बाल अधिकार

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यह सत्य है कि भारत के 3 करोड़ बच्चों में से, बहुत-से बच्चे ऐसी आर्थिक एवं सामाजिक वातावरण में रहते हैं जो उनके शारीरिक एवं मानसिक विकास में बाधा पहुँचाते हैं। आज समय की जरूरत है कि हम भारत में इन बच्चों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये तैयार हो जायें ताकि उनके भविष्य को उज्ज्वल व सशक्त बनाया जा सके।

भारत में, स्वातंत्र्योत्तर युग ने संवैधानिक उपलब्धियॉं, नीतियॉं, कार्यक्रम एवं विधान के माध्यम से बच्चों के प्रति सरकार के स्पष्ट रूख का अनुभव किया है। इस शताब्दी के अंतिम दशक में, स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा एवं संबंधित कार्यक्षेत्रों में आये तीव्र प्रोद्यौगिकी विकास ने बच्चों को नये अवसर प्रदान किये हैं।

भारत में बच्चों से संबंधित अनन्य समस्याओं पर प्राथमिकता से विचार करने के उद्देश्य से सरकारी, गैर-सरकारी संस्थाऍं (एनजीओ) एवं अन्य सभी एकजुट हो गये हैं। उनमें समाविष्ट संबंधित मुद्दे हैं- बच्चे और काम, बालश्रम की समस्या से निपटना, लिंग भेद उन्मूलन, फुटपाथ पर रहनेवाले बच्चों का उत्थान, विकलांग बच्चों की विशेष आवश्यकताओं को पूरा करना एवं हर बच्चे को उसके आधारभूत अधिकार के रूप में शिक्षा प्रदान करना। ज्यादा जानकारी के लिए यहाँ जाए

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