीवन जो दुनिया को बदल दे</div><div><br></div><div><br></div><div>कभी कोई मांगे मेरा ऑटोग्राफ</div><div>तो मैं उसे अपनी पूरी दुनिया दे दूंगा</div><div>अपने दिल और आत्मा को दे दूंगा</div><div>अपने सपनों और आकांक्षाओं को दे दूंगा</div><div>अपने प्यार और विश्वास को दे दूंगा</div><div>अपने जीवन को दे दूंगा</div><div><br></div><div><br></div><div>कभी कोई मांगे मेरा ऑटोग्राफ</div><div>तो मैं उसे एक नई दुनिया दिखा दूंगा</div><div>एक ऐसी दुनिया जो प्यार और विश्वास से भरी हो</div><div>एक ऐसी दुनिया जो खुशियों और सफलताओं से भरी हो</div><div>एक ऐसी दुनिया जो दुनिया को बदल दे</div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><div><div><div><b>✍️ लेखक : प्रवीण त्रिवेदी</b></div><div>शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित</div><div>फतेहपुर</div></div><div><b><br></b></div><div><b><div class="separator"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjHdMBCQUYHH2O85l6eMKpb4lb2QqLpyrbMa66jU39ncePzXS9b68WDOzgzUwxeTUstQrPbJz8c7lNKV_f51LMnVW69bT7ea0voCYRZfJLUHeaKHzHXTEH23FLNGPH-X-gSfGAopSVF337aH4e2HuwkOPJqYqWwX2eIfVgwhNdFBc8tCfADcwsa2GbsFRY" imageanchor="1"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjHdMBCQUYHH2O85l6eMKpb4lb2QqLpyrbMa66jU39ncePzXS9b68WDOzgzUwxeTUstQrPbJz8c7lNKV_f51LMnVW69bT7ea0voCYRZfJLUHeaKHzHXTEH23FLNGPH-X-gSfGAopSVF337aH4e2HuwkOPJqYqWwX2eIfVgwhNdFBc8tCfADcwsa2GbsFRY" width="400"></a></div><br></b></div><div><b>परिचय</b></div><div><b><br></b></div><div><i>बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "<b><a href="https://www.praveentrivedi.in/">प्रवीण त्रिवेदी</a></b>" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।</i></div><div><i><br></i></div><div><i>शिक्षा विशेष रूप से "<b>प्राथमिक शिक्षा</b>" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "<a href="http://blog.primarykamaster.com/">प्राइमरी का मास्टर</a>" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।</i></div></div><div><br></div></div>प्रवीण त्रिवेदीhttp://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8079284547706517210.post-66590583786330057582023-09-25T18:49:00.002+05:302023-09-25T18:50:51.700+05:30Film Review Hichki : विकलांगता किसी व्यक्ति की क्षमताओं को सीमित नहीं करती का संदेश देती फिल्म हिचकी<div><b>Film Review Hichki :</b> <b>विकलांगता किसी व्यक्ति की क्षमताओं को सीमित नहीं करती का संदेश देती फिल्म हिचकी</b></div><div><br></div><div><br></div><div>रानी मुखर्जी की फिल्म "<b>हिचकी</b>" एक प्रेरणादायक फिल्म है जो एक टूरेट सिंड्रोम से पीड़ित महिला नैना माथुर के जीवन पर आधारित है। नैना एक शिक्षिका बनने का सपना देखती है, लेकिन उसे कई बार नौकरी से निकाल दिया जाता है क्योंकि उसके सिंड्रोम के कारण उसे बोलने में परेशानी होती है। आखिरकार, वह एक सरकारी स्कूल में नौकरी पाती है, जहां उसे 14 विद्रोही छात्रों का एक वर्ग सौंपा जाता है। नैना अपने छात्रों को शिक्षा के महत्व और अपने सपनों को पूरा करने के लिए कभी हार न मानने के लिए प्रेरित करती है।</div><div><br></div><div><br></div><div>फिल्म की कहानी दिल को छू लेने वाली है और यह एक महत्वपूर्ण संदेश देती है कि विकलांगता किसी व्यक्ति की क्षमताओं को सीमित नहीं करती है। रानी मुखर्जी ने नैना के किरदार को पूरी तरह से निभाया है और उनकी अदाकारी फिल्म की सफलता का एक बड़ा कारण है। अन्य कलाकार भी अपने-अपने किरदारों में काफी अच्छे हैं।</div><div><br></div><div><br></div><div><b>फिल्म के कुछ सकारात्मक पहलू निम्नलिखित हैं:</b></div><div><br></div><div>🟣 कहानी प्रेरणादायक और दिल को छू लेने वाली है।</div><div>🟣 रानी मुखर्जी ने नैना के किरदार को पूरी तरह से निभाया है।</div><div>🟣 अन्य कलाकार भी अपने-अपने किरदारों में काफी अच्छे हैं।</div><div>🟣 फिल्म एक महत्वपूर्ण संदेश देती है कि विकलांगता किसी व्यक्ति की क्षमताओं को सीमित नहीं करती है।</div><div><br></div><div><br></div><div><b>फिल्म के कुछ नकारात्मक पहलू निम्नलिखित हैं:</b></div><div><br></div><div>🔵 कहानी कुछ जगहों पर रूढ़िवादी है।</div><div>🔵 कुछ दृश्यों में हिचकी का अनुकरण बनावटी लगता है।</div><div>🔵 फिल्म का अंत कुछ हद तक अनुमानित है।</div><div><br></div><div><br></div><div>कुल मिलाकर, "हिचकी" एक अच्छी फिल्म है जो आपको प्रेरित और भावुक करेगी। यह एक महत्वपूर्ण संदेश देती है कि विकलांगता किसी व्यक्ति की क्षमताओं को सीमित नहीं करती है।</div><div><br></div><div><br></div><div><div class="separator"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEhj7aZATfNJ0xVzep34wTPngxFabockl-eDWQf7Cx4436LI2PGxRqiWB_aqTK_493_gmTMzdiewlrHtajUMHjStwxw6oJcQSsBPV0TKEv-btccSCn7lVtRQh8sUMu9j6uFRyUnfZOjBPpngHB_eMBpXZZaHX99Tab2QpE9j5b5QU7s-zgSAknNCoOWv2rbY" imageanchor="1"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEhj7aZATfNJ0xVzep34wTPngxFabockl-eDWQf7Cx4436LI2PGxRqiWB_aqTK_493_gmTMzdiewlrHtajUMHjStwxw6oJcQSsBPV0TKEv-btccSCn7lVtRQh8sUMu9j6uFRyUnfZOjBPpngHB_eMBpXZZaHX99Tab2QpE9j5b5QU7s-zgSAknNCoOWv2rbY" width="400"></a></div><br></div><div><b><br></b></div><div><b>फिल्म की कुछ विशिष्ट विशेषताएं और उनका विश्लेषण निम्नलिखित हैं:</b></div><div><br></div><div><b><br></b></div><div><b>कहानी और संदेश: </b>"हिचकी" की कहानी एक टूरेट सिंड्रोम से पीड़ित महिला नैना माथुर के जीवन पर आधारित है। नैना एक शिक्षिका बनने का सपना देखती है, लेकिन उसे कई बार नौकरी से निकाल दिया जाता है क्योंकि उसके सिंड्रोम के कारण उसे बोलने में परेशानी होती है। आखिरकार, वह एक सरकारी स्कूल में नौकरी पाती है, जहां उसे 14 विद्रोही छात्रों का एक वर्ग सौंपा जाता है। नैना अपने छात्रों को शिक्षा के महत्व और अपने सपनों को पूरा करने के लिए कभी हार न मानने के लिए प्रेरित करती है।</div><div><br></div><div><br></div><div>फिल्म एक महत्वपूर्ण संदेश देती है कि विकलांगता किसी व्यक्ति की क्षमताओं को सीमित नहीं करती है। नैना एक टूरेट सिंड्रोम से पीड़ित है, लेकिन वह एक सफल शिक्षिका बन जाती है। वह अपने छात्रों को शिक्षा के महत्व और अपने सपनों को पूरा करने के लिए कभी हार न मानने के लिए प्रेरित करती है।</div><div><br></div><div><br></div><div><b>कलाकार: </b>रानी मुखर्जी ने नैना के किरदार को पूरी तरह से निभाया है। उन्होंने नैना की हिचकी, उसके आत्मविश्वास की कमी और उसके दृढ़ संकल्प को पूरी तरह से व्यक्त किया है। अन्य कलाकार भी अपने-अपने किरदारों में काफी अच्छे हैं। नीरज काबी ने नैना के सहयोगी शिक्षक के रूप में एक यादगार भूमिका निभाई है।</div><div><br></div><div><br></div><div><b>निर्देशन और पटकथा: </b>सिद्धार्थ पी. मल्होत्रा ने फिल्म का निर्देशन किया है। उन्होंने फिल्म को अच्छी तरह से निर्देशित किया है और उन्होंने कहानी को प्रभावी ढंग से पेश किया है। अंकुर चौधरी, सिद्धार्थ पी. मल्होत्रा, अंबर हड़प और गणेश पण्डित ने पटकथा लिखी है। उन्होंने एक अच्छी पटकथा लिखी है जो प्रेरणादायक और दिल को छू लेने वाली है।</div><div><br></div><div><br></div><div><b>संगीत और सिनेमैटोग्राफी:</b> फिल्म का संगीत अमित त्रिवेदी ने दिया है। संगीत अच्छा है और यह फिल्म के मूड को अच्छी तरह से दर्शाता है। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी भी अच्छी है।</div><div><br></div><div><br></div><div><i>कुल मिलाकर, "</i><b>हिचकी</b><i>" एक अच्छी देखे जाने योग्य फ़िल्म है।</i></div><div><i><br></i></div><div><i><br></i></div><div><div><div><b>✍️ समीक्षक : प्रवीण त्रिवेदी</b></div><div>शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित</div><div>फतेहपुर</div></div><div><b><br></b></div><div><b><div class="separator"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjHdMBCQUYHH2O85l6eMKpb4lb2QqLpyrbMa66jU39ncePzXS9b68WDOzgzUwxeTUstQrPbJz8c7lNKV_f51LMnVW69bT7ea0voCYRZfJLUHeaKHzHXTEH23FLNGPH-X-gSfGAopSVF337aH4e2HuwkOPJqYqWwX2eIfVgwhNdFBc8tCfADcwsa2GbsFRY" imageanchor="1"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjHdMBCQUYHH2O85l6eMKpb4lb2QqLpyrbMa66jU39ncePzXS9b68WDOzgzUwxeTUstQrPbJz8c7lNKV_f51LMnVW69bT7ea0voCYRZfJLUHeaKHzHXTEH23FLNGPH-X-gSfGAopSVF337aH4e2HuwkOPJqYqWwX2eIfVgwhNdFBc8tCfADcwsa2GbsFRY" width="400"></a></div><br></b></div><div><b>परिचय</b></div><div><b><br></b></div><div><i>बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "<b><a href="https://www.praveentrivedi.in/">प्रवीण त्रिवेदी</a></b>" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।</i></div><div><i><br></i></div><div><i>शिक्षा विशेष रूप से "<b>प्राथमिक शिक्षा</b>" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "<a href="http://blog.primarykamaster.com/">प्राइमरी का मास्टर</a>" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।</i></div></div><div><br></div>प्रवीण त्रिवेदीhttp://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.com0