सच है की बच्चों की अपनी दुनिया होती है/

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बच्चे जिज्ञासू होते हैं , और सीखना चाहते हैं / उनके हाथ मे आए हुए खिलौने , सामानो की खोलखाल , तोड़फोड़, इसी का परिणाम है/ उनकी यही जिज्ञासा उनके सीखने का आधार होती है / ऐसी जिज्ञासा के चलते उनकी खोज-बीन शुरू होती है जिनका सीखने मे महत्वपुर्ण स्थान है/ इसलिए बच्चों को स्वतंत्र रूप से कम करने का मौका मिलना चाहिए /
शिक्षक का काम बच्चों के रास्तों को आसान बनाना है और बच्चों की जिज्ञासा को सीखने की प्रक्रिया मे उचित स्थान देना है /
यह सच है की बच्चों की अपनी दुनिया होती है और हमे उनकी दुनिया मे उतार कर उनको देखना समझना होगा/ अब हम बड़ी आसानी से सोच सकते हैं की बच्चे अपने आपको स्कूल की ज़रूरत के अनुरूप ढालें या स्कूल अपने आपको बच्चों की ज़रूरत के अनुसार ढालें ?

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